Sonu Sood Book: एक्टर से प्रवासी मजदूरों के मसीहा कैसे बने सोनू सूद, किताब में सुनाएंगे अपनी कहानी
मुंबई। कोरोना वायरस संकट में प्रवासी मजदूरों के मसीहा बने एक्टर सोनू सूद पिछले कुछ महीनों से सुर्खियों में बने हुए हैं। लॉकडाउन में उन्होंने हजारों मजदूरों को उनके घर सुरक्षित पहुंचाकर इंसानियत की एक नई मिसाल पेश की है। इस दौरान वह कई लोगों से मिले और उनका दुख-दर्द बांटा। अब वह इन कोरोना काल के अनुभवों को एक किताब का रूप देना चाहते हैं। इस बात की जानकारी खुद सोनू सूद ने दी है। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीने से अधिक समय में मैंने जो देखा और महसूस किया उसने मेरे जीवन को पूरी तरह बदल दिया है।
सोनू सूद सुनाएंगे माइग्रेंट्स वर्कर्स की कहानी
सोनू सूद ने कहा, 'लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मदजूरों के साथ 16 से 18 घंटे रहना, उनके दर्द को बाटने सौभाग्य मुझे मिला। जब मैं उनके घर जाने वाले वाहन को विदा करता था तो मेरा दिल खुशियों से भर जाता था। अपने घर जाने की खुशी में मजदूरों की आंखों में आए आंसू मेरे लाइफ के सबसे स्पेशल अनुभव रहे।' एक्टर ने कहा, 'मैं वादा करता हूं मैं तब तक यह काम करता रहूंगा जब तक आखिरी माइग्रेंट्स अपने घर और प्रियजनों के पास नहीं पहुंच जाता।'
लॉकडाउन के अनुभव को किताब का रूप देंगे सोनू सूद
अपनी किताब का जिक्र करते हुए सोनू ने कहा, मुझे विश्वास है कि मैं इसी अनुभव के लिए शहर आया था, यही मेरा उद्देश्य था। मैं भगवान को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए मुझे साधन बनाया। उन्होंने कहा, मुंबई मेरे दिल की धड़कन है लेकिन आज मुझे महसूस होता है कि यूपी, बिहार, झारखंड, असम, उत्तराखंड और कई अन्य राज्यों के गांवों में भी अब मेरा हिस्सा रहता है। इन क्षेत्रों से मुझे नए दोस्त मिल गए हैं और उनसे गहरे संबंध बन गए हैं।
पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया करेगा प्रकाशित
सोनू ने कहा, मैंने फैसला किया है कि अपने जीवन के इन अनुभवों और कहानियों को मैं एक किताब में रिपोउंगा। सोनू सूद ने बताया कि उनकी किताब को पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया के ईबरी इंप्रिंट द्वारा प्रकाशित किया जाएगा। गौरतलब है कि सोनू के इन अनुभवों को पढ़ने और जानने के लिए उनके फैंस सहित कई लोग उत्सुक होंगे। कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान उन्होंने प्रवासी मजदूरों के लिए जो किया उसके बाद उनकी फैन फॉलोइंगऔर बढ़ गई है। सोनू सूद अभी भी गरीब और जरूरतमंद लोगों को उनके घर पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
कैंटीन में काम करने वाले बेरोजगार मजदूरों की मदद की
जून के शुरुआती दिनों में पुणे की कैंटीन में काम करने वाले 180 लोगों उस समय बेरोजगार हो गए जब कैंटीन बंद होने की वजह से उन्होंने अपनी नौकरी खो दी। ऐसे में वे लोग अपने मूलनिवास स्थान असम जाने को मजबूर हो गए, इस बीच उन्हें पता चला की मुंबई से असम के लिए 3 जून को एक स्पेशल ट्रेन चलने वाली है लेकिन मुंबई पहुंचने के बाद उन्हें पता चला कि ट्रेन निलंबित हो गई। पैसे नहीं होने के कारण उन्हें तिलक ब्रिज के नीचे शरण लेना पड़ा। इसी दौरान उन्हें पता चला कि एक्टर सोनू सूद मजदूरों को घर पहुंचने में मदद कर रहे हैं।
180 लोगों को एयरलिफ्ट कर भेजा असम
जब वह लोग सोनू सूद के पास पहुंचे तो उन्होंने सभी को आश्रय और भोजन दिया। इसके साथ ही सोनू असम में अपने परिवारों के साथ उन्हें फिर से मिलाने के तरीके खोजने लगे। मुंबई से उन्हें एयरलिफ्ट करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था, इस दौरान सोनू और उनकी टीम ने कई एयरलाइनों से संपर्क किया और आखिरकार 10 जून को उनके लिए उड़ान की व्यवस्था की गई। इसके अलावा ऐसी कई कहानियां हैं जो सोनू सूद कि किताब में होंगी।
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