'रक्तदान तो ठीक है पर मास्क क्यों नहीं पहना...', ट्रोल होने पर भड़के सोनू निगम, दीं गालियां
'रक्तदान तो ठीक है पर मास्क क्यों नहीं पहना...', ट्रोल होने पर भड़के सोनू निगम, दीं गालियां
मुंबई, 10 मई: बॉलीवुड के मशहूर गायक सोनू निगम अक्सर सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार होते हैं। कोरोना काल में रक्तदान करने के वक्त मास्क ना पहने को लेकर एक बार फिर सोनू निगम ट्रोलर्स के निशाने पर हैं। पिछले हफ्ते सोनू निगम ने रक्तदान किया था। सोनू निगम ने मुंबई जुहू में लगाए गए रक्तदान शिविर में रक्तदान किया था। इसकी तस्वीरें उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट की है। जिसमें वो पत्रकारों से बात करते वक्त और रक्तदान करते वक्त बिना मास्क के दिखें। इसके बाद ही सोनू निगम को मास्क ना पहनने के लिए सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया। ट्रोल होने के बाद सोनू निगम भड़क गए हैं और उन्होंने यूजर्ज को गालियां देते हुए जवाब दिया है।
'मास्क से आपका चेहरा नहीं बदलेगा, ये सब...'
एक फेसबुक यूजर ने लिखा, ''कोरोना से इतने लोग मर गए...लेकिन फिर भी आपको समझ में नहीं आ रहा है, आपका मास्क कहां है सोनू?'' एक यूजर ने लिखा, ''आपने काम तो अच्छा किया है लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनिए।''
एक अन्य यूजर ने लिखा, ''आप रक्तदान कर रहे हैं, अच्छा है, इसका मतलब यह नहीं है कि आपको अपना मास्क खोलना है और फोटो क्लिक करना है। मास्क से आपका चेहरा नहीं बदलेगा। या बिना मास्क के आप गायब हो जाएंगे।'' इस तरह के कमेंट्स कई अन्य यूजर्स ने भी किए हैं।
ट्रोलर्स को सोनू निगम ने दीं गालियां
यूजर्स के लगातार ऐसे कमेंट से सोनू निगम भड़क गए। जिसके बाद सोनू निगमने अपने फेसबुक पर आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए ट्रोलर्स को गालियां दीं। सोनू ने लिखा, ''जो यहां आइंस्टीन बनकर आए हैं उनको मेरा जवाब उसी भाषा में जिसके वो हकदार हैं। अरे गधों, उल्लू के पट्ठों, रक्तदान के वक्त मास्क पहनना मना है। कितना और गिरोगे लेफ्टिस्ट?'' सोनू ने मुंबई के जुहू उपनगर में एक रक्तदान शिविर का उद्घाटन किया था और 250 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दान किया।
कोरोना काल में कुंभ मेला होने पर सोनू निगम ने जताई थी चिंता
कुंभ मेला 2021 पर सोनू निगम ने चिंता जाहिर की थी। कोरोना काल में कुंभ मेला होने पर सोनू निगम ने कहा था इस साल कुंभ मेला नहीं होना चाहिए थे। सोनू ने कहा था, मैं किसी और पर कोई कमेंट नहीं कर रहा हूं लेकि एक हिंदू होने के नाते में ये कहना चाह रहा हूं कि कुंभ मेला नहीं होना चाहिए था। लेकिन चलो देर से सही लोगों को थोड़ी अक्ल आ गई और इसे सिंबॉलिक कर दिया गया है। मैं लोगों की आस्था और भावनाओं को समझता हूं लेकिन मुझे लगता है कि इस वक्त लोगों की जान से ज्यादा कुछ जरूरी नहीं है।''