JNU हिंसा की सच्चाई जानने के लिए सोनिया गांधी ने गठित की जांच समिति
नई दिल्ली। जेएनयू में नकाबपोशों के उपद्रव का मामला गहराता जा रहा है। विपक्ष ने छात्रों और शिक्षकों पर हुए हमले की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है जबकि बीजेपी ने आरोप लगाया है कि विपक्ष घटना पर राजनीतिक कर रहा है। जेएनयू छात्रों पर हुए इस हमले को लेकर सोनिया गांधी ने अब चार सदस्यों की जांच टीम बना दी है। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि सरकार विरोध की आवाज को कुचलने पर आमादा है।
सोनिया गांधी ने कहा है कि आज देश में युवाओं और छात्रों की आवाज को दबाया और उनका मजाक बनाया जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि मोदी सरकार के संरक्षण में देश के युवाओं की आवाज को दबाकर गुंडों द्वारा हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है। जेएनयू में हुई हिंसा पर सोनिया गांधी ने कहा कि कल जेएनयू में छात्रों-फैकल्टी पर हुआ हमला सरकार के द्वारा लोगों की असहमति की आवाज को दबाने के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने कहा युवाओं पर भयावह एवं अप्रत्याशित ढंग से हिंसा की गई और ऐसे करने वाले गुंडों को सत्तारूढ़ मोदी सरकार की ओर से उकसाया गया है।
आपको बता दें कि हमले के बाद जेएनयू गेट पर पहुंचे कांग्रेस प्रवक्ता उदित राज ने आरोप लगाया है कि बीजेपी के स्थानीय नेता भीड़ का नेतृत्व कर कर रहे थे। बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। उदित राज ने कहा, 'मैं 9:00 बजे जेएनयू जेएनयू गेट पर पहुंच गया था। मैंने वहां देखा कि बीजेपी नेताओं के नेतृत्व में करीब डेढ़ सौ लोग नारे लगा रहे थे - "वामपंथी गुंडों को गोली मारो"। जिस परिस्थिति में जेएनयू छात्रों पर हमला हुआ, उसे लेकर लेफ्ट नेताओं के भी सवाल हैं।
राहुल गांधी ने भी साधा था निशाना
इससे पहले रविवार शाम को ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ से इस हिंसा पर ट्वीट किया गया था। राहुल ने ट्विटर पर लिखा था कि नकाबपोश बदमाशों की ओर से जेएनयू छात्रों और शिक्षकों पर किया गया क्रूर हमला चौंकाने वाला है। इसमें कई गंभीर रूप से घायल हो गए। भारत को फासिस्ट कंट्रोल कर रहे हैं। बहादुर छात्रों की आवाज से फासीवादी ताकतें डर रही हैं। जेएनयू में आज की हिंसा उसी डर को दिखाती है।