सोनिया–राहुल को याद रहेगा बुधवार, 12 अगस्त 2015
नई दिल्ली(ब्यूरो)बुधवार को सोनिया गांधी और राहुल गांधी जल्दी भूल नहीं पाएँगे। कांग्रेस को लोकसभा में देश ने पूरी तरह बेनकाब होते हुए देखा। जिस ललित मोदी मामले को लेकर उसने सुषमा स्वराज के इस्तीफे की मांग को लेकर मानसून सत्र बर्बाद कर दिया उसमें वह खुद कटघरे में खड़ी नजर आई।
यह साफ हो गया है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी अभी तक भी 2014 में हुई करारी हार को पचा नहीं पाए हैं। और नरेंद्र मोदी को प्रधानमन्त्री के तौर पर स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।
देखने लायक चेहरा
सदन और चेयर के साथ साथ देश के प्रधानमंत्री का पूरे सत्र अपमान कराने वाले सोनिया गांधी और राहुल के उस समय चेहरे देखने लायक थे जब सुषमा पानी पी पी कर कांग्रेस के कारनामों का बखान कर रहीं थी। इन्होंने क्यों पूरा सत्र बरबाद किया अब साफ़ हो गया है।
वरिष्ठ पत्रकार ओमकार चौधरी कहते हैं कि एक तो सुषमा और ललित मोदी को मोहरा बनाकर ये प्रधानमंत्री पर प्रहार कर अपनी खुन्नस निकलना चाहते थे। दूसरे किसी भी हालत में जीएसटी बिल पारित नहीं हो-ये सुनिश्चित कर देना चाहते थे।
जीएसटी पारित होने से मोदी सरकार को एक और श्रेय मिलेगा। देश की अर्थव्यवस्था सुधरेगी। बाहर से निवेश और तेजी से आएगा। मोदी सरकार में देश की आर्थिक सेहत और सुधरी तो इनकी सेहत और ख़राब होगी। इसलिए ये प्रपंच रचकर दोनों सदनों को एक तरह से बंधक बनाया गया।
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नहीं है उनका राज
किसी को उन्हें बताना चाहिए कि अब उनका राज नहीं है। मोदी और सुषमा उनके नौकर नहीं हैं कि हर फैसले से पहले 10 जनपथ जाकर नाक रगड़ें कि मेडम इजाजत दे दीजिए। वो जमाना गुजर चुका है। इसे जितनी जल्दी स्वीकार कर लेंगे, सुखी रहेंगे।
किसने भगाया उसे
जिस तरह एंडरसन और क्वात्रोक्की उनके शासनकाल में भगाए गए थे उसी तरह ललित मोदी भी उन्हीं की सरकार के वक्त देश से भागे थे। ये सिद्ध हो चुका है कि कांग्रेस झूठ पर झूठ बोलकर देश को गुमराह कर रही है।
उसने चार साल में ऐसा कुछ नहीं किया जिससे उसे कानूनन वापस लाया जा सके। वह किसी अदालत द्वारा घोषित भगोड़ा भी नहीं है जैसा ये चिल्ला रहे हैं। वो केवल फेमा की जांच का सामना कर रहा है जिसमे किसी की गिरफ़्तारी तक नहीं होती।