Congress President ''फिर वहीं लौट के जाना होगा, बेटे ने कैसी ये रिहाई दी है"
बेंगलुरू। करीब 20 महीने के अंतराल के बाद पूर्व कांग्रेस सोनिया गांधी को एक बार फिर कांग्रेस की कमान सौंप दी गई है. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 16 दिसंबर, 2017 को कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी लोकसभा चुनाव 2019 में 53 सीट सीट जीत पाई.
राहुल गांधी के नेतृत्व में यूपीए गठबंधन 93 सीटों से आगे नहीं बढ़ पाई। हालांकि सोनिया गांधी के नेतृत्व में 16वीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नीत यूपीए गठबंधन को ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा था और कांग्रेस महज 44 सीटों पर सिमट गई और यूपीए गठबंधन को महज 59 सीटों सीटों से संतोष करना पड़ा था।
गौरतलब है 23 मई को लोकसभा 2019 का परिणाम आने के बाद राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन तब उन्होंने मनाने की कोशिश की गई और करीब 7 महीने तक यह रस्साकसी चली और कांग्रेस पार्टी ने नया अध्यक्ष चुनने की जल्दी नहीं हुई।
हार से आहत राहुल गांधी को मनाने में जुटे कांग्रेस के कई कद्दावर नेता लगे हुए थे और रविवार, 11अगस्त को नए अध्यक्ष चुनने के लिए बुलाई गई ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की बैठक में घंटों राहुल को मनाने की भरपूर कोशिश की गई, लेकिन अपनी जिद पर अड़े राहुल गांधी किसी की एक नहीं सुनी। इस बीच कुछ सदस्यों द्वारा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को भी कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने की पेशकश की गई, जिसे सुनते ही उन्होंने मना कर दिया।
उल्लेखनीय है कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनाई गईं सोनिया गांधी के लिए सबसे बड़ा चैलेंज नवंबर माह में झारखंड, महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं और सोनिया गांधी बतौर अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का चुनाव भी विधानसभा चुनाव को देखते हुए किया गया है। 72 वर्षीय नई पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी पर दबाव होगा कि वो डूबने की कगार पर पहुंची पार्टी की नैया को एक अच्छी खिवैया तरह मंझधार से निकालकर पार लगाएं।
वैसे, सोनिया गांधी के नेतृत्व में ही लोकसभा चुनाव 2014 में पार्टी ने ऐतिहासिक हार का सामना किया था और पार्टी महज 44 सीट पर सिमट गई थी जबकि राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी अकेले दम पर 53 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। यही नहीं, राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी पहले कर्नाटक, फिर मध्य प्रदेश और राजस्थान में सत्ता में पहुंचने में कामयाब रही थी।
हालांकि पार्टी के कुछ कद्दावर नेता पार्टी अध्यक्ष पद पर किसी युवा चेहरे को देखना चाहते थे। उनमें पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तो बकायदा ट्वीट करके अपनी इच्छा जाहिर की थी, लेकिन ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने रेस में आगे चल रहे कांग्रेस युवा चेहरों में शामिल ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा पर भरोसा नहीं जताया और सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पास कर दिया।
सूत्र बताते हैं कि अंतरिम अध्यक्ष पद के लिए अपना नाम सुनकर सोनिया गांधी चौंक गईं और उन्होंने खुद के चुनाव पर आश्चर्च जताते हुए पूछा कि कमेटी के सदस्यों ने अचानक ऐसा निर्णय क्यों लिया। सोनिया गांधी ने तत्काल पद लेने से इनकार दिया और सोचने के लिए वक्त मांगा और कमेटी की दलीलों के बाद उन्होंने जिम्मेदारी को स्वीकार लिया।
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