परिवार ने सोचा मर गया है बेटा इसलिए कर दिया था अंतिम संस्कार, कोरोना ने ऐसे मिलवाया
बिहार। कोरोना का संकट जहां विश्व समेत भारत में त्राहिमान मचा रखा हैं वही कोरोना संकट एक परिवार के लिए गुड न्यूज लेकर आया। जिस बेटे को मरा समझ चुके थे उसको अचानक घर के दरवाजें पर खड़ा देखकर मां-बाप की आंखें झलक पड़ी। चार साल बाद खोया बेटा पाकर बूढ़े मां-बाप को अपनी आंखों को मानो यकीन ही नही हो रहा था। उन्हें लगा मानो वो सपना देख रहे हो। बीते चार साल से लापता युवक को घर लौटा देख कर तो परिवार वालों के साथ गांव वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
इस परिवार के लिए गुड न्यूज लेकर आया कोरोना
ये कहानी आपको फिल्मी जरुर लग रही होगी लेकिन ये रील लाइफ की कहानी रीयल लाइफ में हाल ही में सच हुई की हैं। ये शायद ही किसी ने सोचा होगा कि दुनिया भर में अब तक लाखों लोगों की जान लेना वाला कोरोना का कहर किसी परिवार के लिए गुड न्यूज भी लेकर आएगा। लेकिन बिहार के सारण जिला में एक बूढ़े-मां-बाप को उनका खोया बेटा कोरोना के कारण ही मिल सका है।
मृत मानकर मां-बाप कर चुके थे बेटे का अंतिम संस्कार
फिल्मी लेकिन हकीकत में सारण स्थित भेल्दी थाना स्थित मित्रसेन गांव में ऐसा हुआ हैं। चार साल पहले लापता हुए बेटे अजय कुमार को जब यूपी पुलिस लेकर उसके गांव पहुंची तो सभी अचंभित हो गए। वहीं जिस बेटे को मृत मानकर मां-बाप अंतिम संस्कार कर चुके थे उसी बेटे को जिंदा देखकर देखकर सन्न रह गए और थोड़ी देर तक निशब्द खड़े बेटे को निहारते ही रहे।
चार साल तक इसलिए नहीं जा सका था घर
चार साल यूपी से बिहार अपने गांव पहुंचे अजय ने बताया कि लापता होने के बाद वह भटकता हुआ यूपी के बाराबंकी पहुंच गया था। वहां एक अपराध के सिलसिले में उसे साल 2017 में जेल में डाल दिया गया था। उसने इसके बाद घरवालों से कोई संपर्क नहीं हो सका। वहां उसे जमानत देने के लिए कोई नहीं मिला, यहां घरवाले उसे पूरे बिहार में कभी रिश्तेदारों के यहां तो कभी आस-पास में ढूंढते रहे। समय बीतता गया और उसके साथ उसके वापस आने की उम्मीद कम होती गई। घरवालों ने बेटे का मानकर उसका श्राद्धकर्म कर दिया।
कोर्ट के इस आदेश पर छोड़ गया
देश पर छाए कोरोना संक्रमण के चलते सुप्रीम कोर्ट ने देश भर की जेलों में बंद उन कैदियों को पैरोल पर छोड़ने का आदेश दे दिया जो सात साल के अंदर तक की सजायाफता हैं। कोरोना संक्रमण के कारण कोर्ट ने कुछ कैदियों को पैरोल पर रिहा किया। इन कैदियों में अजय भी था जिसे कोरोना के चलते छोड़ा गया था। इसके बाद यूपी पुलिस उसे लेकर उसके गांव भेल्दी लेकर पहुंची थी
लोग कह रह कोरोना ने ही उसे घर तक पहुंचा दिया
अजय के बूढ़े पिता बाबू लाल दास ने कहा कि कोरोना संकट के बाद और लॉकडाउन हटने के बाद बाराबंकी जाकर पूरा केससमझेंगे। बता दें अजय कुमार के खिलाफ दर्ज केस में अपना पक्ष नहीं रख पाने तथा जमानत नहीं होने के कारण वह इतने दिनों तक जेल में रहा। परिवार वालों ने बताया कि अजय मानसिक रूप से बीमार है। वह पहले भी घर से भागता रहा था, लेकिन इस बार तो उन्हें वापस लौटने की उम्मीद ही खो चुके थे। बिछुड़े अजय को इस तरह सामने देखना परिवार वालों के लिए अविश्वसनीय लगती हकीकत थी तो गांव वालों के लिए यह किसी फिल्मी कहानी का सच होना।अजय की इस कहानी की चर्चा करते हुए लोग ये ही कह रहे हैं कि कोरोना ने ही उसे घर तक पहुंचा दिया और बूढ़े मां-बाप को उनका सहारा मिल गया।
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