Gujarat election 2017: राहुल और मोदी में किसको मिलेगा सोमनाथ का आशीर्वाद?
नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनाव में भले ही कितने ही मुद्दे छाए हों, पर घूम फिर कर एक मुद्दा गर्मा ही जाता है कि हिंदू मुस्लिम वोट बैंक किसका है और कौन हिंदुत्व की लड़ाई लड़ रहा है या फिर कौन इसका असली हिमायती है। बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही इस मुद्दे पर खेल रहे हैं और बाजी अपनी ओर मोड़ लेना चाहते हैं। यही वजह है कि गुजरात चुनाव से मुस्लिम मुद्दा नदारद है और दोनों ही दल न तो मस्जिद का रुख कर रहे हैं और न चर्च का। केवल मंदिरों के दर्शनों की होड़ है और इसी पर एक दूसरे को घेरने की रणनीति भी।
कांग्रेस ने इस चुनाव में मंदिर की राजनीति शुरू की
खास तौर से कांग्रेस ने इस चुनाव में मंदिर की राजनीति शुरू की और राहुल गांधी ने अपने हर दौरे में किसी न किसी मंदिर के दर्शन कर ये जताने की कोशिश की है कि वो हिंदुओं के हिमायती है और ईश्वर पर भरोसा रखते हैं। ये केवल बीजेपी या उनके नेताओं के लिए नहीं हैं। उधर बीजेपी को ये जताने की जरूरत पहले से ही नहीं रही लेकिन अब ये मुद्दा फिर से बड़ा हो गया है। बीजेपी ने सोमनाथ मंदिर के बहाने एक तीर से दो निशाने साधने की रणनीति चली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि जिन लोगों को अब सोमनाथ याद आ रहे हैं उनके पिता के नाना ने सोमनाथ मंदिर उद्धार पर आपत्ति जताई थी। यहां तक कि जब सरदार वल्लभ भाई पटेल ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को मंदिर के उदघाटन का न्यौता दिया तो भारत के पहले प्रधानमंत्री डॉ. जवाहर लाल नेहरू ने विरोध किया था। एक तरह से पटेल समाज को याद दिलाया जा रहा है कि आज जो कांग्रेस उसकी हितैषी बन रही है उसके वरिष्ठ नेताओं का क्या रवैया रहा। पटेल समाज के नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल थे जबकि पं. नेहरू उनके कार्यों का विरोध कर रहे थे। यदि सरदार पटेल न होते तो सोमनाथ मंदिर इस रूप में न होता जो आज विश्व भर में जाना जाता है।
क्या राहुल हिंदू नहीं है ?
मोदी ने जब ये मुद्दा उठाया तब राहुल गांधी सोमनाथ मंदिर में मत्था टेक रहे थे। एक तरफ मोदी का निशाना तो दूसरी तरफ अहमद पटेल के चक्कर में वो दूसरी आफत में फंस गए। दरअसल सोमनाथ मंदिर में नियम है कि जो हिंदू नहीं है उसे नाम पता और हस्ताक्षर करने होते हैं। कांग्रेस के मीडिया कॉर्डिनेटर मनोज त्यागी ने न केवल अहमद पटेल का नाम उसमें दर्ज किया बल्कि राहुल गांधी का नाम भी उसी रजिस्टर में लिख दिया। बस फिर क्या था, ये मुद्दा थोड़ी ही देर में वायरल हो गया। आखिर क्या राहुल हिंदू नहीं है और हैं तो फिर उस रजिस्टर में नाम क्यों लिखा गया जो गैर हिंदुओं के लिए हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला भले ही अब सफाई दे रहे हैं कि वो केवल हिंदू ही नहीं बल्कि जनेऊधारी हिंदू हैं लेकिन कांग्रेस इस मामले से दवाब में आ गई। इसमें कोई दो राय नहीं कि विजिटर बुक में राहुल गांधी ने खुद एंट्री की है और उसमें उन्होंने सोमनाथ को प्रेरणादायी बताया है और दस्तखत किए हैं लेकिन दूसरे रजिस्टर में एंट्री मनोज त्यागी ने की है। उसमें राहुल गांधी जी लिखा गया है फिर अहमद पटेल का नाम है। दोनों के आगे मीडिया कॉर्डिनेटर ने अपना नाम और दस्तखत किए हैं।
सोमनाथ का आशीर्वाद असल में किसको मिलेगा
सोमनाथ मंदिर, पाटीदार समाज और वल्लभ भाई पटेल को कांग्रेस भी जोड़ना चाह रही है और बीजेपी भी। इस बार बहुत कुछ दारोमदार पाटीदार समाज पर भी है और इस समाज के लिए सोमनाथ मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है। ऐसे में सोमनाथ मंदिर, सरदार वल्लभाई पटेल और राहुल के हिंदू होने का सवाल भी सुर्खियों में हैं। सोमनाथ का आशीर्वाद असल में किसको मिलता है, इसके लिए मतगणना का इंतजार करना होगा।