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ग़रीबी के चलते कभी फ़िनाइल की गोलियां, तो कभी डिटर्जेंट पाउडर बेचा करता था: गुलशन ग्रोवर

हिंदी फ़िल्मों में 'बैडमैन' नाम से मशहूर अभिनेता गुलशन ग्रोवर भी अपने दूसरे सहयोगियों की श्रेणी में आ चुके हैं. अपने मित्र नसीरुद्दीन शाह, शत्रुघ्न सिन्हा और ऋषि कपूर की तरह उनकी ज़िन्दगी भी अब खुली किताब बनने जा रही है. गुलशन ग्रोवर की ज़िंदगी के पन्नों को खोलने वाली किताब जिसका शिर्षक है 'बैडमैन', बहुत जल्द आप सबके सामने पेश होने वाली है.

By मधु पाल
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GULSHAN GROVER

हिंदी फ़िल्मों में 'बैडमैन' नाम से मशहूर अभिनेता गुलशन ग्रोवर भी अपने दूसरे सहयोगियों की श्रेणी में आ चुके हैं.

अपने मित्र नसीरुद्दीन शाह, शत्रुघ्न सिन्हा और ऋषि कपूर की तरह उनकी ज़िन्दगी भी अब खुली किताब बनने जा रही है.

गुलशन ग्रोवर की ज़िंदगी के पन्नों को खोलने वाली किताब जिसका शिर्षक है 'बैडमैन', बहुत जल्द आप सबके सामने पेश होने वाली है.

पत्रकार रोशमिला भट्टाचार्य द्वारा लिखी गई इस बायोग्राफ़ी में गुलशन ग्रोवर की ज़िंदगी से जुड़े कई क़िस्सों-कहानियों के साथ-साथ उनकी उस ग़रीबी का भी ज़िक्र होगा, जब उन्हें दो वक़्त का खाना तक नसीब नहीं हुआ करता था.

GULSHAN GROVER

ग़रीबी से कभी नहीं घबराया

बीबीसी से ख़ास बातचीत में अभिनेता गुलशन ग्रोवर ने अपनी ज़िंदगी के बारे में कहा, "मैंने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे. मेरा बचपन बुरे हालातों में गुज़रा. मुझे आज भी याद है कि मेरा स्कूल दोपहर का था. लेकिन मैं सुबह ही बस्ते में स्कूल की यूनिफॉर्म रखकर घर से निकल जाया करता था."

ग्रोवर कहते हैं, "हर सुबह मैं अपने घर से दूर बड़ी-बड़ी कोठियों में बर्तन और कपड़े धोने वाला डिटर्जेंट पाउडर बेचा करता था. कभी डिटर्जेंट पाउडर, तो कभी फ़िनाइल की गोलियां, तो कभी पोछे. ये सब बेचकर पैसा कमाता था, जिससे स्कूल का ख़र्चा निकल सके. उन कोठियों में रहने वाले मुझसे सामान ख़रीद भी लिया करते थे, क्योंकि वो सब चाहते थे कि मैं अपनी आगे की पढ़ाई कर सकूं. मेरी ग़रीबी से मैं कभी घबराया नहीं. इसकी सबसे बड़ी वजह है मेरे पिता. जिन्होंने हमेशा हमें ईमानदारी और मेहनत के रास्ते पर चलना सिखाया."

GULSHAN GROVER

स्ट्रगल के दौरान कई दिन भूखा रहना पड़ा

गुलशन कहते हैं, "मैंने अपनी किताब में कई बातों का ज़िक्र किया है. सबसे ज़्यादा दर्द मुझे अपनी किताब में माता-पिता से जुड़ी यादों का ज़िक्र करने में हुआ. उन दिनों हमारे पास खाने के लिए भी पैसे नहीं थे. कई दिन भूखे रहना पड़ा. मुझे इस बात को कहने में कोई शर्म नहीं है कि कॉलेज तक हमारा हाल यही रहा और जब एक्टिंग के लिए मुंबई आया, तब भी कई बार भूखा ही रहा. हर दिन यही सोचता था कि आज का दिन कहा निकालूं, कहा जाऊं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. जीतने की कोशिश करता रहा. परिणाम आप सबके सामने है."

GULSHAN GROVER

रॉकी फ़िल्म से मिला पहला ब्रेक

कहा जाता है कि दिल्ली के एक पंजाबी परिवार में जन्मे गुलशन ने 1980 में आई फ़िल्म 'हम पांच' से एक्टिंग डेब्यू किया था, लेकिन ऐसा नहीं है.

गुलशन बताते है, "मेरी पहली फ़िल्म 'हम पांच' नहीं रॉकी थी. जिसकी शूटिंग पहले शुरू हुई थी. मुझे अभिनय का बहुत शौक़ था, इसलिए थिएटर करता रहा और खलनायक के किरदारों के लिए मैंने प्रेम नाथ, प्राण, अमरीश पुरी, अमजद ख़ान, सभी को देखकर बहुत कुछ सीखा. उन सभी को देख मैंने अपनी अलग पहचान बनाई. इसलिए अलग काम और अलग स्टाइल बनाने की कोशिश की. देखते ही देखते मैं एक ज़बरदस्त खलनायक बन गया. आज इतने सालों बाद जब खलनायकों को लोग भूल गए हैं, ऐसे में लोगों के प्यार और दुआओं की वजह से मुझे फिर से मौक़े मिल रहे हैं. मैं सूर्यवंशी, सड़क 2 जैसी बड़ी फ़िल्मों में खलनायक की भूमिका निभा रहा हूं."

GULSHAN GROVER

सहयोगी मेरे रास्ते को फॉलो कर रहे हैं

गुलशन ग्रोवर का मानना है कि वो पहले भारतीय अभिनेता हैं, जिन्होंने हॉलीवुड फ़िल्मों में बहुत पहले ही अपना हाथ आज़मा लिया था.

उनकी पहली हॉलीवुड फ़िल्म 'द सेकंड जंगल बुक: मोगली एंड बल्लू' साल 1997 में ही रिलीज़ हुई थी.

विदेशी फ़िल्मों में काम करने का ये सफ़र आज भी बरक़रार है. उन्होंने जर्मन, ऑस्ट्रेलियन, पोलिश, कनेडियन, ईरानी, मलेशियन, ब्रिटेन और नेपाली फ़िल्मों सहित भारत की भी विभिन्न भाषाओं में भी काम किया है.

गुलशन का कहना है, "उनका विदेशी फ़िल्मों में काम करने का ये सफ़र क़त्तई आसान नहीं था. मैंने बॉलीवुड और हॉलीवुड के बीच एक मिट्टी का रास्ता बनाया और आज मुझे ख़ुशी है और फ़ख़्र है कि मेरे सहयोगी प्रियंका चोपड़ा, अनुपम खेर और इरफ़ान ख़ान उस मिट्टी के रास्ते को फॉलो कर और मज़बूत बना रहे हैं."

GULSHAN GROVER

अफ़सोस था कि वो लोग भारतीय सिनेमा को नहीं जानते थे

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए गुलशन कहते हैं, "विदेशी फ़िल्मों में काम करना मेरे लिए बहुत मुश्किल था, क्योंकि जब मैंने विदेशी फ़िल्मों में काम करने की शुरुआत की थी तब इंटरनेट नहीं था. हमारी फ़िल्मों को देखा नहीं गया था. वहां के निर्देशक, कलाकार और निर्माता नहीं जानते थे कि गुलशन ग्रोवर कोई अभिनेता हैं. इस बात में कोई हैरानी नहीं थी. लेकिन वो लोग अमिताभ बच्चन और शाहरुख़ ख़ान को भी नहीं जानते थे और तो और बड़े-बड़े फ़िल्म मेकर को भी नहीं जानते थे."

वो बताते हैं, "वो उन्हीं फ़िल्मों को जानते थे जो किसी फ़िल्म फ़ेस्टिवल में दिखाई गई होती थी. कभी-कभार किसी फ़िल्म फ़ेस्टिवल में सत्यजीत रे की और चुनिंदा फ़िल्में ही वो देख पाते थे. बहुत अफ़सोस होता था कि वो लोग भारतीय सिनेमा को नहीं जानते थे. इसलिए मेरे लिए ये बता पाना बहुत मुश्किल था कि मैं अभिनेता हूं. मैंने कई ऑडिशन दिए और जब कभी सेलेक्ट हुआ तब उनसे कहता था कि मैं फ़िल्म की शूटिंग शुरू होने से पहले आऊंगा और शूटिंग ख़त्म होते ही वापस चला जाऊंगा."

"मेरी ये बात सुनकर वो कहते थे कि तुम ऐसा नहीं कर सकते, तुम्हें कभी भी बुलाया जा सकता है. ऐसे में मैं उनसे यही कहता कि यहां तो मैं एक या दो ही फ़िल्म कर रहा हूं. लेकिन भारत में मुझे एक साथ 20 फ़िल्मों की शूटिंग करनी है और निर्देशकों और निर्माताओं का पैसा लगा है. मैं उन्हें धोका नहीं दे सकता अगर आपको मंज़ूर है तो मुझे काम दीजिए."

गुलशन ग्रोवर की किताब 'बैडमैन' का लॉन्च भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने दिल्ली में किया. इस दौरान गुलशन ग्रोवर के क़रीबी मित्र अभिनेता जैकी श्रॉफ़ और सुनील शेट्टी भी मौजूद रहे.

BBC Hindi
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English summary
Sometimes used to sell detergent powder and phanel pills due to poverty: Gulshan Grover
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