कोरोना लॉकडाउन से थोड़ी राहत चाहते हैं कुछ अहम मंत्रालय, गृहमंत्रालय को लिखा खत
नई दिल्ली- मंगलवार को 21 दिनों के राष्ट्रीय लॉकडाउन का समय पूरा हो रहा है। लेकिन, पूरी संभावना है कि पीएम मोदी इसे 30 अप्रैल तक जारी रखने की घोषणा कर सकते हैं। इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए कुछ अहम केंद्रीय मंत्रालयों ने गृहमंत्रालय को खत लिखकर सुझाव दिया है कि जरूरी सुरक्षा उपायों को अपनाते हुए उनके मंत्रालयों से संबंधित कुछ आवश्यक गतिविधियों को शुरू करने की इजाजत दी जाए। खास बात ये है कि शनिवार को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संकेत दिए थे कि अगर लॉकडाउन बढ़ाया भी जाता है तो इसमें कुछ जरूरी सेक्टर्स को काम शुरू करने की इजाजत भी दी जा सकती है, ताकि अर्थव्यवस्था की गाड़ी भी पटली पर धीरे-धीरे आगे बढ़ना शुरू कर दे।
वाणिज्य मंत्रालय ने भेजे सुझाव
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि अगर लॉकडाउन बढ़ाया जाता है तो उसे जरूरी और एहतियाती सुरक्षा उपायों के साथ कुछ औद्योगिक गतिविधियां चलाने की मंजूरी दी जाए। मसलन, ऑटो, टेक्सटाइल्स, डिफेंस, इलेक्ट्रोनिक्स और दूसरे सेक्टर में आंशिक तौर पर निर्माण की मंजूरी मिलनी चाहिए। ये सुझाव उसने गृह मंत्रालय को भेजे एक खत में दिए हैं। वाणिज्य सचिव गुरुप्रसाद महापात्रा ने इस खत में लिखा है, '....अगर केंद्र सरकार लॉकडाउन बढ़ाने और उसकी प्रकृति पर अंतिम फैसला लेती है तो ऐसा महसूस किया जा रहा है कि आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ कुछ और गतिविधियों को मंजूरी मिलनी चाहिए।' उनके मुताबिक, 'मुझे विश्वास है कि कृषि मंत्रालय समेत कुछ और मंत्रालय भी इस मामले में अलग से गृह मंत्रालय से संपर्क कर रहे होंगे कि फसल कटाई जैसी गतिविधियों पर विचार किया जाय, जो कि बहुत ही आवश्यक है।'
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कम से कम कर्मचारियों में सुनिश्चित हो काम
इस तरह के सुझाव मंत्रालय और कई राज्यों और औद्योगिक संगठनों से हुई बातचीत के आधार पर दिए गए हैं। इस खत में सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजेशन और दूरी बनाए रखने जैसी बातों पर भी जोर दिया गया है। मसलन सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के लिए मंत्रालय ने कम कर्मचारियों के साथ कम शिफ्टों में काम करवाने का भी सुझाव दिया है ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सुनिश्चित हो सके। मंत्रालय ने सुझाया है कि टेक्सटाइल्स और ऑटोमोबाइल्स कंपनियों में एक शिफ्ट में काम करने की इजाजत दी जा सकती है। इसी तरह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योंगों को भी कम से कम कर्मचारियों के साथ काम शुरू करने की अनुमति दी जा सकती है, ताकि वो अपने निर्यात के वादों को पूरा कर सकें।
केंद्रीय मंत्रियों ने दफ्तरों से शुरू किया काम
इसी तरह टेलीकॉम उपकरण बनाने वाली कंपनियों, स्टील कंपनियों, सीमेंट, पेपर, खाद्य और पेय पदार्थ बनाने वाले उद्योगों को भी कोरोना वायरस से बचाव के उपायों के साथ कम से कम कर्मचारियों के साथ शुरू करने को कहा जा सकता है। खत में हाउसिंग एंड कंस्ट्रक्शन,स्ट्रीट वेंडर्स और घरेलू उपकरणों एवं मोबाइल फोन की रिपेयरिंग की भी मंजूरी दी जाने की वकालत की गई है। खास बात ये है कि पिछले शनिवार को मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में पीएम मोदी ने खुद संकेत दिया था कि अगर लॉकडाउन बढ़ाने का फैसला होता भी है तो इन सब बातों को ध्यान में रखा जाएगा। क्योंकि, पीएम मोदी ने कहा था- जान भी और जहान भी जरूरी है। जबकि, इससे पहले वाले बयान में उन्होंने कहा था जान है तो जहान है। शायद लॉकडाउन की रणनीति में बदलाव के तहत ही उनके निर्देश पर सोमवार सुबह से ही अति आवश्यक कर्मचारियों के साथ ही केंद्रीय मंत्रियों ने अपने दफ्तरों से कामकाज शुरू कर दिया है।
हाइवे प्रोजेक्ट पर भी काम शुरू करने पर विचार
बता दें कि तेलंगाना, महाराष्ट्र, पंजाब और ओडिशा पहले ही कोरोना वायरस लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक बढ़ाने का ऐलान कर चुके हैं। उधर केंद्रीय हाइवे और ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी ने भी कहा है कि राज्यों से हाइवे निर्माण प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने के बारे में बात हो रही है ताकि लॉकडाउन की वजह से बेरोजगार हुए हजारों प्रवासी मजदूरों को काम मिल सके। गडकरी ने कहा है, 'प्रोजेक्ट पर काम फिर से शुरू किया जा सकता है बशर्ते कि कोरोना वायरस से बचाव के पुख्ता सुरक्षा इंतजाम अपनाए जाएं। कुछ जगहों पर कलेक्टरों ने इजाजत दी है कुछ ने नहीं दी है। हम राज्यों के मुख्य सचिवों से लगातार चर्चा कर रहे हैं।' बता दें कि अर्थशास्त्री पहले ही आगाह करते रहे हैं कि पहले से ही अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार में कोरोना वायरस की वजह से बहुत ज्यादा नुकसान झेलना पड़ सकता है, जिससे बेरोजगारी बहुत गंभीर संकट की तरह उभर सकती है।
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