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राजस्थान में जाट नेता कांग्रेस और बीजेपी को पहुंचा सकते हैं बड़ा नुकसान

By विनोद कुमार शुक्ला
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नई दिल्ली। पिछले कई चुनावों के विपरीत, राजस्थान में विधानसभा चुनाव मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी के लिए द्विपक्षीय चुनाव नहीं हैं। घनश्याम तिवारी की भारत वाहिनी पार्टी और हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतंत्रिक पार्टी इन चुनावों को पूरी ताकत से लड़ रही है। लेकिन बेनीवाल जैसे खिलाड़ी कांग्रेस और बीजेपी दोनों को इस चुनाव में अधिक नुकसान पहुंचाएंगे। बता दें बनीवाल पिछले चुनावों में बीजेपी के पक्ष थे, 2013 के चुनावों में वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर नागौर सीट से चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे थे।

बेनीवाल की पार्टी ने कुल 65 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा

बेनीवाल की पार्टी ने कुल 65 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा

लेकिन अब हनुमान बेनीवाल मे अपनी खुद की पार्टी राष्टीय लोकतांत्रिक पार्टी को इन चुनावों नें उतारा है। राजस्थान विधानसभा चुनावों में बेनीवाल की पार्टी ने कुल 65 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इसलिए उनके पास कांग्रेस और बीजेपी की संभावनाओं को खराब करने की ताकत है। बेनीवाल जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। राज्य में जातिगत राजनीति इस समय अपने चरम पर है। उन्होंने रणनीतिक तौर पर सबसे अधिक अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को चुना है। इन चुनावों में उन्होंने जाट और एससी का संयोजन बनाया है जो कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है।

राज्य में जातिगत राजनीति अपने चरम पर है

राज्य में जातिगत राजनीति अपने चरम पर है

वह इन चुनावों एक जातियों से जुड़ा एक खेल खेल रहे हैं। जिसे राज्य की दोनों प्रमुख पार्टियों नजरअंदाज कर रही हैं। जाट के लिए आरक्षण की मांग के लिए उनकी लड़ाई जनता के बीच जगजाहिर है। बेनीवाल 2008 में राजस्थान विधानसभा के लिए भाजपा टिकट पर चुने गए थे, लेकिन वह वसुंधरा राजे के साथ नहीं गए और 2013 के चुनाव में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में जीते थे। जयपुर में उनकी रैली ने उन्हें राज्य में एक महत्वपूर्ण जाट नेता बना दिया जिसके बाद कांग्रेस और बीजेपी नेताओं ने समर्थन के लिए उनके दरवाजे खटखटाना शुरू कर दिए थे।

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 जाट बेनीवाल के पक्ष में एकजुट हो रहे हैं

जाट बेनीवाल के पक्ष में एकजुट हो रहे हैं

दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने राज्य में कई विद्रोहियों को अवसर दिए हैं। अब जाट बेनीवाल के पक्ष में एकजुट हो रहे हैं क्योंकि दोनों पक्षों कांग्रेस और बीजेपी के कई नेताओं ने उनके साथ हाथ मिलाया है। वह वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत को अपनी रैलियों में निशाना बनाते आ रहे हैं। वह अपनी रैलियों में अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे को राज्य से बहार कर देंगे। लेकिन राजनीतिक विश्लेषक का मानना है कि वह नागौर जिले में कुछ करिश्मा कर सकते हैं लेकिन उससे अलावा कुछ भी संभव नहीं है। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि वह बीजेपी और कांग्रेस को कुछ सीटों पर नुकसान जरूर पहुंचाएगे।

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English summary
पिछले कई चुनावों के विपरीत, राजस्थान में विधानसभा चुनाव मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी के लिए द्विपक्षीय चुनाव नहीं हैं।
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