सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस: स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सभी 22 आरोपियों को बरी किया
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सभी 22 आरोपियों को बरी किया
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नई दिल्ली। बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया। फैसला सुनाते हुए सीबीआई जज ने कहा कि साजिश और हत्या साबित करने के लिए मौजूद गवाह और सबूत संतोषजनक नहीं हैं, अदालत ने यह भी पाया है कि परिस्थिति संबंधी साक्ष्य भी पर्याप्त नहीं है। जज ने कहा कि तुलसीराम प्रजापति की हत्या की साजिश का आरोप सच नहीं है। सबूतों के अभाव में विशेष सीबीआई अदालत ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि सरकारी मशीनरी और अभियोजन पक्ष ने बहुत प्रयास किए, 210 गवाहों को लाया गया लेकिन संतोषजनक सबूत नहीं मिले और गवाह अपने बयानों से मुकर गए। अगर गवाह नहीं बोलते हैं तो प्रोसेक्यूटर की कोई गलती नहीं है।
साल 2005 के इस एनकाउंटर केस में 22 आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे थे, जिनमें अधिकांश पुलिसकर्मी थे। इस केस की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के 92 गवाह अपने बयानों से मुकर गए। विशेष न्यायधीश एसजे शर्मा ने आखिरी दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इस केस में गुजरात और राजस्थान के कई पुलिस अधिकारी शामिल हैं। इस केस में अभियोजन पक्ष का आरोप था कि सोहराबुद्दीन का संबंध आतंकी संगठन से था और वह गुजरात के किसी बड़े राजनेता की हत्या की साजिश रचने का काम कर रहा था।
इस केस की सुनवाई के दौरान आरोपियों ने बार-बार अपने आप को बेगुनाह बताया था।सोहराबुद्दीन और तुलसी प्रजापति मुठभेड़ मामले में गवाहों के बयान खत्म होने के बाद कोर्ट में आरोपी पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए गए थे। पुलिस इंस्पेक्टर एनएच डाबी ने भी बयान दर्ज कराए थे। सभी आरोपियों ने खुद को निर्दोष बताया था और मामले में पुलिस और राजनेताओं के कनेक्शन की बात कही है।
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सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में कुल 37 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जबकि 2014 में 16 लोगों को बरी कर दिया गया था। बरी होने वालों में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह (तत्कालीन गृह मंत्री, गुजरात), पुलिस अफसर डी. जी. बंजारा भी शामिल हैं।
सोहराबुद्दीन शेख और कौसर बी का 2005 में एनकाउंटर हुआ था। इस मामले की जांच और सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गुजरात में इस केस की जांच को प्रभावित किया जा रहा था और केस को 2012 में मुंबई ट्रांसफर कर दिया था।