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सोशल: भारत में समलैंगिक सम्बन्धों को कानूनी मान्यता मिल पाएगी?

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक सम्बन्धों को लेकर एक अहम कदम बढ़ाया है.

By BBC News हिन्दी
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एलजीबीटी समुदाय
Getty Images
एलजीबीटी समुदाय

भारत में समलैंगिक समाज के लिए अच्छी ख़बर सामने आ रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि समलैंगिक सम्बन्धों को अपराध ठहराने वाली आईपीसी की धारा-377 पर फिर से विचार किया जाएगा.

जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय जजों की बेंच ने सोमवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट धारा-377 की संवैधानिकता की समीक्षा करेगा.

कोर्ट ने इस बारे में केंद्र सरकार को नोटिस भी भेजा है. अदालत ने यह कदम एलजीबीटी (लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल और ट्रांसजेंडर) समुदाय के पांच लोगों की याचिका के जवाब में उठाया है.

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याचिकाकर्ताओँ का कहना था कि उन्हें अपने सेक्शुअल ओरिएंटेशन की वजह से हमेशा पुलिस और लोगों के डर में जीना पड़ता है.

क्या है धारा-377

मौजूदा वक्त में भारत में दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बनाए गए समलैंगिक सम्बन्धों को दंडनीय अपराधों की श्रेणी में रखा गया है. अपराध साबित होने पर 10 साल तक की जेल से लेकर उम्रकैद तक की सज़ा हो सकती है.

समलैंगिक समुदाय
Getty Images
समलैंगिक समुदाय

आईपीसी की धारा-377 में कहा गया है कि किसी पुरुष, महिला या जानवर के साथ 'अप्राकृतिक सम्बन्ध' बनाना अपराध है. भारत में यह कानून वर्ष 1861 यानी ब्रिटिश राज के वक़्त से चला आ रहा है.

क्यों होता है विरोध

समलैंगिक समाज और जेंडर मुद्दों पर काम करने वालों का कहना है कि ये कानून लोगों के मौलिक अधिकार छीनता है. उनका तर्क है कि किसी को उसके सेक्शुअल ओरिएंटेशन के लिए सज़ा दिया जाना उसके मानवाधिकारों का हनन है.

पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने भी माना था कि किसी का सेक्शुअल ओरिएंटेशन उसका निजी मसला है और इसमें दखल नहीं दिया जा सकता.

कोर्ट ने यह भी साफ़ किया था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है और संविधान के तहत दिए गए राइट टु लाइफ़ ऐंड लिबर्टी (जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार) में निहित है.

साल 2009 में दिल्ली हाईकोर्ट ने समलैंगिक सम्बन्धों को गैर-आपराधिक करार दिया था लेकिन बाद में 2013 में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जीएस सिंघवी और एसजे मुखोपाध्याय ने इस फ़ैसले को उलट दिया था.

सोशल मीडिया पर हलचल

सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा-377 पर दोबारा विचार किए जाने की ख़बर सामने आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर #LGBT और #377 ट्रेंड कर रहा है.

यूजर सायरा शाह ने ट्वीट करके कहा कि ये सुप्रीम कोर्ट की शानदार शुरुआत है. वहीं, मेहर कहती हैं, "उम्मीद है कि आखिरकार वो सेक्शन-377 को ख़त्म कर देंगे."

यूजर श्वेता मिश्रा ने लिखा, "उम्मीद करती हूं कि नतीजा सकारात्मक होगा. मेरे हाथ दुआओं में जुड़े हैं."

सतप्रीत रिहाल ने ट्वीट किया, "मैं एक गे ब्रिटिश युवक हूं और मेरे माता-पिता भारतीय हैं. मुझे उम्मीद है कि ये बराबरी के लिए उठाया गया एक कदम है."

वहीं, कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें लगता है कि अगर समलैंगिक सम्बन्धों को गैर-आपराधिक घोषित कर दिया जाएगा तो समाज में अपराधों की संख्या बढ़ जाएगी.

एक अन्य यूजर आर्या कहती हैं, "अगर 377 को संवैधानिक घोषित कर भी दिया जाता है तो इसमें कुछ वाज़िब शर्तें होनी चाहिए. जेंडर के नाम पर अश्लीलता फैलाने और ख़ुद को एलजीबीटी की तरह दिखाने के बजाय आम इंसान की तरह दिखाएं."

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English summary
Social: Will gay relations be recognized in India
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