सोशल: 'अटल जी के विरोधी मिल जाएंगे लेकिन कोई उन्हें...'
अटल बिहारी वाजपेयी के 93वें जन्मदिन पर जानिए किसे बेहतर प्रधानमंत्री मानते हैं सोशल मीडिया यूजर्स?
भारतीय जनता पार्टी ने अब तक देश को दो प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी दिए हैं. ऐसे में अक्सर ही दोनों नेताओं की उनके काम के आधार पर तुलना की जाती है.
नरेंद्र मोदी को लड़कर चुनाव जीतने वाला नेता बताया जाता है तो वहीं देश के पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी को भारत के अलग-अलग समुदायों का दिल जीतने वाला नेता बताया जाता है.
बीबीसी हिंदी ने अटल बिहारी वाजपेयी के 93वीं जन्मदिन पर 'कहासुनी' के जरिए अपने पाठकों से पूछा कि उनकी नज़र में अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी दोनों में से प्रधानमंत्री पद की ज़िम्मेदारी किसने बेहतर ढंग से निभाई.
लोगों ने फ़ेसबुक और ट्विटर जैसे अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर इस बारे में अपनी राय जाहिर की.
फेसबुक पर आफ़्ताब पठान कहते हैं, "पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का जितना भी सम्मान करें वो कम ही रहेगा क्योंकि उन्होंने कभी भी अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए सरकारी खजाने का दुरुपयोग नही किया और हमेशा सच बोलते थे."
वहीं, एक अन्य फेसबुक यूज़र रविकांत मिश्रा दोनों नेताओं की कार्यशैली पर टिप्पणी कर रहे हैं, "मोदी जी और अटल जी मे यही अंतर है कि मोदी जी अपने दुश्मनो को कोई मौका नही देते हैं जबकि अटल जी भावनाओ में आकर बख़्श देते थे, 1999 इसका उदाहरण है."
प्रियांश मिश्रा फ़ेसबुक पर लिख रहे हैं, "प्रधानमंत्री के रूप में मोदी से हज़ार गुना बेहतर हैं अटल जी. मोदी जी को झूठ बोलने में महारत हासिल है पर अटल जी सदैव निष्पक्ष रहे. जितना कहा किया, फेंके नहीं लंबी लंबी, बस काम किया."
वहीं, ट्विटर पर रिजवान पठान लिखते हैं, "अटल बिहारी वाजपेयी जी बेहतर है क्योंकि अटल जी ने कभी भी प्रधानमंत्री रहते प्रधानमंत्री के पद की गरिमा नहीं खोई. हमारे देश की जनता से कभी छल कपट नहीं किया. उनसे झूठे वादे नहीं किये. जनता से झूठ बोलकर वोट नहीं लिए. जनता को कभी ठगा नहीं. आज के समय में भारत की जनता मित्रों और भाईयों बहनों सुन सुन के आपने आपको ठगा महसूस कर रही है."
अत्री कुमार तिवारी ट्विटर पर कहते हैं, "बेशक अटल जी क्योंकि वो सिद्धान्तों की राह पर चलकर दुश्मनों को पटखनी देने में विश्वास रखते थे."
मंजरी इमाम ट्विटर पर बताते हैं, "दोनों ही धार्मिक खाई बढ़ाए हैं लेकिन अटल जी फेकू नहीं थे."
'अटल-मोदी की तुलना नहीं हो सकती'
सोशल मीडिया पर अपनी राय देने वालों में कई लोग ऐसे थे जिन्हें दोनों नेताओं की तुलना उचित नहीं लगी.
ट्विटर पर रईस पठान नाम के यूज़र कहते हैं, "दोनों में तुलना ही ग़लत है अब्राहम लिंकन और हिटलर में."
फेसबुक पर अखिलेश यादव कहते हैं, "दोनों महापुरुषों की तुलना नहीं की जा सकती हैं. एक थे जो सबकी सुनते थे. दूसरे हैं सिर्फ़ अपनी सुनते हैं अटल जी महान है.
वहीं प्रियांश मिश्रा कहते हैं, "मोदी से अटल जी की तुलना करके अटल जी की गरिमा मत गिराओ."
ट्विटर पर बीएल सोनी बताते हैं कि जैसे पिक्चर बनाने वाले जनता की रुचि का विषय देख कर पिक्चर बनाते हैं वैसे ही मोदी जी जनता को जो पसंद है (जुमले) (झूठ) वही परोसते हैं. अटल जी में यह महारत कम थी.
वहीं, ट्विटर यूज़र अभिषेक कहते हैं, "जनता के बीच में भी अटल जी के राजनैतिक विरोधी मिल जायेंगे लेकिन उन्हें कोई धूर्त, मक्कार, झूठा, नाटकबाज, जुमलेबाज कहता नहीं मिलेगा."