#OROP:सिर्फ 5,000 रुपए के लिए एक सैनिक कर सकता है आत्महत्या ?
आत्महत्या से पहले रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर से मुलाकात के लिए जाने वाले थे रिटायर सूबेदारसूबेदार राम किशन ग्रेवाल। सूबेदार ग्रेवाल की मौत से जुड़े कई सवाल अब भी हैं अनसुलझे।
नई दिल्ली। रिटायर सूबेदार राम किशन ग्रेवाल की आत्महत्या के बाद सियासी घमासान तेज हो गया है। लेकिन वहीं उनकी मौत से जुड़े कुछ ऐसे सवाल भी हैं जो मौत की वजहों पर सोचने को मजबूर कर देते हैं। सबसे पहली वजह है कि क्या सूबेदार राम किशन ग्रेवाल सिर्फ 5,000 रुपए कि लिए आत्महत्या कर सकते हैं?
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वर्ष 2004 में हुए रिटायर
बुधवार को राजधानी दिल्ली का सियासी पारा सूबेदार ग्रेवाल की आत्महत्या के साथ बढ़ता गया। ग्रेवाल ने टेरिटोरियल आर्मी और डिफेंस सिक्योरिटी कॉर्प्स में करीब तीन दशक तक सेवाएं दी थीं। वर्ष 2004 में रिटायर होने से पहले उनकी तैनाती देश के अलग-अलग हिस्सों में रही थी।
वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के तहत सैन्य कर्मी एक जैसी पेंशन की मांग कर रहे हैं। छह सितंबर 2015 को स्कीम के लागू होने के बाद भी इस स्कीम से कई सैन्य कर्मियों को इससे जुड़ी कई तरह की चिंताएं हैं।
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बैंक ने की गलती
अगर बात करें सूबेदार राम किशन ग्रेवाल की तो उनकी मृत्यु के बाद कई तरह की जानकारियां सामने आ रही हैं।
सूत्रों की ओर से बताया गया है कि सूबेदार ग्रेवाल को हर माह 28,000 रुपए बतौर पेंशन मिलने चाहिए लेकिन बैंक की गलती की वजह से उनके खाते में 23,000 रुपए ही पेंशन के तौर पर उन्हें मिल रहे थे।
ऐसे में उन्हें 5,000 रुपए का नुकसान हो रहा था। ओआरओपी के लागू होने के बाद बैंक ने उनकी पेंशन में हुई बढ़ोतरी को जोड़ा नहीं था।
उन्होंने इस मुद्दे के बारे में संबंधित विभाग से बात भी की और अपनी चिंताओं से उसे अवगत कराया।
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सिर्फ 5,000 रुपए के लिए परेशान थे!
उनकी समस्या को बाकी पूर्व सैनिकों की समस्याओं की ही तरह सुलझाया जा सकता था। वह भी रक्षा मंत्रालय से इस मुद्दे पर बाकी लोगों की तरह संपर्क कर सकते थे।
उनसे जुड़े कुछ लोगों के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जिसे 23,000 रुपए मिल रहे हों वह सिर्फ 5,000 रुपए के लिए आत्महत्या कैसे कर सकता है।
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चार गुना हुआ पेंशन में इजाफा
ग्रेवाल जिस समय रिटायर हुए थे उनकी तनख्वाह 14,000 रुपए थी और रिटायरमेंट के अगले माह से उन्हें पेंशन के तौर पर बस 6,500 रुपए ही मिलते थे।
छठें वित्त आयोग और कांग्रेस सरकार की ओर से ओआरओपी के कुछ हिस्सों को लागू करने के आने के बाद ग्रेवाल और उनकी तरह बाकी जवानों की पेंशन में चार गुना इजाफा हुआ था।
सातवें वित्त आयोग के बाद उनकी पेंशन करीब 31 से 32,000 रुपए हो जाती।
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रक्षा मंत्री से होनी थी मुलाकात
31 अक्टूबर को रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने खुद सूबेदार ग्रेवाल को मिलने के लिए बुलाया था। एक नवंबर को सूबेदार ग्रेवाल ने आत्महत्या कर ली। रक्षा मंत्री के आमंत्रण के एक दिन बाद ही उनकी आत्महत्या अपने आप में कई सवाल खड़े करती है।
एक वेटरन जो कि पूर्व सैनिकों से जुड़े सभी सार्वजनिक मुद्दों का चेहरा बन चुका था, उसने रक्षा मंत्रालय को कोई चिट्ठी भेजने का इंतजार नहीं किया और उसी चिट्टी को उसने अपने सुसाइड नोट के तौर पर प्रयोग किया।