श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में अब तक 30 बच्चों का हुआ जन्म, जानिए, 2800 ट्रेनों में कितने प्रवासी पहुंचे घर?
नई दिल्ली। कोरोनावायरस प्रेरित राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच विभिन्न महानगरों में फंसे प्रवासियों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए गत 1 मई से रेलवे द्वारा चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में सवार गर्भवती महिलाओं ने कुल 30 बच्चों को जन्म दे चुकी हैं। चूंकि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का ऑपरेशन अभी जारी है, तो आकंड़ों की संख्या और भी बढ़ सकती हैं।
गौरतलब है लॉकडाउन के दौरान रोजाना चलाई जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेनें अब तक कुल 37 लाख प्रवासियों को उनके गंतव्य स्टेशन तक पहुंचा चुकी है। रेलवे के मुताबिक प्रवासियों के लिए एक मई से शुरू हुई विशेष ट्रेन की अब तक 2800 रेड़गाड़ियां देश के विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासियों को लेकर उनके गृह प्रदेशों तक पहुंचा चुकी है और 1 मई से 23 मई के अंतराल में श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों में अब तक 30 बच्चों का जन्म हुआ है।
बेंगलुरु से यूपी स्थित अपने घर लौटने के लिए श्रमिक विशेष रेलगाड़ी में सवार हुई 23 वर्षीय संगीता पिछले सोमवार को नौ महीने के गर्भवती थीं। यात्रा के दौरान उन्होंने रेलगाड़ी में ही सह-यात्रियों की मदद से बेटे को जन्म दिया। बेंगलुरु पुलिस ने दंपति द्वारा बच्चे की भेजी गई तस्वीर भी साझा की।
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बीते शुक्रवार को 27 वर्षीय मधु कुमारी ने भी उत्तर प्रदेश स्थित घर लौटने के दौरान ही बच्चे को जन्म दिया। जब उन्हें प्रसव पीड़ा हुई तब रेलगाड़ी में सवार रेलवे कर्मचारियों ने तुंरत इमरजेसी की सूचना रेलवे सुरक्षा बल तक पहुंचा दिया, लेकिन रेलगाड़ी के झांसी रेलवे स्टेशन पहुंचने से सह यात्रियों के सहयोग से रेलगाड़ी में ही बच्चे का सफल प्रसव करवा लिया गया। हालांकि झांसी स्टेशन पर मधु को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई गई।
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रेलवे के प्रवक्ता आरडी बाजपेई ने कहा कि हम इस बात से पूरी तरह से वाकिफ हैं कि कई बार हमारे स्टाफ को स्थिति की मांग के अनुसार काम करने की जरूरत होती है और वे ऐसा करते हैं और हमें यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि इन ट्रेनों में जन्म लेने वाले सभी बच्चे स्वस्थ हैं और उनकी माताएं भी स्वस्थ हैं। रेलवे प्रवक्ता ने कहा, हम बहुत खुश हैं कि हम उनकी मदद कर सके।
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बाजपेई ने बताया कि रेलवे के पास चिकित्सा आपात स्थितियों से निपटने के लिए एक अच्छी प्रणाली है और जब भी किसी यात्री को मदद की जरूरत होती है, तो ऑनबोर्ड स्टाफ उस स्टेशन को अलर्ट कर देता है, जहां चिकित्सा सहायता उपलब्ध होती है। रेलवे के प्रवक्ता के अनुसार रेलवे कॉलोनियों में रहने वाले डॉक्टर हमेशा किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए होते हैं।
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उल्लेखनीय है श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में बच्चे के जन्म की पहली घटना गत 8 मई को हुई, जब गुजरात से अकेले बिहार जा रही ममता यादव ने बच्चे को जन्म दिया। यात्रियों में से किसी ने तुरंत बच्ची का नाम कोरोना कुमारी रख दिया। 13 मई को पिंकी यादव ने अहमदाबाद-फैजाबाद श्रमिक विशेष रेलगाड़ी में आरपीएफ कर्मियों की मदद से बेटे को जन्म दिया। इसी तरह रविवार को उत्तर प्रदेश आने वाली श्रमिक ट्रेन में जन्म लेने वाली एक बच्ची का नाम 'लॉकडाउन यादव' रखा गया है।
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