स्मोकर्स को कोरोना का अपेक्षाकृत कम खतरा, THE ECONOMIST की रिपोर्ट में खुलासा
नई दिल्ली- कोरोना वायरस के इलाज का अभी तक कोई कारगर तरीका नहीं मिल पाया है। कभी प्लाजमा थेरेपी तो कभी मलेरिया या इबोला की दवाओं में उम्मीदों की किरणें दिखाई देने लग जाती हैं। लेकिन, एक नया रिसर्च इसके इलाज का एक नया रास्ता दिखा सकता है। एक प्रतिष्ठित विदेशी अखबार में छपी एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि जो लोग ज्यादा स्मोकिंग करते हैं, वो इस बीमारी को ज्यादा आसानी से हरा दे रहे हैं। हालांकि, इस रिसर्च में अलग-अलग देशों में ऐसे मरीजों के स्वस्थ होने के औसत में अंतर पाया गया है, लेकिन सौ बात की एक बात ये है कि स्मोकिंग करने वाले लोग ज्यादा आसानी से ठीक हो रहे हैं ये पाया गया है। जबकि, धूम्रपान से परहेज करने वालों को इस बीमारी से ज्यादा जूझना पड़ रहा है। यानि इस रिसर्च के आधार पर कोविड-19 के इलाज की दिशा में एक नया रास्ता भी निकलने के आसार दिख रहे हैं।
स्मोकिंग करने वालों को कोरोना से थोड़ा कम खतरा!
स्मोकिंग करने वालों और नहीं करने वालों में कोरोना वायरस से संक्रमित होकर इलाज के लिए अस्पताल पहुंचने वालों का औसत अलग-अलग देशों में अलग-अलग है। 'दी इकोनोमिस्ट' में छपी एक खबर के मुताबिक चीन, अमेरिका या फ्रांस जैसे देशों में ऐसे मरीजों पर जो रिसर्च किए गए हैं उनके औसत में यह अंतर देखने को मिला है। लेकिन, सारे रिसर्च एक बात पर सहमत हैं कि कोविड-19 के पॉजिटिव मरीज जो आदतन स्मोकर्स पाए गए हैं, उन्हें इस बीमारी ने महत्वपूर्ण रूप से ज्यादा परेशान नहीं किया है। जबकि, जो लोग ज्यादा गंभीर स्थिति में अस्पताल लाए गए हैं, उनमें से अधिकतर धूम्रपान से परहेज करने वाले हैं। यानि रिपोर्ट में बताया गया है कि स्मोकिंग करने वालों के कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार पड़ने की संभावना महत्वपूर्ण रूप से कम है। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि नतीजे चौंकाने वाले जरूर हैं, क्योंकि मेडिसीन की दुनिया में ऐसे रिजल्ट देखने को नहीं ही मिलते हैं।
पेरिस के एक अस्पताल में मिले चौंकाने वाले तथ्य
इस रिपोर्ट में सबसे बड़े तथ्य के तौर पर फ्रांस में हुए एक शोध को शामिल किया गया है। एक आंकड़े के मुताबिक फ्रांस में करीब एक-चौथाई व्यस्क स्मोकिंग करते हैं। जब शोधकर्ता अपने काम पर जुटे थे तो उन्होंने पाया कि 28 फरवरी से 9 अप्रैल के बीच पेरिस के एक अस्पताल में जो 482 कोविड-19 के पॉजिटिव मरीज आए, उनमें से सिर्फ 5 फीसदी को ही रोजाना स्मोकिंग करने की आदत थी। यानि 95 फीसदी मरीज वे थे, जिन्होंने खुद को स्मोकिंग से दूर ही किया रखा। रिपोर्ट में शोध के इस नतीजे से कोविड-19 के इलाज का एक रास्ता निकल आने की भी उम्मीद जताई गई है। हालांकि, ये रिपोर्ट पूरी तरह से 'दी इकोनोमिस्ट' में छपी खबर के आधार पर है और हम वनइंडिया की ओर से उन तथ्यों की किसी भी प्रकार से पुष्टि नहीं करते और सिर्फ न्यूज के रूप में इसे पेश कर रहे हैं।
भारत में पुरुषों पर भारी पड़ रहा है कोरोना
इधर अगर भारत की बात करें तो अभी तक जितने लोगों की कोविड-19 की वजह से मौत हुई है, उनमें से आधे से ज्यादा की उम्र 60 साल से ज्यादा है। जबकि, सिर्फ 60 से 75 वर्ष के लोगों की बात करें तो ये आंकड़ा 42 फीसदी हो जाता है। इसके बाद 34 फीसदी लोगों की उम्र 45 से 60 साल के बीच की जिनकी इस बीमारी की वजह से मौत हुई है। इसी तरह देश में कोरोना वायरस से मरने वाले मरीजों की जो कुल 3.2 फीसदी तादाद बताई जा रही है, उसमें 65 फीसदी पुरुष और 35 फीसदी महिलाएं हैं।
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