कैसे मिलेगा बच्चों को न्याय? पॉक्सो एक्ट के तहत लंबित मामलों को खत्म होने मे लग जाएंगे 100 साल
नई दिल्ली। देश में लगातार बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में भी इसका जिक्र किया था। उन्होंने मध्यप्रदेश में पॉक्सो एक्ट के तहत दुष्कर्म के आरोपियों को फांसी की सजा सुनाए जाने की बात कही थी। लेकिन अभी भी देश में पॉक्सो एक्ट के तहत करीब एक लाख मामले लंबित हैं और इनमें से कुछ मामलों के निपटारे में तो 99 साल तक का वक्त लग सकता है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पॉक्सो से संबंधित मामलों को सुनने के लिए देश में 620 विशेष अदालतें गठित की गई हैं। 2014 में लगभग 9000 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2015 में ये संख्या बढ़कर 15000 तक हो गई।
न्याय
की
धीमी
रफ्तार
नोबेल
पुरस्कार
विजेता
कैलाश
सत्यार्थी
के
संगठन
बच्चन
बचाओ
आंदोलन
के
सीईओ
भुवन
रिभु
बताते
हैं
कि
अगर
गुजरात
में
पॉक्सो
के
तहत
अब
से
कोई
नया
मामला
दर्ज
नहीं
होता
है
तो
भी
लंबित
मामलों
को
2071
से
पहले
नहीं
निपयाटा
जा
सकेगा।
इसी
तरह
अरुणाचल
प्रदेश
में
साल
2117
तक
और
दिल्ली
में
2029
तक
ही
बच्चों
को
न्याय
मिल
पाएगा।
वहीं
केरल
में
साल
2039,
महाराष्ट्र
में
साल
2032,
पश्चिमी
बंगाल
में
साल
2035
और
बिहार
में
2029
तक
ही
मामलों
को
खत्म
किया
जा
सकेगा।
रिभु
ने
बताया
कि
दिल्ली
हाई
कोर्ट
में
दाखिल
हलफनामे
के
मुताबिक
पॉक्सो
एक्ट
के
तहत
साल
2015
से
2017
के
बीच
5217
केस
दर्ज
किए
गए,
जिनमें
से
11
प्रतिशत
की
रफ्तार
से
सिर्फ
575
मामलों
का
ही
निपटाया
जा
सका।
इन राज्यों में मुकदमों की बाढ़
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पॉक्सो कानून के तहत 2016 तक देशभर में 36 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए, जबकि 90 हजार से ज्यादा मामले अभी भी देश की अदालतों में लंबित पड़े हैं और इनमें से सिर्फ 11 हजार मामलों का ही ट्रायल पूरा हुआ है। 2016 में सबसे ज्यादा 4 हजार 815 मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए, जिनमें से केवल 1054 मामलों का ही निपटारा हुआ। जबकि वहां 17 हजार से ज्यादा मामले अभी भी लंबित हैं। मध्यप्रदेश में 2016 में 4700 मामले दर्ज हुए और केवल 2462 मामले पर फैसला हुआ और 10 हजार 950 मामले अभी लंबित हैं।
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हर घंटे 40 बच्चों का यौन शोषण
भुवन रिभु का कहना है कि अगर अभी से पॉक्सो के तहत एक भी मामला दर्ज न हो, तो भी तकरीबन एक लाख मामले फिलहाल विशेष अदालतों में विचाराधीन हैं। उनका कहना है कि हर घंटे 40 बच्चों का यौन शोषण होता है, जिनमें से सिर्फ 4 बच्चों के मामले ही पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज होते हैं। पॉक्सो एक्ट के तहत एक साल के भीतर केस का ट्रायल पूरा करना होता है।
सज़ा का कड़ा प्रवधान
इसी
साल
अप्रैल
में
पॉक्सो
एक्ट
में
किए
गए
बदलाव
के
बाद
इसके
तहत
कड़ी
सजा
देने
के
प्रावधान
किए
गए
हैं।
*
12
साल
की
बच्चियों
से
रेप
पर
फांसी
की
सजा
है।
*
16
साल
से
छोटी
लड़की
से
गैंगरेप
पर
उम्रकैद
की
सजा।
*
16
साल
से
छोटी
लड़की
से
रेप
पर
कम
से
कम
20
साल
तक
की
सजा
होगी।
*
सभी
रेप
केस
में
6
महीने
के
भीतर
फैसला
सुनाना
होगा।
*
रेप
केस
की
जांच
2
महीने
में
पूरी
करने
का
प्रवाधान।
*
आरोपी
को
अग्रिम
जमानत
नहीं
मिलेगी।
*
महिला
से
रेप
पर
सजा
7
से
बढ़कर
10
साल
होगी।
हालांकि इस साल सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाई कोर्ट को ज्यूडिशियल कमेटी बनाने का निर्देश दिया है। ये कमेटी विशेष अदालतों में पॉक्सो एक्ट के तहत चल रहे मामलों पर नजर रखेगी। साथ ही देश के उच्च न्यायलय समय-समय पर फास्ट ट्रैक अदालतों को पॉक्सो के मामलों का जल्द निपटारा करने के लिए दिशा-निर्देश देते रहेंगे।
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