बीफ बैन के बावजूद भाजपा शासित इस राज्य में बढ़ा पशुवध का आंकड़ा
महाराष्ट्र: बीजेपी सरकार ने तीन साल पहले राज्य में बीफ पर प्रतिबन्ध लगा दिया था जिसको लेकर कई महीनों तक सियासत होती रही और विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाते हुए बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। लेकिन तीन साल बाद भी रिपोर्ट्स आ रही हैं कि महाराष्ट्र में भैंसों के काटे जाने के आकंड़ों में वृद्धि हुई है। भैस काटने की ये संख्या महाराष्ट्र में सबसे अधिक के आँकड़े को छू रही है। पशुपालन विभाग द्वारा बताया गया है कि पिछले साल 9,61, 516 भैंसों को काटा गया।
ये चिंता उस वक्त भी जताई गई थी जब देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मार्च 2015 में राज्य में गौवंशों की हत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी मांगी थी। महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम, 1976 में संशोधन कर सरकार ने सांड और बैल को मीट के लिए काटे जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि प्रतिबंध से पहले भी औसतन तीन से चार लाख भैंसों और ऐसे जानवरों को मीट के लिए काटा जाता था। हालांकि अब इसके लिए राज्य में पांच साल की जेल का प्रावधान है।
पशुओं के काटने पर पूरी तरह प्रतिबन्ध के बाद अब देखा जा रहा है कि भैंसों को काटने की संख्या में वृद्धि हुई है। पशुपालन विभाग द्वारा दिये गये आंकड़ों से पता चला है कि पिछले साल 9 लाख से अधिक जानवरों को काटा गया। ये पिछले पांच सालों में राज्य में अबतक का सबसे ज्यादा दर्ज किया गया आंकड़ा है। भैंसों के काटे जाने के केस ने पशुपालन विभाग को सकते में डाल दिया है। अधिकारी बताते हैं कि काटने के लिए दूध देने वालों जानवरों के अलावा अन्य जानवर भी लाये जा रहे हैं। गोदेगांव राज्य का सबसे बड़ा भैंसों का बाजार है।
अधिकारी बताते हैं कि भैंसों के काटे जाने पर रोक लगाने की जरुरत है। पिछले एक साल में राज्य में सूअर, भैंस, भेड़ और बकरी के 1,93,219.19 मीट्रिक टन मीट का उत्पादन हुआ है। राज्य के कई इलाकों में भैंस के मीट की कीमत प्रति किलोग्राम 109 से बढ़कर 147 रु हो गई है। राज्य के कई भागों में भैसों को पशु बाजार में लाया जाना कम हुआ है। पशुओं की कीमत में भी गिरावट देखी गई है। 20 लीटर दूध देने वाले पशु की कीमत 1.50 लाख से घटकर 60-70 हजार पर आ गई है।