3 साल बाद फिर सामने आया केदारनाथ त्रासदी का खौफनाक मंजर, बिखरे पड़े मिले नर कंकाल
देहरादून। केदारनाथ त्रासदी के 3 साल बाद उत्तराखंड पुलिस और एसडीआरएफ ( State Disaster Response Force) की संयुक्त टीम को केदारनाथ ट्रैकिंग रूट पर करीब दस किलोमीटर के दायरे में काफी संख्या में नर कंकाल मिले हैं। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक मेडिकल एक्सपर्ट टीम ने उन नर कंकालों के डीएनए टेस्ट के लिए नमूने ले लिए हैं।
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नमूने लेने के बाद उत्तराखंड पुलिस ने हिंदू रिवाज से उन कंकालों का अंतिम संस्कार कर दिया। रुद्रप्रयाग के एसपी प्रहलाद सिंह ने बताया कि कंकाल कितने मनुष्यों के हैं ये कहना तो संभव नहीं लेकिन फिर भी ऐसी उम्मीद जताई जा सकती है कि यह 20 से ज्यादा मनुष्यों के होंगे।
कैसे मिले नर कंकाल?
शेरसी से केदारनाथ के लिए निकले ट्रैकिंग दल को दर्जनों की संख्या में नरकंकाल दिखाई दिए। यह ट्रैकिंग दल पहले शेरसी से मयाली टाप के रास्ते केदारनाथ के लिए जा रहा था, लेकिन रास्ते में पानी ना होने के कारण ट्रैकिंग दल ने अपना रुख त्रिजुगीनारायण की ओर किया। ट्रैकिंग दल ने जब त्रिजुगीनारायण से केदारनाथ की ओर पैदल सफर शुरू किया तो 9 किमी गोमपुडा स्थान से नर कंकाल मिलने शुरू हो गए।
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केदारनाथ त्रासदी को याद कर खड़े हो जाते हैं रौंगटे
केदारनाथ त्रासदी हिमालय के इतिहास में सबसे भयानक त्रासदी थी। वर्ष 2013 में जून माह में केदारनाथ आपदा के दौरान हजारों की संख्या में लोगों की मौत हो गई थी। तब मृतकों की तलाश में अभियान चलाया गया था और शवों का अंतिम संस्कार किया गया था।
अभी भी वहां शवों के दबे होने की संभावनाएं जताई जा रही है। साथ ही आसपास के इलाकों व ट्रैक रूट पर भी ऐसे कंकाल समय-समय पर मिलते रहे हैं।