महाराष्ट्र पर SC में सुनवाई: सिंघवी की मांग, जल्द हो बहुमत परीक्षण
नई दिल्ली- महाराष्ट्र मामले में एनसीपी,कांग्रेस और शिवसेना की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वहां रविवार या सोमवार को ही सदन में बहुत परीक्षण करने का आदेश जारी किया जाय। उन्होंने इसके लिए 1998 में उत्तर प्रदेश और 2018 में कर्नाटक में आई ऐसी ही परिस्थितियों का हवाला दिया है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस संजीव खन्ना की अदालत में इस केस की सुनवाई चल रही है। हालांकि, अदालत ने रविवार को कोई आदेश नहीं दिया और संबंधित पक्षों से दस्तावेज की मांग करते हुए सोमवार सुबह 10.30 बजे तक के लिए सुनवाई टाल दी है।
सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले को चुनौती देते हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से कहा कि वह रविवार को ही या फिर सोमवार तक फडणवीस सरकार को बहुमत परीक्षण का आदेश दे। इसके लिए उन्होंने पहले की यूपी और कर्नाटक की घटनाओं का उदाहरण भी दिया है।
सिंघवी ने कोर्ट को कुछ सुझाव देते हुए कहा कि सोमवार सुबह सबसे वरिष्ठ विधायक को प्रोटेम स्पीकर के रूप में चुन लिया जाए, 11 बजे से शाम 4 बजे तक विधायकों को शपथ दिला दी जाए, इसके बाद सत्र फ्लोर टेस्ट कराया जा सकता है।
सिंघवी ने गवर्नर के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि, "जब ये शाम 7 घोषणा हो गई कि हम सरकार बनाने का दावा पेश करने जा रहे हैं और उद्धव ठाकरे इसकी अगुवाई करेंगे तो क्या गवर्नर इंतजार नहीं कर सकते थे?"
सिंघवी ने कहा कि 'गवर्नर की जिम्मेदारी है कि प्राथमिक तौर पर लिखित दस्तावेज के आधार पर बहुमत के प्रति आश्वस्त हो जाय, दस्तावेज में दस्तखत हो, भौतिक परीक्षण करके संतुष्ट हो। यही कसौटी है।'
सिंघवी
ने
पूछा-
कहां
है
दस्तावेज?
कल
41
विधायक
ने
अजित
पवार
को
हटा
दिया।
अजित
का
समर्थन
पेपर
गैरकानूनी
है।
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हालांकि, अदालत अब जब कल सुवाई करेगी उसके बाद ही पता चलेगा कि इस मामले में आखिर वह क्या रुख अपनाता है और संबंधितों पक्षों के लिए क्या आदेश जारी करता है।
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