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एमपी गजब है, जो सीएम करता है सिंहस्थ कुंभ का आयोजन उसे सत्ता से मिल जाती है मुक्ति

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भोपाल। मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में हार का सामना करने वाले शिवराज सिंह चौहान के बारे में हैरान करने वाला तथ्‍य सामने आया है। एमपी की राजनीति में काफी चर्चित मान्‍यता है कि जो भी मुख्‍यमंत्री सिंहस्‍थ कुंभ का आयोजन करता है, उसकी कुर्सी चली जाती है। शिवराज सिंह चौहान के साथ जो हुआ, उससे यह मान्‍यता के एक बार फिर सही साबित हुई है।

सिंहस्‍थ कुंभ पर 5 हजार करोड़ खर्च किए थे

सिंहस्‍थ कुंभ पर 5 हजार करोड़ खर्च किए थे

अब तक प्रदेश के 62 साल के इतिहास में 5 बार सिंहस्थ कुंभ का आयोजन हुआ और जिस किसी मुख्यमंत्री के कार्यकाल में सिंहस्थ कुंभ का आयोजन हुआ उसी की कुर्सी गई। इस बार शिवराज सिंह चौहान की सत्‍ता चली गई। उज्जैन में 2016 में सिंहस्थ का आयोजन हुआ था, तब शिवराज सिंह चौहान ही मुख्यमंत्री थे। सिंहस्‍थ कुंभ के आयोजन पर शिवराज सरकार ने पांच हजार करोड़ से ज्यादा खर्च किया था। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उज्जैन गए थे, लेकिन सिंहस्‍थ के दो साल बाद ही शिवराज की कुर्सी गई।

सिंहस्‍थ आयोजन के बाद चली गई उमा भारती की कुर्सी

सिंहस्‍थ आयोजन के बाद चली गई उमा भारती की कुर्सी

2016 से पहले सिंहस्‍थ कुंभ 2004 में हुआ था। उस वक्‍त एमपी की सीएम उमा भारती थीं। सिंहस्‍थ कुंभ के आयोजन के बाद उमा भारती की भी कुर्सी चली गई थी।

सुंदर लाल पटवा ने दो बार सिंहस्‍थ आयोजन किया, दोनों बार चली गई कुर्सी

सुंदर लाल पटवा ने दो बार सिंहस्‍थ आयोजन किया, दोनों बार चली गई कुर्सी

शिवराज सिंह चौहान और उमा भारती से पहले 1992 में सिंहस्‍थ कुंभ के आयोजन के बाद सुंदरलाल पटवा की भी सत्‍ता चली गई थी। कुंभ के आयोजन के कुछ महीने बाद ही बाबरी कांड हुआ और सरकार ही बर्खास्‍त हो गई और राष्‍ट्रपति शासन लगा दिया गया। सुंदरलाल पटवा इकलौते ऐसे सीएम हैं, जिनके सीएम रहते दो बार सिंहस्‍थ का आयोजन हुआ और दोनों बार उनकी कुर्सी चली गई। 1992 से पहले 1980 में जब पटवा पहली बार बने थे, तब भी उनकी सरकार चली गई थी।

गोविंद नारायण और रविशंकर की भी चली सत्‍ता गई

गोविंद नारायण और रविशंकर की भी चली सत्‍ता गई

गोविंद नारायण सिंह 1967 में मध्‍य प्रदेश के सीएम बने। 1968 में उन्‍होंने सिंहस्‍थ कुंभ का आयोजन किया और अगले ही साल उनकी भी कुर्सी चली गई। इसी प्रकार से 1956 में उज्‍जैन में सिंहस्‍थ का आयोजन किया गया। उस वक्‍त रविशंकर शुक्‍ला मुख्‍यमंत्री थे और उसी साल उनकी भी कुर्सी चली गई।

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English summary
Simhastha myth behind shivraj singh chauhan defeat in madhya pradesh assembly election 2018.
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