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नागपुर में कम्युनिटी ट्रांसमिशन के संकेत, वैक्सीन ट्रायल के लिए चुने गए 35% वॉलंटियर्स संक्रमित पाए गए

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नई दिल्ली। मेड इन इंडिया वैक्सीन कोवाक्सिन ह्यूमन ट्रायल के दूसरे दौर में प्रवेश कर चुका है, लेकिन महाराष्ट्र में कोवाक्सिन वैक्सीन के ट्रायल के बनाए एकमात्र ट्रायल केंद्र नागपुर में हुए एक हैरतअंगेज घटना से सबको तब हैरत में डाल दिया है,जब ट्रायल के लिए चुने गए लगभग 35 फीसदी वॉलंटियर्स कोरोना संक्रमित पाए गए, जिसे नागपुर में कम्युनिटी संचरण के संकेतक के रूप मे देखा जा रहा है।

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ट्रायल में जांच के बाद 75 में से 25 नागपुरिये को अयोग्य घोषित कर दिया

ट्रायल में जांच के बाद 75 में से 25 नागपुरिये को अयोग्य घोषित कर दिया

दरअसल, ट्रायल के दूसरे दिन करीब 50 वॉलंटियर्स एक और खुराक दी गई थी। ट्रायल में करीब 75 नागपुरियों ने खुद को नामांकित किया था, लेकिन जांच के बाद उनमें से 25 नागपुरिये को अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जिसकी वजह थी कि सभी 25 लोगों में से 17 को कोविद-19 से संक्रमित पाया गया था, जबकि 8 लोगों में पहले से ही एंटीबॉडी विकसित हो चुका था। यानी शेष 8 लोग कोरोना संक्रमित हो कर ठीक हो चुके थे।

शहर के विभिन्न आयु समूहों में से ट्रायल के लिए रैंडम चुने गए थे वॉलंटियर्स

शहर के विभिन्न आयु समूहों में से ट्रायल के लिए रैंडम चुने गए थे वॉलंटियर्स

महाराष्ट्र में कोवाक्सिन ट्रायल का एकमात्र परीक्षण केंद्र में कोवाक्सिन के मानव परीक्षणों का नेतृत्व कर रहे डॉ. चंद्रशेखर गिल्लूरकर ने बताया कि इसका मतलब यह हुआ कि शहर के विभिन्न आयु समूहों में से ट्रायल के लिए रैंडम चुने गए वॉलंटियर्स में से लगभग 35 फीसदी संक्रमित पाए गए। माना जा रहा है कि यह नागपुर में फैले कम्युनिटी संचरण का एक प्रमुख संकेतक हो सकता है। 75 वॉलंटियर्स में से 17 ने आरटी-पीसीआर परीक्षण में प्रोटोकॉल के अनुसार पॉजटिव परीक्षण किया, जबकि 8 ने एंटीबॉडी परीक्षणों में पॉजिटिव परीक्षण किया।

लोगों को 12 से 65 साल के समूह में से रैंडम तरीके चुना गया था

लोगों को 12 से 65 साल के समूह में से रैंडम तरीके चुना गया था

उन्होंने बताया कि इन लोगों को 12 से 65 साल के समूह में से रैंडम तरीके चुना गया था। इनमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं, जो शहर के विभिन्न हिस्सों से और विभिन्न पृष्ठभूमि का प्रतिनिधुत्व करते हैं। उन्होंने बताया कि वैक्सीन के ट्रायल के लिए बिना बीमारियों के इतिहास वाले और गैर संक्रमित व्यक्ति को ही चुना जाता है।

नागपुर की बड़ी आबादी पहले से कोरोना वायरस से संक्रमित हु ईदिखती है

नागपुर की बड़ी आबादी पहले से कोरोना वायरस से संक्रमित हु ईदिखती है

बकौल डा. चंद्रशेखर, यह नागपुर में कम्युनिटी संचरण का यह एक मजबूत संकेतक हो सकता है, जहां एक बड़ी आबादी का पहले से कोरोना वायरस से संक्रमित हो गई है और कई पहले से ही रिकवर होकर एंटीबॉडीज विकसित कर चुके हैं। जुलाई में प्रभागीय अधिकारियों द्वारा यह जानने के लिए सीरो-निगरानी शुरू की थी कि कितने लोगों ने एंटीबॉडी विकसित किए थे, लेकिन वर्तमान में यह सर्वेक्षण बंद हो गया है।

 जुलाई में करीब 4.7% नागपुरिये एंटीबॉडी परीक्षणों में पॉजिटिव पाए गए थे

जुलाई में करीब 4.7% नागपुरिये एंटीबॉडी परीक्षणों में पॉजिटिव पाए गए थे

सर्वेक्षण के लिए नोडल अधिकारी और GMCH के डॉ उदय नरलावार ने बताा कि सर्वेक्षण के लिए हमें जो किट मिली हैं, उसमें कोई समस्या थी। इसलिए हमें रुकना पड़ा। इससे पहले, हमने कुछ 100 लोगों का सर्वेक्षण किया था, लेकिन परिणाम उपयुक्त नहीं थे। हालांकि यह अभी भी आधिकारिक रूप से बाहर नहीं गया है कि जुलाई में कुल सर्वेक्षण में लगभग 4.7 फीसदी नागपुरिये एंटीबॉडी परीक्षणों में पॉजिटिव पाए गए थे।

 नागपुर की करीब 30% आबादी रिकवर अथवा कोरोना संक्रमित हो चुकी है।

नागपुर की करीब 30% आबादी रिकवर अथवा कोरोना संक्रमित हो चुकी है।

डॉ. नरलवार ने कहा कि डॉक्टर अब कोविद -19 मामलों में भारी वृद्धि को संभालने में व्यस्त हैं, इसलिए सीरो-निगरानी को फिर से शुरू करना मुश्किल है। यदि विभिन्न आयु समूहों के 75 में से 25 लोग संक्रमित पाए जाते हैं, तो नागपुर की लगभग 30 फीसदी आबादी या तो रिकवर हो सकती है या कोविद -19 से संक्रमित है। यह अनुमान 9 लाख के आसपास है, जबकि नागपुर की आबादी 30 लाख है। इससे पहले भी कई डॉक्टरों बता चुके हैं कि नागपुर में कम्युनिटी संचरण के पर्याप्त सबूत हैं।

आरटी-पीसीआर और एंटीबॉडी परीक्षण दोनों में पॉजिटिव मिले हैं

आरटी-पीसीआर और एंटीबॉडी परीक्षण दोनों में पॉजिटिव मिले हैं

कोवाक्सिन वैक्सीन परीक्षणों के लिए नामांकन करने आए दो लोगों ने आरटी-पीसीआर परीक्षण के साथ-साथ एंटीबॉडी परीक्षणों में पॉजिटिव परीक्षण किया। संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी तायडे ने कहा कि यह संभव था, क्योंकि दोनों स्पर्शोन्मुख थे। हम जानते हैं कि कुछ मामलों में RT-PCR 90 दिनों तक पॉजिटिव हो सकता है। इन मामलों के नमूने उसी दिन एकत्र किए गए थे। उनके शरीर में एंटीबॉडी का विकास हो सकता है, क्योंकि उनके शरीर में वायरस के निशान अभी भी थे।

English summary
The Made in India vaccine has entered the second round of the Kovacsin Human Trial, but a surprise incident at Nagpur, the only trial center in Covaxin Vaccine Trial in Maharashtra, has surprised everyone when almost all of them selected for the trial 35% of volunteers were found to be corona infected, which is seen as an indicator of community transmission in Nagpur.
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