'हलवा सेरेमनी' का क्या महत्त्व है, जिसके बाद बजट प्रक्रिया में शामिल लोगों पर लग जाती हैं बड़ी पाबंदियां
नई दिल्ली- सोमवार को संघीय बजट के पहले होने वाला 'हलवा सेरेमनी' पूरे रस्मो-रिवाज के साथ संपन्न हो गया। इस रस्म को खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने परंपरागत तौर पर अपने हाथों से निभाया और उत्सव के दौरान मौजूद वित्त राज्यमंत्री और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को हलवा बांटा। बजट से पहले मीठा परोसने की यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है, जिसे वित्त मंत्री ही निभाते रहे हैं। आम जनता के लिए यह महज एक 'हलवा' बनाने और बांटने का रस्म है, लेकिन वित्त मंत्रालय के अधिकारियों-कर्मचारियों खासकर बजट की छपाई प्रक्रिया में शामिल लोगों के लिए बहुत ही ज्यादा मायने रखता है, क्योंकि आज के बाद से वे तबतक अपने घर नहीं जा सकेंगे, जबतक कि लोकसभा में इस साल का बजट पेश नहीं कर दिया जाता। यूं समझ लीजिए कि अगले 10 दिनों से भी ज्यादा वक्त तक वे अपने परिवार से भी पूरी तरह कटे रहेंगे और मंत्रालय के लोग कड़ी निगरानी में भी रहेंगे।
बजट में 'हलवा सेरेमनी' का महत्त्व
वित्त मंत्रालय में हलवा सेरेमनी संपन्न होने का मतलब है कि इसके साथ ही 2020-2021 के बजट दस्तावेजों के छपाई का काम आधिकारिक तौर पर शुरू हो गया है। बजट की छपाई वित्त मंत्रालय के बेसमेंट में ही मौजूद एक विशेष प्रेस में होती है। परंपरा के मुताबिक बजट दस्तावेज की छपाई शुरू करने से पहले एक बड़ी कढ़ाई में हलवा बनाने की रस्म निभाई जाती है, जिसे वित्त मंत्रालय के सभी कर्मचारियों के बीच बांटा जाता है। हलवा सेरेमनी नई दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक स्थित वित्त मंत्रालय में वित्त मंत्री और मंत्रालय के वरिष्ठ सदस्यों की मौजूदगी में आयोजित की जाती है। सोमवार को आयोजित हुई हलवा सेरेमनी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ ही वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। जैसे ही बजट निर्माण की प्रक्रिया में शामिल अधिकारी और कर्मचारियों को हलवा दिया जाता है, उसके साथ ही उनपर अगले कई दिनों के लिए बड़ी पाबंदियां लग जाती हैं।
'हलवा सेरेमनी' के बाद मंत्रालय से निकलने की मनाही
हलवा खाकर मुंह मीठा करने के साथ ही बजट दस्तावेज की छपाई प्रक्रिया में शामिल वित्त मंत्रालय के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए मंत्रालय में ही मौजूद रहना जरूरी हो जाता है। यह लोग 1 फरवरी से पहले अब अपने घर नहीं जा सकेंगे। यानि जब तक लोकसभा में वित्त मंत्री बजट पेश नहीं कर देतीं, ये लोग अपने परिवार वालों से भी पूरी तरह से कटे रहेंगे। वह अपने परिवार वालों से फोन या किसी भी दूसरे संचार के साधनों से संपर्क नहीं कर सकेंगे। वित्त मंत्रालय के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को ही घर जाने की इजाजत होगी। इस प्रक्रिया में इतनी सख्त पाबंदी इसलिए लगाई जाती है, ताकि बजट से संबंधित कोई जानकारी बजट पेश होने से पहले लीक न हो जाए। इस दौरान अगले करीब 10 दिनों तक ये कर्मचारी पूरी दुनिया से कटे रहेंगे और वित्त मंत्रालय की सुरक्षा काफी चौकस रहेगी।
सिर्फ वित्त मंत्री को होगी आने-जाने की इजाजत
जब तक बजट पेश नहीं हो जाता छपाई प्रक्रिया से जुड़े लोगों पर आईबी की भी निगरानी रहेंगे। बजट से जुड़ी सूचनाएं किसी भी तरह से लीक न हो जाए, इसके लिए वित्त मंत्रालय के आसपास इलेक्ट्रॉनिक जैमर में लगाए जाते हैं। इस दौरान मंत्रियों के लिए भी वहां मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोक लगी रहेगी, अलबत्ता वह छपाई की प्रक्रिया की प्रगति जानने के लिए वहां आ-जा सकेंगे। जानकारी के मुताबिक छपाई वाली जगह पर केवल वित्त मंत्री को ही आने-जाने की इजाजत रहती है। गौरतलब है कि 1950 तक बजट दस्तावेजों की छपाई राष्ट्रपति भवन में होती थी। लेकिन, उस साल बजट लीक हो गई, जिसके बाद मिंटो रोड स्थित प्रेस में छफाई होने लगी। लेकिन, 1980 से नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में ही इसकी स्थाई तौर से छपाई होने लगी है।
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