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सिद्दीकी कप्पन PFI का सचिव है, उसने पत्रकार की आड़ ले रखी है, SC में यूपी सरकार का बयान

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नई दिल्ली। दिल्ली से हाथरस की ओर जा रहे केरल के कथित पत्रकार सिद्दीकी कप्पन समेत 4 लोगों की गिरफ्तारी के मामले में शुक्रवार को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सिद्दीकी कप्पन व अन्य की रिहाई का विरोध किया है। सिद्दीकी समेत अतीक उर रहमान, आलम और मसूद को 5 अक्टूबर को हाथरस में जातीय दंगे की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। केरल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने उनकी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

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केरल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की याचिका पर कोर्ट के नोटिस का जवाब देते हुए यूपी सरकार ने यूनियन के सभी दलीलों को गलत बताते हुए कहा कि 5 अक्टूबर को दिल्ली से एक स्विफ्ट डिजायर गाड़ी में हाथरस जा रहे चार लोगों को बहुत ही संदिग्ध परिस्थितियों में मथुरा पुलिस ने हिरासत में लिया था। उनके पास से भारी मात्रा में पोस्टर और दूसरी भड़काऊं प्रचार सामग्री बरामद की गई थी। चारों को कोर्ट में पेश करने के बाद न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।

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यूपी सरकार ने अपने हलफनामें में यह भी कहा कि असल में सिद्दीकी विवादित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया में कार्यालय सचिव है और उसने पत्रकार होने की आड़ ले रखी है। हलफनामें में दावा किया गया है कि जिस अखबार तेजस का पहचान पत्र बतौर पत्रकार सिद्दीकी दिखाते हैं, वह अखबार 2018 में बंद हो चुका है। वहीं, उनके साथ गिरफ्तार किए गए तीन लोग पीएफआई के छात्र संगठन कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के सक्रिय सदस्य हैं।

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कोर्ट को यूपी सरकार ने बताया कि अब तक हुई जांच में मामले में गहरी साजिश के सबूत मिल रहे हैं। पूरे इलाके को जातीय हिंसा की आड़ में झो़ंकने की साजिश रची गई थी। इसलिए चारों को हिंसा भड़काने और राजद्रोह की धाराओं के अलावा यूएपीए की धाराओं में भी मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले में जिरह करते हुए सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस दावे को झूठा बताया कि सिद्दीकी को अपने परिवार या वकीलों से मिलने नहीं दिया जा रहा है।

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दरअसल, गत 16 नवंबर को याचिकाकर्ता की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि सिद्दीकी कप्पन को अवैध तरीक से हिरासत में लिया गया था और उनके परिवार को गिरफ्तारी की सूचना नहीं दी गई। यूपी के मथुरा जेल में बंद सिद्दीक को वकील से मिलने नहीं दिया जा रहा है। इस वजह से वह अपनी जमानत के लिए याचिका दाखिल करने में सक्षम नहीं है। सिब्ब्ल ने सुप्रीम कोर्ट से कप्पन की रिहाई देने की मांग की थी।

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गौरतलब है सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की ओर से दिए बयान को रिकॉर्ड पर ले लिया है और सुनवाई को एक हफ्ते के लिए टाल दिया है। मामले की अगली सुनवाई अगर कोर्ट इस बात पर संतुष्ट होता है कि सिद्दीकी कप्पन के कानूनी अधिकारों का हनन नहीं किया जा रहा है और उन्हें वकील के जरिए अपने लिए खुद याचिका दाखिल करने से नहीं रोका जा रहा है तो वह केरल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनिय की याचिका का निपटारा कर सकता है।

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English summary
The UP government has opposed the release of Siddiqui Kappan and others in the Supreme Court on Friday in the case of the arrest of 4 people, including alleged journalist Siddiqui Kappan from Kerala going towards Hathras. Siddiqui along with Atiq ur Rehman, Alam and Masood were arrested on October 5 in Hathras on charges of plotting ethnic riots. The Kerala Working Journalists Union petitioned the Supreme Court for his release.
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