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सियाचिन-जहां 20,000 फीट पर खून जमा देने वाली ठंड में रहते हैं हमारे जवान, चली जाती है याददाश्‍त भी

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नई दिल्‍ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को ऐलान किया है कि अब सियाचिन को पर्यटकों के लिए खोला जाएगा। पर्यटक अब यहां पर पहुंचकर उन कठिनाईयों को महसूस कर सकेंगे जो शायद अब हमारे सैनिकों के लिए आम बात हो गई है। राजनाथ सिंह के शब्‍दों में, 'सियाचिन बेस कैंप से कुमार पोस्‍ट तक के हिस्‍से को अब पर्यटन के मकसद से खोला जा चुका है।' साल 1999 में जब भारत और पाकिस्‍तान के बीच कारगिल में संघर्ष शुरू हुआ तो सियाचिन भी इसका हिस्‍सा था। सियाचिन दुनिया का हाइएस्‍ट वॉर जोन है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया इस हिस्‍से को मानने से ही इनकार कर देती है।

सियाचिन की कुमार पोस्‍ट

सियाचिन की कुमार पोस्‍ट

सियाचिन की कुमार पोस्‍ट जहां हो सकता है आप अब जाने का प्‍लान करें, वह 15,000 फीट की ऊंचाई पर है। पर्यटका बेस कैंप जो प्रतापपुर में है और 11,000 फीट की ऊंचाई पर है, वहां से कुमार पोस्‍ट तक का रास्‍ता तय करेंगे। टूरिस्‍ट्स को इस जगह तक जाने के लिए स्‍पेशल परमिट की जरूरत होगी। कुमार पोस्‍ट का नाम, कर्नल नरेंद्र 'बुल' कुमार के नाम पर पड़ा है। आठ दिसंबर 1933 को जन्‍में, कर्नल कुमार ने सफलतापूर्वक साल 1965 में माउंट एवरेस्‍ट को फतह किया था। 13 अप्रैल 1984 को जब सेना ने सियाचिन पर ऑपरेशन मेघदूत लॉन्‍च किया तो उस समय कर्नल कुमार की टीम ने पाकिस्‍तान की सेना को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। उनकी टीम ने पूरा मैप बनाया, योजना बनाई, कई फोटोग्राफ और वीडियो तैयार किए जिनकी वजह से पाक सेना को खदेड़ा गया।

क्‍या हुआ था 35 वर्ष पहले

क्‍या हुआ था 35 वर्ष पहले

वर्ष 1984 में पाक ने 33,000 वर्ग किमी तक फैले इस इलाके पर कब्‍जे की कोशिश की और अपने सैनिकों को भेजना शुरू कर दिया। इसके बाद भारत की सरकार नींद से जागी और फिर इंडियन आर्मी ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए 13 अप्रैल 1984 को ऑपरेशन मेघदूत लांच किया। सियाचिन में लड़ाई के लिए सभी जरूरी सामान पाकिस्‍तान ने बहुत पहले ही यूरोप से मंगाया लिया था। वहीं भारत के सैनिकों को ऑपरेशन की रात से एक दिन पहले यानी 12 अप्रैल को स्‍पेशलाइज्‍ड यूनिफॉर्म और सारा जरूरी सामान मिला था।

कश्‍मीर से ज्‍यादा है इसकी अहमियत

कश्‍मीर से ज्‍यादा है इसकी अहमियत

सियाचिन, भारत के लिए कश्‍मीर से ज्‍यादा अहमियत रखता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सियाचिन ने वर्ष 1984 के बाद से यहां पर कई घुसपैठ और कब्‍जे की कोशिशों को महसूस किया है। उनका मानना है जब तक पीओके में आतंकी कैंप्‍स चल रहे हैं तब तक भारत सियाचिन को सिर्फ कुछ लोगों की मन की शांति के लिए कुर्बान नहीं कर सकता है। न सिर्फ पाकिस्‍तान बल्कि चीन की नजरें भी हर पल सियाचिन पर रहती हैं। कश्‍मीर से अलग सियाचिन भारत और पाकिस्‍तान के बीच पिछले तीन दशकों से जंग का मैदान बना हुआ है। यहां पर सेनाओं का तैनात रखने के मकसद से अब तक‍ दोनों देश करीब 600 अरब रुपए से ज्‍यादा खर्च कर चुके हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत इस जगह पर एक दिन में करीब 10 करोड़ रुपए खर्च करता है।

दुनिया नहीं मानती है सियाचिन का वजूद

दुनिया नहीं मानती है सियाचिन का वजूद

सियाचिन एक ऐसा ग्‍लेशियर जिसका नामों-निशान दुनिया के नक्‍शे में नहीं है, उसकी रक्षा के लिए भारत के जाबांज सैनिक हर पल तैनात रहते हैं। नाम, नमक और निशान को आदर्श मानकर जंग लड़ने वाली भारतीय सेना एक ऐसी जगह की रक्षा कर रही है, जिसका वजूद दुनिया मानने से ही इंकार कर देती हैसियाचिन विश्व का सबसे ऊंचा बैटल फील्‍ड है जो 22,000 फीट की ऊंचाई पर है। आपको बता दें कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 29,000 फीट है। सियाचिन ग्लेशियर भारत-पाकिस्तान सीमा पर हिमालय क्षेत्र में स्थित है।

कमजोर हो जाती है याददाश्‍त

कमजोर हो जाती है याददाश्‍त

सियाचिन का तापमान आम दिनों में न्यूनतम से 45 डिग्री सेल्सिस से कम रहता और सर्दियों में -60 डिग्री से भी नीचे चला जाता है। यहां जवानों को दुश्मन के साथ-साथ मौसम से भी जूझना पड़ता है। यहां ऑक्सीजन कम है, जिस वजह से सैनिकों की याद्दाश्त कमजोर होने की संभावना है। बोलने में दिक्कत, फेफड़ों में संक्रमण और अत्यधिक तनाव से भी जूझना पड़ सकता है। यहां बर्फ में लंबी दरारों की समस्या से भी जवानों को जूझना पड़ता है। सियाचिन में कुछ चौकियों पर हेलीकॉप्टरों से ही जरूरी सामान पहुंचाया जाता है। सेना के हल्के चीता हेलीकॉप्टर यहां पर सप्‍लाई के लिए बेस्‍ट साबित हुए हैं।

आज तक तैनात हैं 3,000 सैनिक

आज तक तैनात हैं 3,000 सैनिक

ऑपरेशन मेघदूत के तहत पाकिस्तानी सेना को खदेड़ का सियाचिन के सेला पास, बेलाफोंडला और ग्योंगला पास को कब्‍जे से वापस लेना था। सियाचिन की ऊंचाई भारत की तरफ से जहां कहीं ज्‍यादा है तो वहीं पाक की तरफ से यह काफी कम है। इसलिए ऑपरेशन मेघदूत की सफलता को आज तक भारतीय सेना के लिए एक मिसाल करार दिया जाता है। वर्ष 2003 में पाकिस्तान ने भारत से सीजफायर संधि की। इसके बाद से ही यहां पर शांति है। लेकिन इंडियन आर्मी ने किसी भी मुश्किल स्थिति से निबटने के लिए यहां पर अपने 3,000 सैनिकों को तैनात कर रखा है।

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English summary
Defence Minister Rajnath Singh has said that now highest war zone Siachen is now open for tourism. You should know the importance of this place for India and Indian Army.
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