भगवान राम वनवास के दौरान जिन जगहों पर ठहरे थे , उन राम वन गमन पथ पर बनेगा कॉरिडोर!
Shri Ram stayed in more than 200 places during exile, corridor to be built in 17 places
अयोध्या। भगवान राम की नगरी अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के लिए आज धूमधाम से भूमिपूजन संपन्न हुआ। जिस दिन का लोगों को वर्षों से इंतजार था आज वो दिन आखिरकार आ ही गया और राम मंदिर शिलान्यास के बाद अब कुछ ही वर्षों में अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। बता दें इसके साथ ही भगवान राम 14 वर्षों तक जिन रास्तों से वनवास के दौरान गुजरे थे उन राम गनम पथ पर कॉरिडोर बनाने की योजना है।
इस सरकार ने किया था ये वादा
बता दें मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राममंदिर के निर्माण के फैसले को अपनी जीत के तौर पर देख रही है । तभी मध्यप्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार के सीएम कमलनाथने प्रदेश में 'श्रीराम वन गमन पथ कॉरिडोर' को विकसित करने का ऐलान किया था। कांग्रेस सरकार ने तब 22 करोड़ रुपए खर्च कर 'श्रीराम वन गमन पथ' कॉरिडोर को तैय़ार करने का दावा किया था। लेकिन एमपी में सरकार गिरते हीं कांग्रेस के ये लोकलुभावने वादा साबित हुआ। लेकिन माना जा रहा है कि मोदी सरकार अयोध्या में राम मंदिर बनाने के साथ-साथ राम वन गमन पथ पर कॉरिडोर बनाने का काम जल्द फैसला सुना सकती है । भगवान राम वनवास के दौरान मध्य प्रदेश के चित्रकूट में काफी समय ठहरे थे। आइए जानते हैं कि हमारी पौराणिक ग्रन्थ के अनुसार 14 वर्ष के लिए वनवास जाते समय भगवान राम किस रास्ते से होकर गुजरे थे?
200 से ज्यादा जगहों का पता लगया है
बता दें इतिहासकारों ने 200 से ज्यादा जगहों का पता लगया है जहां भगवान राम, सीता और लक्ष्मण अपने 14 साल के वनवास के दौरान रुके थे। केंद्र सरकार ने ऐसे 17 बड़े स्मारकों की पहचान की है जिन्हें कॉरिडोर के तौर पर विकसित किया जा सकता है।
जानिए कौन से है वो 14 जगह जहां से गुजरे थे भगवान श्री राम
- तमसा नदी जो कि अयोध्या से 20 किमी दूर है। यहां पर राम ने नाव से नदी पार किया था
- शृंगवेरपुर तीर्थ यह प्रयागराज से लगभग 22 किलोमीटर दूर यह स्थल निषादराज का गृह राज्य था। यहीं पर उन्होंने केवट से गंगा पार कराने को आग्रह किया था। शृंगवेरपुर को वर्तमान में सिंगरौर कहा जाता है
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कुरई
स्थान
सिंगरौर
में
गंगा
पार
कर
भगवान
श्रीराम
कुरई
में
रुके।
प्रयागराज जिसका पूर्व नाम इलाहाबाद था। कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयागराज पहुंचे थे। - प्रयागराज से भगवान राम वनवास के दौरान चित्रकूट गए थे ।
- चित्रकूट में ही भगवान राम को अयोध्या ले जाने के लिए भरत आए थे।
- सतना में अत्रि ऋषि का आश्रम था जहां राम के जाने का वर्णन है।
- चित्रकूट से निकलकर भगवान श्रीराम दंडकारण्य पहुंचे।
- मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर दंडकारण्य था।
- दण्डकारण्य में मुनियों के आश्रमों में रहने के बाद श्रीराम अगस्त्य मुनि के आश्रम गए। यह आश्रम नासिक के पंचवटी क्षेत्र में है, जो गोदावरी नदी के किनारे बसा है। यहीं पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी।
- नासिक क्षेत्र में ही रावण ने सीता का हरण किया और जटायु का भी वध किया था। इसी तीर्थ पर लक्ष्मण रेखा थी।
- पर्णशाला आंध्रप्रदेश में खम्मम जिले के भद्राचलम में स्थित है। रामालय से लगभग 1 घंटे की दूरी पर स्थित पर्णशाला को पनसाला भी कहते हैं।
- तुंगभद्रा एवं कावेरी नदी क्षेत्रों के अनेक स्थलों पर भगवान श्रीराम, सीताजी की खोज में गए थे।
- रास्ते में वे पम्पा नदी के पास शबरी आश्रम भी गए, जो केरल में स्थित है।
- मलय पर्वत और चंदन वनों को पार करते हुए राम ऋष्यमूक पर्वत की ओर बढ़े। यहां उन्होंने हनुमान और सुग्रीव से भेंट की व बाली का वध किया।
- कोडीकरई में राम की सेना ने पड़ाव डाला और रामेश्वरम की ओर कूच किया।
- रामेश्वर में श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के पहले यहां भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वरम में ही शिवलिंग श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग है।
- श्रीराम रामेश्वरम के आगे धनुषकोडी पहुंचे। यहीं से उन्होंने रामसेतु बनाया।
- नुवारा एलिया पर्वत है। श्रीलंका में नुआरा एलिया पहाड़ियों के आसपास स्थित रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, खंडहर हो चुके विभीषण के महल आदि की पुरातात्विक जांच से इनके रामायण काल के होने की पुष्टि होती है