'मैंने गुस्से में आकर श्रद्धा को मार दिया', आफताब के दावे में कितना सच? साइकोलोजिस्ट ने किया खुलासा
'गुस्से में श्रद्धा का मर्डर' करने के आफताब के दावे को अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट साइकोलोजिस्ट डॉ. संदीप वोहरा ने खारिज किया है।
Shraddha Walker case latest news: श्रद्धा वॉकर मर्डर केस में आरोपी आफताब को लेकर हर रोज एक नई कहानी सामने आ रही है। हाल ही में एक रिपोर्ट में पता चला कि श्रद्धा ने आफताब के खिलाफ साल 2020 में भी शिकायत दी थी, लेकिन बाद में अपनी शिकायत को वापस ले लिया, जिसकी वजह से पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं, मंगलवार को साकेत कोर्ट में पेशी के दौरान आफताब ने बताया कि किसी बात को लेकर दोनों के बीच बहस हुई और उसने गुस्से में आकर श्रद्धा का मर्डर कर दिया। हालांकि आफताब के इस दावे को अब अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट साइकोलोजिस्ट डॉ. संदीप वोहरा ने खारिज किया है।
'ये एक सोची-समझी हत्या है'
एएनआई की खबर के मुताबिक, डॉ. संदीप वोहरा ने कहा कि ये गुस्से में आकर किए गए मर्डर का मामला नहीं है, बल्कि पूरी तरह से एक सोची-समझी हत्या है। डॉ. संदीप वोहरा ने कहा, 'मैं इस दावे से बिल्कुल सहमत नहीं हूं कि आफताब ने गुस्से में आकर श्रद्धा की हत्या कर दी। अगर गुस्से में आकर ऐसा कुछ होता है, तो करने वाले को तुरंत अपने अपराध का बोध होता है, और वो खुद को दोषी महसूस करता है, अगर तुरंत ना भी करे तो बाद में वो इस बात को महसूस करता है।'
'आफताब के दिमाग में लगातार कुछ चल रहा था'
डॉ. संदीप वोहरा ने आगे कहा, 'कई बार आपने ऐसे केस सुने होंगे, जिसमें किसी ने गुस्से में आकर किसी को गोली मार दी, या उसकी हत्या कर दी और बाद में पुलिस के सामने उसने सरेंडर कर दिया और अपना गुनाह कबूल कर लिया। इसलिए मैं कह सकता हूं कि ये मामला गुस्से में आकर किए गए मर्डर का नहीं है। इस केस को देखकर लगता है कि आफताब के दिमाग में लगातार कुछ चल रहा था और उसने एक प्लानिंग के तहत इस हत्या को अंजाम दिया। क्योंकि, हत्या के बाद उसने जो कुछ किया, वो एक सामान्य इंसान नहीं कर सकता, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक लक्षणों वाला ही ऐसा कर सकता है। आफताब जैसे लोगों को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं होता है।'
'परिवार से श्रद्धा को सपोर्ट मिलता, तो आज जीवित होती'
दिल्ली पुलिस के सवालों पर आफताब के गोल-मोल जवाब देने को लेकर डॉ. संदीप वोहरा ने कहा, 'ऐसे मामलों में आफताब जैसे लोग लगातार अपने बयान बदलते हैं और पुलिस को गुमराह करते हैं। ऐसे लोगों के ऊपर किसी तरह का कोई भरोसा नहीं किया जा सकता, जिनके अंदर सामान्य भावनाएं ही नहीं हैं। श्रद्धा ही हत्या के मामले में उसका अपने परिवार के साथ बातचीत ना करना और परिवार से सपोर्ट ना मिलना भी एक बड़ा फैक्टर है। अगर शुरू में ही परिवार से श्रद्धा को सपोर्ट मिलता, तो आज वो जीवित होती।'