सेना के लिए जरूरी गोला बारूद का निर्माण करने में पीछे ऑर्डनेंस फैक्ट्रियां-CAG
नई दिल्ली। देश की ऑर्डनेंस फैक्ट्रियां सेना के लिए जरूरी गोला-बारूद की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही हैं। इस वजह से सेना की तैयारियों पर खासा असर पड़ रहा है। सेना को 80 प्रतिशत तक की सप्लाई ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों से होती है। संसद में पेश डिफेंस सर्विसेज पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी कैग की रिपोर्ट से यह जानकारी दी गई है। कैग की मानें तो ऑर्डनेंस फैक्ट्रियां आधे से भी कम यानी 49 प्रतिशत सामग्रियों में ही प्रॉडक्शन के टारगेट को हासिल कर पा रही हैं। साल 2016-17 की तुलना में 2017-18 में ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों के एक्सपोर्ट में भी 39 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई थी।
ऑडिट रिपोर्ट को भी किया गया शामिल
कैग ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि 31 मार्च, 2018 तक ऑर्डनेंस फैक्ट्रियां सेना की बड़ी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाई थीं। रिपोर्ट में ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों के वित्तीय लेन-देन के ऑडिट रिपोर्ट को भी शामिल किया गया है। यह संगठन रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पाद के अंतर्गत आता है। रिपोर्ट के मुताबिक ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड को साल 2017-18 में राजस्व व्यय और पूंजीगत व्यय के लिए 14,793 करोड़ रुपए और 804 करोड़ रुपए का बजटीय अनुदान मिला था। उस वर्ष बोर्ड ने 14,251 करोड़ रुपये की सामग्रियां सप्लाई की। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि आयुध फैक्ट्रियां गोला-बारूद को सुरक्षित और विश्वसनीय तरीके से छोड़े जाने के लिए जरूरी अहम खाली और भरे हुए फ्यूज का उत्पादन भी पूरी क्षमता के साथ नहीं कर पा रही हैं। सामग्रियों की कमी और गुणवत्ता की समस्या के चलते आठ तरह के खाली फ्यूज के उत्पादन में सबसे ज्यादा कमी दर्ज की गई है। फ्यूज की कमी के चलते सेना के 403 करोड़ से ज्यादा के गोला-बारूद बेकार पड़े हैं। खराब फ्यूज के चलते 18 बड़े हादसे भी हुए हैं। 2011 से लागू ई-प्रोक्योरमेंट प्रणाली का भी सही तरीके से पालन नहीं किया जा रहा है।