ओमिक्रॉन की पहचान करने वाले केमिकल रीएजेंट्स की देश में हुई कमी, 5 लैब्स हुईं बंद
नई दिल्ली, 20 जनवरी: देश में कोरोना महामारी के मामले तेजी बढ़ रहे हैं। आज 3 लाख से अधिक नए कोरोना संक्रमण के मामले आए हैं। कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन देश के कई राज्यों में अपना पैर पसार चुका है। इसी बीच एक बेहद ही हैरान कर देने वाली जानकारी सामने आई है।लैबों में ओमिक्रॉन का पता लगाने के लिए सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग करने में परेशानी आ रही है। इसकी पीछे की वजह जीनोम सीक्वेंसिंग में काम आने वाले केमिकल रीएजेंट्स की कमी बताई जा रही है। जो लैब्स को उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।

एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, INSACOG की फिलहाल 38 लैब में कोरोना वायरस के जीनोम सीक्वेंसिंग की सुविधा है, लेकिन इनमें से 5 लैब में यह काम बंद है। फंड की कमी से यह दिक्कत आ रही है। एनसीडीसी के पास भी रीएजेंट्स की कमी है, पर फिलहाल यहां पर जीनोम सीक्वेंसिंग हो रही है। पिछले महीने की तुलना में जीनोम सिक्वेंसिंग में करीब 40% की गिरावट दर्ज की गई है।
सूत्रों के मुताबिक, रीएजेंट्स की कमी एक समस्या बन रही है क्योंकि सरकार अधिक संक्रामक ओमिक्रॉन स्ट्रेन के मामलों की पहचान करने की कोशिश कर रही है ताकि इस वायरस को और नियंत्रित किया जा सके। इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कोविड की स्थिति की समीक्षा के लिए हुई बैठक में जीनोम सीक्वेंसिंग के महत्व को रेखांकित किया। लेकिन अब लैब्स को फंड की कमी का सामना करना पड़ा रहा है।
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