Shopian fake encounter: आर्मी कैप्टन ने मजदूरों का किया अपहरण, आतंकी साबित करने के लिए खुद रखे हथियार
नई दिल्ली। Shopian fake encounter. शोपियां (Shopian) के असीमपुरा में पांच महीने पहले तीन युवाओं को गोली मारे जाने के मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस (jammu kashmir police)ने एक आरोप पत्र दाखिल किया है। फर्जी मुठभेड़ (fake encounter) मामले में सेना के एक अधिकारी समेत तीन लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। उस मुठभेड़ में तीन नागरिकों की मौत हो गई थी। पुलिस चार्जशीट में दावा किया गया है कि तीन युवाओं को अगवा किया गया और फिर एनकाउंटर के नाम पर उन्हें गोली मार दी गई। आरोप पत्र शनिवार को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत, शोपियां में दायर किया गया।
चार्जशीट में आर्मी कैप्टन का नाम
उन्होंने कहा कि आरोप पत्र में सेना की 62 राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन भूपिंदर उर्फ मेजर बशीर खान, बिलाल अहमद और ताबिश अहमद को कथित फर्जी मुठभेड़ में उनकी भूमिका के लिए आरोपी बनाया गया है। आरोपपत्र में खुलासा किया गया है कि कैसे तीनों पीड़ितों को सेना के कैप्टन और उनके दो सहयोगियों द्वारा एक पूर्व-व्यवस्थित वाहन में ले जाया गया था। उन्हें एक बाग के पास ले जाकर गोली मारी। गोली मारने से पहले तीनों मजदूरों को भागने के लिए कहा गया। चार्जशीट में कहा गया है कि, 'सेना के अधिकारी और दो अन्य ने जानबूझकर मानकों (एसओपी) का पालन नहीं किया और उन्होंने हार्डकोर आतंकी साबित करने के लिए युवकों के शवों के पास अवैध हथियार और सामग्री रखी दी थी।
शोपियां में मजदूरी करने गए थे तीनों युवा
चार्जशीट में कहा गया है कि, इन सेना के जवानों ने जानबूझकर अपने सहयोगियों और सीनियर्स को भी इसके बारे में गलत जानकारी दी थी। इसका खुलासा मारे गए मजदूरों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने पर हुआ। जिसके बाद जम्मू के राजौरी जिले के तीन परिवारों ने दावा किया कि मारे गए उनके परिजन हैं, जो शोपियां में मजदूरी करने गए थे। इसके बाद तीनों मजदूरों की डीएनए जांच हुई, जिसके बाद साबित हुआ कि मारे गए आतंकी नहीं, बल्कि मजदूर थे।
ऐसे बनाया गया प्लान
उनकी पहचान जम्मू और कश्मीर के राजौरी क्षेत्र के सभी निवासी इबरार अहमद (16), इम्तियाज अहमद (25) और इबरार अहमद (20) के रूप में की गई। एनकाउंटर से एक रात पहले 17 जुलाई को सेना अधिकारी ने अपने दो नागरिक साथियों तबीस नजीर मलिक और बशीर अहमद लोन से रेशनागरी इलाके में सेना के शिविर में मुलाकात की।यहां वे एक लोन की कार से पहुंचे थे। जांच से यह भी पता चला है कि सेना के अधिकारी काफी समय से इन दोनों के संपर्क में थे।
आतंकी साबित करने के लिए आर्मी कैप्टन ने शव के पास रखे थे हथियार
आर्मी कैंप से तीनों सैनिकों ने वह कार छोड़ दी। यहां से वे दूसरी गाड़ी में निकले। 62 आरआर से आये लोगों ने 17 जुलाई को शाम 6:30 बजे के आसपास एक नागरिक के पंजीकरण नंबर DL8CU0649 वाहन लिया। शोपियां में काम ढूंढने राजौरी से तीन मजदूर कुछ घंटे पहले ही चौगाम इलाके में पहुंचे थे, यहां वे किराए के घर में रह रहे थे, जहां से तीनों का अपहरण कर लिया गया। इसके बाद उन्हें एक सूनसान इलाके में लेकर जाकर मार दिया गया।
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