बजरंगबली पर सियासत पर शिवसेना का तंज, रामायण के अन्य पात्र भी अपना जाति प्रमाण पत्र तैयार रखें
नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से भगवान हनुमान की जाति और धर्म को लेकर तमाम राजनेता बयान दे रहे हैं उसके बाद शिवसेना ने तंज कसा है। शिवसेना ने तंज कसते हुए कहा कि रामायण के अन्य पात्रों को भी अपना जाति प्रमाण पत्र तैयार रखना चाहिए। इस पूरी बहस को बेवजह और निराधार करार देते हिुए शिवसेना ने कहा कि उत्तर प्रदेश में नई रामायण लिखने की कोशिश की गई थी, भगवान हनुमान की जाति को बताया गया था, इस तरह की तुलना कुंठित मानसिकता को दर्शाती है।0
अभी
मंदिर
निर्माण
होना
है
शिवसेना
के
मुखपत्र
सामना
में
लेख
छपा
है
जिसमे
कहा
गया
है
कि
अभी
राम
मंदिर
का
निर्माण
होना
है
लेकिन
भाजपा
के
भीतर
भगवान
हनुमान
की
जाति
को
लेकर
बहस
शुरू
हो
गई
है।
आखिर
में
भगवान
हनुमान
की
धर्म
और
जाति
पर
बहस
का
क्या
मतलब
है।
गौर
करने
वाली
बात
है
कि
हाल
ही
में
तीन
राज्यों
में
विधानसभा
चुनाव
के
दौरान
प्रचार
के
समय
यूपी
के
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
ने
कहा
था
कि
भगवान
हनुमान
दलित
थे,
इसके
बाद
कई
तमाम
लोग
सामने
आए
और
उन्होंने
भगवान
हनुमान
को
अपनी
जाति
का
होने
का
दावा
किया।
मंत्री
ने
आधिकारिक
रूप
से
भगवान
हनुमान
की
बताई
जाति
सामना
में
लिखा
गया
है
कि
योगी
आदित्यनाथ
के
बाद
ही
विधायक
बुक्कल
नवाब
ने
कहा
कि
हनुमान
मुसलमान
हैं।
लेकिन
वास्तविकता
यह
है
कि
भगवान
हनुमान
की
जाति
और
धर्म
ढूंढ़ना
बेवकूफी
है।
यही
नहीं
योगी
आदित्यनाथ
सरकार
में
मंत्री
लक्ष्मी
नारायण
चौधरी
ने
विधानसभा
के
भीतर
आधिकारिक
रूप
से
कहा
है
कि
भगवान
हनुमान
जाट
थे।
वहीं
आचार्य
निर्भय
सागर
महाराज
ने
दावा
किया
है
कि
जैन
धर्म
कि
पवित्र
पुस्तकों
के
अनुसार
भगवान
हनुमान
जैन
हैं।
भगवान
हनुमान
का
मजाक
शिवसेना
के
मुखपत्र
सामना
में
छपे
संपादकीय
में
कहा
गया
है
कि
उत्तर
प्रदेश
की
विधानसभा
में
नई
रामायण
लिखने
की
कोशिश
हो
रही
है
और
रामायण
के
तमाम
पात्रों
को
जाति
प्रमाण
पत्र
दिया
जा
रहा
है।
अयोध्या
में
अभी
भी
राम
मंदिर
का
निर्माण
होना
है,
लेकिन
ये
लोग
भगवान
के
भक्तों
की
जाति
ढूंढ़ने
में
लगे
हैं।
इस
तरह
से
ये
लोग
भगवान
हनुमान
का
मजाक
उड़ा
रहे
हैं,
लेकिन
जो
लोग
खुद
को
हिंदू
धर्म
का
रक्षक
बताते
हैं
वह
अभी
चुप
हैं।
अगर
यह
किसी
मुस्लिम
नेता
ने
कहा
होता
तो
अबतक
काफी
हंगामा
हो
रहा
होता।
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