गोपालकृष्ण गांधी के याकूब मेमन कनेक्शन पर शिवसेना ने उठाए सवाल
शिवसेना ने यूपीए के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी के खिलाफ उठाया सवाल, जिसने याकूब मेमन की फांसी का विरोध किया, वह उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार कैसे हो सकता है
नई दिल्ली। देश के अगले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए यूपीए ने गोपालकृष्ण गांधी को अपना उम्मीदवार बनाया है। लेकिन गोपालकृष्ण गांधी के उम्मीदवारी पर शिवसेना ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। शिवसेना ने यूपीए पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस व्यक्ति ने देश पर हमला करने वाले याकूब मेमन की फांसी का विरोध किया था और देश की भावना के खिलाफ काम किया था, यूपीए आखिर कैसे ऐसे व्यक्ति को देश के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर आगे कर सकती है।
गोपालकृष्ण को किसी भी संवैधानिक पद पर नहीं होना चाहिए
आपको बता दें कि शिवसेना नेता संजय राउत ने ट्वीट करके कांग्रेस के सामने सवाल रखा कि क्या आप गोपालकृष्ण गांधी को उपराष्ट्रपति बनाना चाहते हैं, जिसने 93 में मुंबई धमाके की साजिश रची, जय हिंद। इस ट्वीट के बाद संजय राउत ने कहा कि जिस वक्त देश याकूब मेमन के लिए फांसी चाहता था, उस वक्त गोपालकृष्ण गांधी देश की भावना के खिलाफ काम कर रहे थे, ऐसे में इस तरह की सोच रखने वाले व्यक्ति को किसी भी तरह के संवैधानिक पद पर नहीं होना चाहिए।
याकूब की फांसी को माफ करने के लिए लिखा था पत्र
मुंबई धमाके के मुख्य आरोपी याकूब मेमन को फांसी की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में उन्हें फांसी की सजा दी गई थी। लेकिन याकूब की फांसी से पहले उसके समर्थन में कई जगहों पर आवाज उठी थी। मेमन ने खुद अपनी फांसी को माफ कराने के लिए कोर्ट में जिरह की थी। यही नहीं गोपालकृष्ण गांधी ने खुद राष्ट्रपति को उस वक्त पत्र लिखकर याकूब को दी जाने वाली फांसी को रद्द करने की अपील की थी।
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क्या दलील दी थी गांधी ने
गोपालकृष्ण गांधी ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा था कि याकूब ने भारत की न्याय व्यवस्था के सामने खुद को सौंपा और उसने कानून को अपना सहयोग भी दिया था, लिहाजा उसे फांसी नहीं दी जानी चाहिए। याकूब को फांसी नहीं दिए जाने के लिए गोपालकृष्ण गांधी ने अब्दुल कलाम का जिक्र करते हुए कहा था कि वह हमेशा से फांसी के खिलाफ थे। यही नहीं गोपालकृष्ण ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा था कि वह इस पत्र को सार्वजनिक कर देंगे।