शिवराज चौहान की जीत के साथ ही टूट गया बुधनी से जुड़ा 38 साल पुराना मिथक
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी पारंपरिक सीट बुधनी पर भले ही जबरदस्त जीत दर्ज की हो, लेकिन उनकी पार्टी सत्ता से बाहर हो गई। हाईप्रोफाइल बुधनी विधानसभा सीट से जुड़ा मिथक है कि अब तक के चुनाव में जिस भी पार्टी का उम्मीदवार यहां से जीतता था, सूबे में उसी की सरकार का गठन होता था। मगर इस बार 38 साल बाद यह मिथक टूट चुका है।
बधनी की जीत के जुड़ा एमपी की सत्ता की मिथक
अगर हम इस सीट के पुराने इतिहास को उठाकर देखे तो 1980 में बुधनी से कांग्रेस से के एन प्रधान जीते थे और एमपी में कांग्रेस की सरकार बनी थी। इसके बाद 1985 में कांग्रेस के चौहान सिंह जीते जिसके बाद फिर से कांग्रेस सरकार बनी। 1990 में बीजेपी से शिवराज सिंह चौहान विधायक बने तो प्रदेश में भी बीजेपी की सरकार बनी। इसके बाद 1993 में कांग्रेस के राजकुमार पटेल जीते जिसके बाद प्रदेश में दिग्विजय की सरकार बनी।
1998 में कांग्रेस के देव कुमार पटेल जीते और फिर से प्रदेश में दिग्विजय सिंह सीएम बने
इसके बाद 1998 में कांग्रेस के देव कुमार पटेल जीते और फिर से प्रदेश में दिग्विजय सिंह सीएम बने। 2003 में बीजेपी के राजेंद्र सिंह राजपूत यहां से जीते और एमपी में उमा भारती के नेतृत्व वाली सरकार बनी। 2003 के बाद से 2008 में विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान विजयी हुए और उनके नेतृत्व में बीजेपी ने सत्ता लगातार दूसरी बार वापसी करने में सफल रही।
शिवराज सिंह चौहान ट्विटर पर हुए 'मध्य प्रदेश के आम आदमी'
इस बार 38 साल पुराना मिथक टूट गया
यहीं क्रम 2013 में भी जारी रहा। एक बार फिर से शिवराज सिंह ने बुधनी विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीते भी। इसके साथ ही बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी की। लेकिन इस बार 38 साल पुराना मिथक टूट गया। बुधनी से शिवराज सिंह ने तो चुनाव जीत लिया लेकिन उनकी पार्टी की एमपी में सरकार नहीं बन सकी।
ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे पुल का काम देखने पहुंचे पर्रिकर, लोग कर रहे हैं तारीफ