मध्यप्रदेश उपचुनाव में कांग्रेस को घुटनों पर टिका सकता है शिवराज का ये दांव
नई दिल्ली- मध्य प्रदेश में विधानसभा की 28 सीटों पर हो रहा उपचुनाव एक तरह से मिनी असेंबली इलेक्शन है। यह चुनाव ही तय करेगा कि शिवराज सिंह चौहान की सरकार रहेगी या फिर वहां फिर से कांग्रेस का 'कमल' खिलेगा। भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनौती बिल्कुल आसान नहीं है। कांग्रेस अपनी मुंह से छीना हुआ सत्ता का 'निवाला' हर हाल में वापस लेने को आतुर है। यही वजह कि शिवराज के निशाने पर हर सभा में ज्यादातर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी सरकार की नाकामियां होती हैं। लेकिन, जब चुनाव के कुछ वक्त रह गए हैं तो शिवराज सिंह चौहान एक पर एक ऐसे मास्टरस्ट्रोक चल रहे हैं या कांग्रेस उन्हें मौका दे रही है कि वह कमलनाथ का सत्ता में वापसी का सपना चकनाचूर भी कर सकते हैं।
सीएम शिवराज को पता है कि यह उपचुनाव उनके लिए दिसंबर, 2018 भी साबित हो सकता है। इसलिए, वह अब वोटरों के बीच घुटनों के बल उतर आए हैं। मंदसौर समेत कई चुनावी रैलियों में वह घुटनों के बल झुककर जनता का आशीर्वाद मांग रहे हैं, ताकि वह पूरा कार्यकाल उनकी सेवा कर सकें। एक तरफ वह पिछली कांग्रेस सरकार के वादों और उनके काम का ब्योरा बताते हैं और दूसरी तरह जनता से भावुक अपील करते हैं। दतिया की एक जनसभा में मुख्यमंत्री बोले कि 'राज्य हमारे लिए मंदिर और जनता देवता है। मैं सत्रह बार घुटनों पर बैठूंगा। हर सभा में भाषण से पहले घुटनों पर बैठूंगा।' वैसे सवाल है कि अगर उन्होंने काम किया है और उन्हें उसपर भरोसा है तो घुटनों के बल बैठने की क्या जरूरत है। पब्लिक तो सब जानती ही है। वैसे यह भी याद करने वाली बात है कि यही मंदसौर है, जहां शिवराज की सरकार ने पिछली सरकार में किसानों पर भी गोलियां चलवाईं थीं।
जहां एक तरफ शिवराज उपचुनाव में जीत पक्की करने के लिए मतदाताओं को सिर-माथे बिठा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस नेता ऐसे बड़बोले बयान दे रहे हैं, जिसका खामियाजा भी पार्टी को भुगतना पड़ सकता है। मसलन, कांग्रेस नेता दिनेश गुर्जर ने मुख्यमंत्री के लिए बहुत ही विवादित बयान दिया है। दिनेश गुर्जर ने एक रैली में कमलनाथ की अमीरी का बखान करते हुए कहा है कि "कमलनाथ हिंदुस्तान के दूसरे नंबर के उद्योगपति हैं। शिवराज सिंह चौहान की तरह नंगे-भूखे घर के नहीं हैं।" बस फिर क्या है भाजपा और खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव के समय विरोधी दल के नेता के इस बयान को हाथों-हाथ लेते हुए, चुनावी अंदाज में जवाब देना शुरू कर दिया है।
पहले मध्य प्रदेश बीजेपी ने इस पर ट्विटर के जरिए इस तरह की प्रतिक्रिया दी, "यही कांग्रेस की मानसिकता है, यही इनकी पीड़ा और यही इनकी सोच। एक 'किसान पुत्र' कैसे किसी 'नामी उद्योगपति' के सामने खड़ा हो सकता है? वो 'किसान पुत्र' जो सिर्फ जनता के आगे झुकता हो, जिसका जीवन ही जनसेवा को समर्पित हो। ग़ुलाम मानसिकता के कांग्रेसियों का असली चेहरा सामने आ गया।" इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज ने इसपर रिट्वीट करके अपनी प्रतिक्रिया कुछ यूं जाहिर की, "हाँ... मैं 'नंगे-भूखे' परिवार से हूँ, इसीलिए उनका दुःख-दर्द समझता हूँ। हाँ...मैं गरीब हूँ इसीलिए गरीब बेटे-बेटियों को मामा बन पढ़ाता हूँ। गरीब हूँ इसी लिए गरीब माँ-बाप की बेटियों का कन्यादान करता हूँ। गरीब हूँ, इसी लिए हर गरीब का दर्द समझता हूँ... प्रदेश को समझता हूँ।" यूं समझ लीजिए कि एक कांग्रेसी नेता ने शिवराज सिंह चौहान को मोदी स्टाइल राजनीति करने का मौका दे दिया है।
कांग्रेस केंद्र में 2014 में सत्ता से बेदखल हो गई। मध्य प्रदेश में मुश्किल से सत्ता में आई थी। लेकिन बावजूद इसके लगता है कि उसके नेताओं की अकड़ खत्म नहीं हुई है। शिवराज सिंह चौहान और भाजपा को पता है कि कांग्रेस नेताओं के ऐसे ही हल्के बयानों का उन्हें चुनावों में कितना फायदा मिला है। शिवराज जो कुछ कर रहे हैं और कह रहे हैं, उन्हें अपने नेता से सीखने का मौका मिला है। वैसे शिवराज के इस नक्शेकदम पर अब भाजपा के कुछ उम्मीदवारों ने भी चलना शुरू कर दिया है। मसलन, करैरा से पार्टी प्रत्याशी जसवंत जाटव तो घुटनों के बल गिरकर लोगों से माफी भी मांग रहे हैं। एक सभा में उन्होंने रो-रो कर लोगों से उनकी गलतियों को भूल जाने को कहा है।