पीएम मोदी पर शिवसेना का हमला, कहा- आंदोलनकारी किसानों को सड़क पर मरने देना तिरंगे का असली अपमान
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली हिंसा के दौरान तिरंगे का अपमान नहीं किया गया, किसान आंदोलन के लाल किले पर पहुंचने तक यह तिरंगा ज्यों का त्यों बरकरार था।
नई दिल्ली। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली हिंसा के दौरान तिरंगे का अपमान नहीं किया गया, किसान आंदोलन के लाल किले पर पहुंचने तक यह तिरंगा ज्यों का त्यों बरकरार था। मालूम हो कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले रविवार को कहा था कि भारत 26 जनवरी को तिरंगे का अपमान देखकर स्तब्ध रह गया था।
शिवसेना ने सामना के संपादकीय में लिखा है कि मीडिया में उस दिन की जो तस्वीरें सामने आई हैं उनसे साफ पता चल रहा है कि तिरंगे को छूआ तक नहीं गया। "भाजपा द्वारा जो कहानी बनाई गई है कि तिरंगे का अपमान किया गया, ऐसा किसान विरोध को विफल करने के लिए किया गया था। यह सच है कि किसानों के एक समूह ने कानून तोड़ा और उनपर इसके लिए कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन यह कहना कि पूरा आंदोलन राष्ट्र विरोधी है, एक गलत तथ्य है।"
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संपादकीय में आगे कहा गया है कि "गणतंत्र दिवस ट्रैक्टर रैली के दौरान किसान अपने ट्रैक्टरों पर तिरंगे को ले जा रहे थे क्योंकि वे भाजपा की साइबर सेना से अधिक भारत से प्यार करते हैं।" संपादकीय में यह भी कहा गया है कि तिरंगे का असली अपमान यह है कि "सरकार 60 दिनों से दिल्ली की सीमा पर बैठे किसानों पर ध्यान नहीं दे रही है। किसानों को सड़क पर इस तरह मरने के लिए छोड़ देना तिरंगे का असली अपमान है। सीमा पर तिरंगे के लिए जो जवान अपनी जान को दाव पर लगाकर तैनात हैं वो इन्हीं किसानों में से किसी के बेटे हैं। राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करने वाले इन किसानों को इतनी परेशानी क्यों उठानी पड़ रही है।"
शिवसेना ने किसानों को दोबारा दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए दिल्ली के बॉर्डर पर की जा रही पुख्ता बैरिकेडिंग के लिए भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। पीएम मोदी के नवीनतम मन की बात कार्यक्रम का जिक्र करते हुए संपादकीय में इसको लेकर कहा गया है कि, "अगर लद्दाख में इस तरह की व्यवस्था की गई होती, तो चीनी सेना हमारी जमीन में प्रवेश नहीं करती और अपने पिता की तरह व्यवहार करती। श्रीमान, हमारे इलाके में बैठी चीनी सेना भी तिरंगे का अपमान कर रही है।''
शिवसेना के लेख में कहा गया है कि पीएम मोदी की तिरंगे के लिए भावना महत्वपूर्ण हैं। पीएम मोदी भाजपा के नेतृत्व वाले उस समूह का हिस्सा थे जिन्होंने मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में लाल चौक पर तिंरगा लहराया था। संपादकीय में कहा गया है कि तिरंगा जरूरी है, इसलिये इस साल सैन्य बजट में 7.1 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई। आईटीबीपी, बीएसएफ और सीआरपीएफ जैसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को तिरंगे के सम्मान के लिए 1,03,802.52 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया है। लेकिन गणतंत्र दिवस पर जो हुआ, उसे गलत तरीके से बयान करना क्या सम्मानजनक है?"