फडणवीस का फैसला पलटने वाली शिवसेना बाल ठाकरे मेमोरियल के लिए यहां 1,000 पेड़ काटना चाहती है
नई दिल्ली- उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री बनने के बाद जो ताबड़तोड़ शुरुआती फैसले लिए उसमें मुंबई के आरे कॉलोनी में बन रहे मेट्रो कार शेड पर रोक लगाना भी शामिल है। दरअसल, यहां कार शेड के लिए हुई करीब 1,700 पेड़ों की कटाई को लेकर खूब हंगामा मचा था। इसी के मद्देनजर उद्धव ने कार शेड के निर्माण पर रोक तो लगाई ही, इसके विरोध के सिलसिले में जिन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए गए थे, उन्हें वापस लेने का भी फैसला किया। दरअसल, इसके जरिए उद्धव ठाकरे ने यह दिखाने की कोशिश की थी कि पर्यावरण से खिलवाड़ करके वह विकास करने के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन,अब पता चला है कि औरंगाबाद नगर खुद उन्हीं के पिता के नाम पर एक मेमोरियल बनाना चाहता है, जिसके लिए वह 1,000 पेड़ों की कटाई करना चाहता है। औरंगाबाद कॉर्पोरेशन पर अभी शिवसेना का ही कब्जा है और यह मामला भी बॉम्बे हाई कोर्ट में पहुंच चुका है।
ठाकरे मेमोरियल के लिए पेड़ों की कटाई की तैयारी
खबरों के मुताबिक शिवसेना की अगुवाई वाले औरंगाबाद नगर निकम ने पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे के नाम पर मेमोरियल बनाने के लिए 1,000 पेड़ों की कटाई की तैयारी कर ली है। यह पार्क महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित प्रियदर्शिनी पार्क में बनाया जाना है। इस पार्क में एक बाल ठाकरे की याद में एक विशाल मेमोरियल बनाने की तैयारी है, जिसमें एक विशाल एम्फीथियेटर, एक म्यूजियम और एक फूड-कोर्ट बनाए जाने की योजना है। 3 एकड़ में फैले इस मेमोरियल के निर्माण पर करीब 61 एकड़ की लागत आने की संभावना है। बता दें कि औरंगाबाद नगर निगम पर शिवसेना का पिछले 25 वर्षों से कब्जा है और अब महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार का मुख्यमंत्री बनने से उसका उत्साह सातवें आसमान पर पहुंच चुका है।
अनेकों प्रजातियों का उजरेगा बसेरा!
17 एकड़ में फैले औरंगाबाद के प्रियदर्शिनी पार्क में पेड़ों की भरमार है और यह हरा-भरा इलाका शहर के बीचों-बीच स्थित है। इस पार्क की वजह से लोगों को स्वच्छ हवा तो मिलती ही है, यह जॉगिंग और वॉकिंग के लिए भी मशहूर है। पर्यावरण के जानकारों के मुताबिक यह पार्क पक्षियों की 70 और तितलियों की 40 प्रजातियों का बसेरा है। इसके अलावा यहां अनेकों प्रकार के सरीसृप और छोटे स्तनधारी भी पाए जाते हैं। इसी वजह से यह मामला अब बॉम्बे हाई कोर्ट भी पहुंच गया है।
16 दिसंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई
सन्नी खिनवारा नाम के एक वकील की ओर से इसके खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट के औरंगाबाद बेंच में एक पीआईएल दायर की गई है। उनके मुताबिक, 'एएमसी के प्रोजेक्ट रिपोर्ट के मुताबिक कम से कम 1,000 पेड़ काटे जाने की आवश्यकता है। हालांकि, कोर्ट में दर्ज एएमसी का हलफनामा प्रोजेक्ट के लिए काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या को लेकर मौन है। इसमें कहा गया है कि कम से कम पेड़ काटे जाएंगे।' उन्होंने बताया कि सच तो यह है कि एक स्थानीय अखबार में एएमसी की ओर से दिए गए विज्ञापन में 330 पेड़ों की कटाई के लिए टेंडर मंगवाए गए हैं। इनकी ओर से दायर जवाबी हलफनामें में कहा गया कि पार्क की जमीन एएमसी की नहीं है और इसे सिटी एंड इंजस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने एएमसी को सिर्फ पब्लिक गार्डेन को मेंटेन करने के लिए लीज पर दिया हुआ है। इस मामले की सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।
क्या आरे वाला ऐक्शन यहां भी लेंगे उद्धव ?
इस मामले को हाई कोर्ट में ले जाने वाले सन्नी का दावा है कि 2016 में जब से यह पार्क एएमसी के अधीन आया है, इसकी हालत बदतर होती गई है। 1,200 पेड़ या तो काटे जा चुके हैं या सूख गए हैं। उनके मुताबिक यह बात खुद एएमसी ने भी अपनी एफिडेविट में स्वीकार की है। 1980 में सिडको ने यहां की बंजर जमीन महात्मा गांधी मिशन को दिया था, जिसने 10,000 पेड़ लगाकर इसे हरित और खूबसूरत क्षेत्र में परिवर्तित कर दिया। विजय दिवान नाम के एक पर्यावरण कार्यकर्त्ता ने कहा है कि, 'क्या ठाकरे इसमें दखल देंगे और औरंगाबाद में उसी तरह पेड़ों की रक्षा के लिए कदम उठाएंगे जैसा कि आरे कॉलोनी में किया है।'
आरे कॉलोनी में पेड़ कटाई का हुआ था विरोधी
उधर औरंगाबाद के मेयर नंदकुमार घोडेले ने कहा है कि 'हम सुनिश्चित करेंगे कि मेमोरियल बनाने के लिए एक भी पेड़ न कटे और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जी की ओर से दिए गए निर्देशों का पालन करेंगे।' गौरतलब है कि मुंबई के आरे कॉलोनी में पेड़ काटे जाने की इजाजत भी शिवसेना की अगुवाई वाली बीएमसी ही ने दी थी, जबकि आदित्य ठाकरे ने पेड़ कटाई का जमकर विरोध किया था। बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई मेट्रो के लिए पेड़ कटाई पर लगी रोक हटा ली थी और रातों-रात हजारों पेड़ गिरा दिए गए थे। तब शिवसेना ने अपने मुखपत्र के जरिए तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पर निशाना साधा था। बाद में उद्धव सरकार बनने पर मेट्रो कार शेड के निर्माण पर रोक लगा दी गई और इसका विरोध करने वालों पर दर्ज किए मुकदमे वापस लेने की घोषणा की गई थी।
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