कांग्रेस की हार पर शिवसेना का तंज, कहा- पेंशनर क्लब से घिरे हैं राहुल, प्रियंका के लिए कही ये बात
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के शानदार प्रदर्शन के बाद कांग्रेस पर सियासी हमले तेज होते जा रहे हैं। बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने अब कांग्रेस पार्टी और इसके अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा है। शिवसेना ने कहा है कि राहुल गांथी का व्यक्तित्व लोगों को आकर्षित नहीं करता है। शिवसेना ने सोमवार को पार्टी के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कहा कि राहुल गांधी के बोलने की शैली प्रभावी नहीं है, जिसकी वजह से वो आम जनता से जो कहते हैं लोग उससे जुड़ नहीं पाते हैं।
'राहुल गांथी का व्यक्तित्व लोगों को आकर्षित नहीं करता'
कांग्रेस की हार के लिए शिवसेना ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को जिम्मेदार बताते हुए उन पर वंशवादी और पेंशनधारी क्लब से घिरे होने का आरोप लगाया। पार्टी के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा, "कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पेंशनर क्लब से घिरे हुए हैं, जिसकी वजह से कांग्रेस की आज ऐसी स्थिति हो गई है। कांग्रेस दिशाहीन है जिसमें नेता हैं लेकिन कार्यकर्ता नहीं हैं।"
'कांग्रेस दिशाहीन है, जिसमें नेता हैं लेकिन कार्यकर्ता नहीं हैं'
दिलचस्प बात यह है कि शिवसेना ने पिछले साल मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की जीत के लिए राहुल गांधी की सराहना की थी। हालांकि, अब शिवसेना ने संपादकीय में लिखा, "राहुल गांधी, न तो मोतीलाल या जवाहरलाल नेहरू हैं और ना ही इंदिरा या राजीव गांधी हैं। वह केवल सोनिया गांधी के बेटे हैं। उनका व्यक्तित्व यहां तक कि उनके बोलने की शैली भी प्रभावी नहीं है। वह लोगों के बीच लीक से हटकर कोई विचार नहीं रख पाते हैं। ऐसे में देश के युवा उनसे क्यों प्रेरणा लें।"
'सामना' में शिवसेना ने की प्रियंका गांधी की आलोचना
शिवसेना ने लोकसभा चुनाव में प्रभाव छोड़ने में विफल रहने के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा की भी आलोचना की है। संपादकीय में कहा गया, "कांग्रेस पार्टी प्रियंका गांधी को लेकर आई, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। 2014 में, पार्टी ने यूपी में 2 सीटें जीती थीं, अब ये एक पर आ गई, यहां तक कि राहुल गांधी खुद अपनी सीट हार गए।" उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने कहा, "राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने की पेशकश की, लेकिन कांग्रेस कार्यसमिति ने इसे स्वीकार नहीं किया। इसकी वजह ये है कि पार्टी के पास कोई विकल्प या मजबूत हाथ नहीं है। यह कांग्रेस पार्टी की वर्तमान स्थिति है। ऐसे में सवाल यह है कि ऐसी पार्टी का क्या होगा?"
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