बिहार में भाजपा ने नीतीश को सीएम की कुर्सी पर बिठाया तो शिवसेना का दर्द ऐसे छलका
नई दिल्ली- बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी के मुखिया नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने के भाजपा के अपने वादे पर कायम रहने के बाद शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए उस पर तंज कसने की कोशिश की है। इस लेख में एक साल पहले का शिवसेना का वह दर्द भी छलक आया है, जिसमें बीजेपी उसे सीएम पद देने को राजी नहीं हुई थी। गौरतलब है कि बिहार में जदयू से काफी ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद भाजपा ने मुख्यमंत्री पद पर दावा नहीं किया और चुनाव से पहले किए गए वादे के मुताबिक नीतीश कुमार को ही सीएम बनाने की बात पर कायम रही। लेकिन, अब शिवसेना का कहना है कि देखना है कि नीतीश कुमार बीजेपी के इस 'त्याग' का बोझ कब तक ढोते हैं और क्या वह कोई नया रास्ता अपनाते हैं।
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पिछले साल नवंबर में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना पांच साल साथ सरकार चलाने के बाद मिलकर चुनाव लड़ी थी। चुनावों में भाजपा ने फिर से तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को ही बतौर सीएम उम्मीदवार के तौर पर पेश किया था। चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिल गया। बीजेपी 105 और शिवसेना 56 सीटों पर जीती। लेकिन, इसके बाद शिवसेना मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए जिद पर अड़ गई। उसका दावा था कि भाजपा नेताओं ने उससे ऐसा कहा था। लेकिन, बीजेपी इसके लिए तैयार नहीं हुई।
लेकिन, अब जब बिहार में बीजेपी ने 74 सीटें पाने के बावजूद 43 सीटों वाले जेडीयू के नेता नीतीश को मुख्यमंत्री बनाया है तो सामना ने कुछ इस अंदाज में भड़ास निकाली है। इसमें लिखा गया है- 'महाराष्ट्र में बीजेपी को जब ज्यादा सीटें मिलीं तो शिवसेना को मुख्यमंत्री पद नहीं दिया गया। लेकिन, बिहार में जो पार्टी तीसरे स्थान पर आई उसे मुख्यमंत्री पद का ताज दे दिया गया। क्या उदारता है!' सामना के संपाकीय में आगे लिखा गया है कि 'अगर राजनीति में इस त्याग की व्याख्या होने लगेगी तो स्याही कम पड़ जाएगी।'
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने के लिए उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया था, जिनके खिलाफ उसे उस चुनाव में जनादेश मिला था। उसके बाद उद्धव का सपना पूरा हुआ और वे मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हो गए।
महाराष्ट्र में उस चुनाव में एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें ही मिली थीं, लेकिन शिवसेना के साथ आने से महा विकास अघाड़ी की सरकार बन गई। राज्य में चंद्रकांत पाटिल जैसे बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी को लगता है कि उद्धव की सरकार दरअसल पीछे से एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार चला रहे हैं। इसको लेकर शिवसेना के सामना ने लिखा है, 'अब के बाद से इन सभी नेताओं को नजर रखनी चाहिए कि बिहार में नीतीश कुमार की सरकार को आखिर कौन चलाता है।'
इससे पहले जब 10 नवंबर को बिहार में वोटो की गिनती हो रही थी और एनडीए को बढ़त मिलती दिख रही थी तो शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था, 'मैंने बीजेपी नेताओं को कहते (टीवी पर) सुना है कि सिर्फ नीतीश बाबू ही मुख्यमंत्री बनेंगे। नीतीश बाबू को इसके लिए शिवसेना को धन्यवाद देना चाहिए। वादा पर कायम नहीं रहना बिहार में नहीं हो सकेगा, क्योंकि महाराष्ट्र में शिवसेना ने दिखा दिया है कि अगर वादा नहीं निभाते हैं तो क्या हो सकता है।'
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