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महाराष्ट्र: किसी भी सूरत में क्यों नहीं बन सकता शिवसेना का मुख्यमंत्री, जानिए

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नई दिल्ली- महाराष्ट्र में अपने बलबूते भी नई सरकार बना लेने और शिवसेना का ही मुख्यमंत्री बनने के पार्टी के दावों को पलीता लगते दिख रहा है। एनसीपी और कांग्रेस उम्मीदें दिखाने के बाद शिवसेना के भरोसे पर पलीता लगाती दिख रही है। सोमवार को दोनों पार्टियों ने उसे समय पर समर्थन पत्र नहीं दिया और मंगलवार को एनसीपी अपनी सरकार बनाने के लिए सबसे समर्थन बनाने में जुट गई। अब अगर दोनों पार्टियां शिवसेना से सहानुभूति दिखा भी दें तो भी पूरे कार्यकाल के लिए तो उसका सीएम नहीं ही बनने वाला और अगर कांग्रेस सरकार में शामिल हुई तो सीएम का फॉर्मूला क्या निकलेगा अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। मतलब बारह दिन पहले जिस बात की संभावना जताई गई थी आज भी स्थिति लगभग वहीं अटकी पड़ी है। वैसे राजनीति में डंके की चोट पर कुछ भी दावा करना नाममुकिन है और मलाई के चक्कर में कब कौन पलट जाय कहना मुश्किल है।

शिवसेना के दावों की हवा निकली !

शिवसेना के दावों की हवा निकली !

वरिष्ठ शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को दावा किया कि अगर शिवसेना चाहे तो वह राज्य में स्थिर सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़े जुटा लेगी। यही नहीं राउत ने यहां तक दावा कि था कि राज्य लोगों ने 50:50 के फॉर्मूले पर सरकार बनाने का जनादेश दिया है। वे ये तक दावा कर गए थे कि लोग चाहते हैं कि शिवसेना का ही मुख्यमंत्री बने; और राज्य में शिवसेना का ही मुख्यमंत्री बनेगा। दरअसल, इस बयान से एक दिन पहले ही उन्होंने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी, जिसके बाद अटकलें लगनी शुरू हो गईं कि जरूर पवार ने उन्हें कुछ भरोसा दिया होगा। यही वजह है कि शुक्रवार को राउत ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व पर भी हमला बोलना शुरू कर दिया था। उन्होंने ट्विटर पर बिना किसी का नाम लिए लिखा- 'साहब, मत पालिए, अहंकार को इतना, वक्त के सागर में कई सिकंदर डूब गए।' लेकिन, जैसे-जैसे दिन चढ़ा राउत के शेरो-शायरी की हवा निकल गई।

हम विपक्ष में बैठेंगे- एनसीपी

हम विपक्ष में बैठेंगे- एनसीपी

दरअसल, शिवसेना के मंसूबों को शुक्रवार को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब एनसीपी के वरिष्ठ नेता और पार्टी सुप्रीमो के भतीजे अजीत पवार ने कह दिया कि उनकी पार्टी और सहयोगी कांग्रेस विपक्ष में बैठेगी। क्योंकि, लोगों ने उन्हें इसी के लिए मैनडेट दिया है और उनकी पार्टी ऐसा ही करेगी। खास बात ये है कि अजीत पवार ने गुरुवार देर अपने चाचा के घर हुई पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक के बाद ये बयान दिया है। बता दें कि इसी मीटिंग से पहले संजय राउत शरद पवार से मुलाकात कर आए थे। उधर एनसीपी के एक और वरिष्ठ नेता नवाब मलिक ने कहा है कि महाराष्ट्र की जनता ने शिवसेना-बीजेपी को सरकार बनाने का मैनडेट दिया है और जब वे सरकार नहीं बना पाएंगे तब हम निश्चित रूप से इसके लिए प्रयास करेंगे। 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में एनसीपी के 54 और कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं।

शिवसेना के चक्कर में न फंसे पार्टी- निरुपम

शिवसेना के चक्कर में न फंसे पार्टी- निरुपम

इस बीच महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता संजय निरुपम ने भी शुक्रवार को पार्टी को आगाह किया है कि वो शिवसेना को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने के लिए न सोचे। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "कांग्रेस को शिवसेना-बीजेपी के ड्रामे में नहीं पड़ना चाहिए। यह नाटक है। यह ज्यादा सत्ता हथियाने के लिए अस्थाई लड़ाई है...." विधानसभा चुनावों से पहले नेतृत्व के फैसले के खिलाफ विरोध का झंडा उठाने वाले निरुपम ने ये भी लिखा कि, 'जहां तक मेरी समझ है, शिवसेना कभी भी बीजेपी की परछाई से बाहर नहीं आएगी।' उन्होंने उद्धव की पार्टी के साथ 'फ्लर्ट' की सोचने के लिए पार्टी को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि यह बिना मतलब का प्रयास होगा और नेताओं को जल्द ही असलियत का पता चल जाएगा।

शिवसेना के दबाव में नहीं झुक रही बीजेपी

शिवसेना के दबाव में नहीं झुक रही बीजेपी

उधर भाजपा का रवैये से साफ जाहिर है कि वह मुख्यमंत्री के मसले पर किसी भी सूरत में शिवसेना के दबाव में झुकने के लिए तैयार नहीं है। दिल्ली में पार्टी के प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने एक कार्टून के जरिए शिवसेना को चैलेंज किया है कि आखिरकार उसे बीजेपी के साथ मिलकर ही सरकार बनानी पड़ेगी। जबकि, महाराष्ट्र सरकार में मौजूदा वित्तमंत्री और पार्टी नेता सुधीर मुनगंटीवार ने यह कहकर शिवसेना को हिदायत देने की कोशिश की है कि अगर वह इसी तरह ना नुकुर करती रही तो 6 दिन बाद केंद्र सरकार को यहां राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ेगा। यानि, बीजेपी आगे की हर सियासी परिस्थितियों से सियासी स्तर पर निपटने की तैयारी भी कर रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में 56 विधायकों वाली शिवसेना अपने दम पर सरकार कैसे बना सकता है और शिवसेना का मुख्यमंत्री कैसे बन सकता है? जबकि, कोई भी पार्टी उसकी जिद मानने के लिए तैयार नहीं है।

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English summary
Shiv Sena's efforts for its own CM in Maharashtra almost failed
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