वीर सावरकर पर शिवसेना की हालत सांप और छछूंदर जैसी हो गई है!
बेंगलुरू। महाराष्ट्र में परस्पर विरोधी दल के साथ गठबंधन करके सत्ता पर काबिज हुई शिवसेना की हालत मौजूदा दौर में बिल्कुल सांप और छछूंदर जैसी हो गई है। एक तरफ जहां शिवसेना पार्टी विचारधारा से समझौता करके महाराष्ट्र की सीएम की कुर्सी से चिपककर रहना चाहती है तो दूसरी तरफ वह हिंदू, हिंदुत्व और महान सेनानी वीर सावरकर से भी खुद से अलग नहीं रख पा रही है, जिस पर पूर्व और मौजूदा सहयोगी दल दोनों उस पर लगातार प्रहार कर रहे हैं।
चूंकि मामला सियासी है इसलिए शिवसेना ऊहापोह में है। यही कारण है कि वीर सावरकार को अराध्य मानने वाली शिवसेना एक बार कांग्रेस द्वारा बांटी गई एक पुस्तक के सामग्री से पशोपेश में है। वह तय नहीं कर पा रही है कि क्या कहे और क्या करे। मतलब एक तरफ और दूसरी तरफ खाई वाला हिसाब-किताब है। शिवसेना नरम होती है तो बीजेपी घेर लेती है और मूल विचारों पर कड़क होती है तो कांग्रेस और एनसीपी के तेवर तल्ख होने लगते है।
हाल में कांग्रेस सेवादल द्वारा प्रकाशित एक पुस्तक चर्चा में हैं, जिसमें वीर सावरकर की देशभक्ति पर सवाल उठाया गया है। किताब में शिवसेना के अराध्य वीर सावरकर और महात्मा गांधी के हत्या के जिम्मेदार नाथूराम गोडसे के बीच समलैंगिक रिश्ते का आरोप लगाया गया है। सावरकर के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी से शिवसेना आहत है, लेकिन गठबंधन सरकार और सियासी मजबूरी के चलते ज्यादा कुछ बोल नहीं पा रही है।
शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने यह कहकर इतिश्री कर ली है कि कांग्रेस के दिमाग में गंदगी जमा है, लेकिन शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अभी तक मुद्दे पर लंबी चुप्पी साध रखी है। किंगमेकर से किंग बनने के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की जुबान वैसे भी बंद हो गई है। हालांकि पार्टी हितों को देखते हुए उद्धव ठाकरे के लिए टिप्पणी करना अश्वयभावी हो चला है।
Sanjay Raut,Shiv Sena on a statement in Congress Seva Dal booklet 'Godse&Savarkar had a physical relationship': Veer Savarkar was a great man and will remain a great man. A section keeps talking against him,it shows the dirt in their mind,whoever they might be pic.twitter.com/Yv3aLJjraC
— ANI (@ANI) January 3, 2020
हालांकि अराध्यत वीर सावरकर कांग्रेसी चरित्र हनन पर पार्टी प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने जरूर कहा है कि गठबंधन में होने का यह मतलब नहीं होता कि अगर वे हां कहें तो हमें भी हां कहना होगा और अगर वे नहीं कहेंगे तो हम भी नहीं कहेंगे। हम साझा न्यूनतम कार्यक्रम के लिए गठबंधन में हैं।
बड़ी ही चतुराई से प्रियंका चतुर्वेदी ने बात को घुमाते हुए देश की अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी और किसानों की ओर ले गईं और मूल मुद्दों के बारे में बात करने की सलाह देते हुए और गठबंधन की मजबूरी गिनाती हुई कहने लगी कि पार्टी साझा न्यूनतम कार्यक्रम से बंधी हुई है। बकौल चतुर्वेदी, देश में अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, किसानों की बदहाली जैसी कई समस्याएं हैं, लेकिन न तो केंद्र और न ही विपक्ष के पास सावरकर के अलावा कोई और मुद्दा है।'
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शिवसेना के अराध्य वीर सावरकर पर समलैंगिक संबंध का आरोप
गत शुक्रवार को मध्य प्रदेश में आयोजित एक शिविर में कांग्रेस सेवा दल ने 'वीर सावरकर, कितने वीर?' नामक शीर्षक से एक किताब वितरित की थी। किताब में आरोप लगाया गया है कि अंडमान की सेल्युलर जेल से रिहा होने के बाद सावरकर ने ब्रिटिश सरकार से पेंशन हासिल की थी। इसके अलावा महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे और सावरकर के बीच समलैंगिक संबंध थे। वीर सावरकर कितने वीर' में कई किताबों के हवाले से तमाम तरह के दावे किए गए हैं।
विवादित बुक में सावरकर- गोडसे के बीच समलैंगिक संबंध का जिक्र
डॉमिनिक लैपिएर और लैरी कॉलिन की किताब 'फ्रीडम एट मिडनाइट' का जिक्र करते हुए इसमें लिखा है, 'ब्रह्मचर्य धारण करने से पहले नाथूराम गोडसे के एक ही शारीरिक संबंध का ब्यौरा मिलता है। यह समलैंगिक संबंध थे। उनका पार्टनर था उनका राजनैतिक गुरु वीर सावरकर. सावरकर अल्पसंख्यक महिलाओं से बलात्कार करने के लिए लोगों को उकसाते थे।
किताब में लिखी बातों को लेकर बीजेपी ने कड़ा विरोध जताया
किताब में लिखी बातों को लेकर बीजेपी ने कड़ा विरोध जताया है। बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष रामेश्वर शर्मा ने कहा, 'महिलाओं को तंदूर में जलाने वाली कांग्रेस से और क्या उम्मीद की जा सकती है। रामेश्वर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ सोनिया गांधी के हाथों की कठपुतली बनकर रह गई है, इसलिए ऐसी बातें करती है,क्योंकि उसे इस बात का डर है कि देश में कश्मीर, अयोध्या और ट्रिपल तलाक पर इतने बड़े फैसले हुए, लेकिन एक दंगा नहीं हुआ इसलिए जान-बूझकर मुस्लिमों का वोट लेने के लिए कांग्रेस ऐसा करती है।
कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने पुस्तक में छपी बातों पर दी सफाई
उधर, कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने पुस्तक में छपे बातों पर सफाई देते हुए कहा है कि इसके के बारे में सेवादल से पूछा जाएगा कि इसका सोर्स क्या है, जहां से ये चीज़े ली गई है। उन्होंने कहा कि काग्रेंस की संस्कृति किसी का अपमान करने की नही है और न ही किसी के प्रति अपत्तिजनक बातें करती हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने यह जरूर कहा कि भारतीय जनता पार्टी भले वीर सावरकर को वीर कहती है, लेकिन यह सच है कि जब उन्होंने अंग्रेजों से क्षमा याचना की तब कहीं जाकर वो जेल से बाहर आए। इसके अलावा पंकज चतुर्वेदी ने सावरकर को टू नेशन थ्योरी के सबसे बड़े समर्थक भी बताया।
सर सैय्यद अहमद खा ने किया था टू नेशन थ्योरी की परिकल्पना!
सच यह है सर सय्यैद अहमद खां ही पहले वो शख्स थे, जिन्होंने टू नेशन थ्योरी की परिकल्पना का ईजाद किया था। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस ने वीर सावरकर पर हमला बोला है। अभी हाल में भारत बचाओ रैली में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वीर सावरकर पर निशाना साधा कि उनका नाम राहुल सावरकर नहीं है, बल्कि राहुल गांधी है और वो जान दे देंगे, लेकिन माफी नहीं मांगंगे।
'मैं राहुल सावरकर नहीं' कहकर राहुल गांधी ने किया हमला
दरअसल, राहुल गांधी ने झारखंड में आयोजित एक चुनावी रैली के दौरान 'रेप इन इंडिया' टिप्पणी की थी, जिस पर भाजपा सदस्यों ने शुक्रवार को संसद में उनसे माफी की मांग की थी। राहुल की इस टिप्पणी को लेकर संसद में काफी हंगामा हुआ था। शिवसेना ने तब तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हिंदुत्व विचारक के प्रति श्रद्धा को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। संजय राउत ने एक ट्वीट करते हुए लिखा,‘वीर सावरकर न सिर्फ महाराष्ट्र, बल्कि पूरे देश के लिए आदर्श हैं। सावरकर का नाम राष्ट्र और स्वयं के बारे में गौरव को दर्शाता है। नेहरू और गांधी की तरह सावरकर ने भी देश के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। ऐसे प्रत्येक आदर्श को पूजनीय मानना चाहिए। इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता।
मुंबई में जमात-ए-इस्लामी हिंद कार्यक्रम में शिरकत करेगी शिवसेना
लेकिन सीएए के खिलाफ मुंबई में जमात-ए-इस्लामी हिंद द्वारा आयोजित कार्यक्रम का निमंत्रण स्वीकार करके शिवसेना नेता संजय राउत स्वीकार करके सांप और छंछुदर जैसी हालत की पुष्टि कर दी है। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र की सियासत ने फायर ब्रांड नेता के रूप में मशहूर संजय राउत की लिबरलिज्स की कलई चढ़ा दी है, क्योंकि महाराष्ट्र में नए राजनीतिक समीकरण के बाद राउत ऐसा बहुत कुछ कर चुके हैं जो उनकी विचारधारा से मेल नहीं खाता है। इनमें से एक जमायत-ए-इस्लामी हिंद के कार्यक्रम में शिरकत करना प्रमुख है।
शिवसेना ने नागरिकता संशोधन बिल पर लोकसभा में समर्थन किया था
इस कार्यक्रम में संजय राउत की उपस्थिति इसलिए भी दिलचस्प है,क्योंकि शिवसेना ने नागरिकता संशोधन बिल पर लोकसभा में तो समर्थन किया था, लेकिन जब बात राज्यसभा में मतदान के समय पार्टी ने वाकआउट कर गई थी। राज्यसभा से वाकआउट के बाद पार्टी की तीखी आलोचना हुई थी और पार्टी के बचाव में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को आना पड़ा। उद्धव ने कहा था कि महाराष्ट्र में एनआरसी को लागू नहीं करेंगे। साथ ही उन्होने यह भी कहा था कि वो सीएए पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही किसी तरह का कोई निर्णय लेंगे।
मूल वोट बैंक और विचारधारा से चिपकी रहना चाहती है शिवसेना
बात अगर संजय राउत की हो तो जैसे ही नागरिकता संशोधन बिल कानून बना वो सीएए और एनआरसी के खिलाफ मोदी सरकार पर हमलावर हो गए और से जमकर खरी खोटी सुनाई, जो यह साफ करता है कि शिवसेना अभी भी अपने मूल वोट बैंक और विचारधारा से चिपकी रहना चाहती है, क्योंकि उसे भी भरोसा नहीं है कि मौजूदा गठबंधन सरकार महाराष्ट्र में कब तक टिकी है। यही वजह है कि भाजपा नेता प्रह्लाद जोशी ने राहुल गांधी के राहुल सावरकर के बाद शिवसेना पर तंज कसते हुए कहा था कि पार्टी सुविधा के अनुसार किसी के साथ भी जा सकते हैं, वह जो चाहें बन सकती हैं।
शिवसेना को सरकार और सावरकर में से एक को चुनना होगा-भाजपा
वहीं, भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने भी शिवसेना पर निशाना साधते हुए कहा कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को अपना रुख तय करना होगा कि उन्हें कांग्रेस के साथ सत्ता में साझेदारी करनी है, जिसने राष्ट्रीय नायक का अपमान किया या वह स्वतंत्रता सेनानी के साथ हैं। शिवसेना को सरकार और सावरकर में से एक को चुनना होगा। पार्टी को अपना रुख साफ करना होगा। दिलचस्प बात यह है कि शिवसेना को अभी सांप-छछुंदर के खेल में मजा आने लगा है। यही कारण है कि वह हिंदुत्व, वीर सावरकार और गठबंधन की राजनीति तीनों में संभल-संभल कर बयान दे रही है और पार्टी अभी वहां भी दिख रही हैं, जहां पार्टी स्थापना के बाद उसके दिखने की कभी संभावना नहीं थी।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन कर चुकी है शिवसेना
यह पहला अवसर नहीं है जब शिवसेना किसी मुस्लिम कार्यक्रम में शिरकत करने जा रही है। करीब 31 साल पहले वर् 1989 में पार्टी संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने कट्टर विरोधी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के साथ गठबंधन किया था। दिलचस्प बात यह है कि तब हिंदू हृदय सम्राट बाल ठाकरे ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के कट्टरपंथी मुस्लिम नेता गुलाम मोहम्मद बनातवाला के साथ स्टेज भी साझा किया था, जो विशेषकर बाल ठाकरे का प्रबल आलोचक थे। यही नहीं, शिवसेना ने 1970 में अपना मेयर बनाए जाने के लिए मुस्लिम लीग से गठबंधन कर मदद ले चुकी है।
इसलिए महाराष्ट्र के किंगमेकर से किंग की भूमिका में आई शिवसेना
ठीक वैसे ही, शिवसेना ने महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी मोर्च में शामिल होकर अपनी मूल विचारधाराओं से समझौता करने में देर नहीं लगाई है। महाराष्ट्र के किंगमेकर से किंग की भूमिका में आई शिवसेना जब से महाराष्ट्र की सत्ता पर सवार हुई है, उसके रंग-ढंग, चाल और चरित्र में तेजी से बदलाव आया है। कट्टर हिंदूवादी विचारधारा का पोषण और उसको प्रश्रय देनी वाली शिवसेना अब सियासी शतरंज की बिसात पर मूल विचारधाराओं को ऐसे छोड़कर आगे बढ़ रही है जैसे सर्प अपने केंचुल बदलकर आगे बढ़ जाते हैं। इसकी बानगी शिवसेना के मुखपत्र सामना के बदले हुए मास्टरहेड के रंग और कलेवर और हिंदू शब्द से उसकी एहतियातन दूरी में बखूबी देखी जा सकती है और महाराष्ट्र में मुस्लिमों को 5 फीसदी आरक्षण पर राजीनामा से समझा जा सकता है, जिस पर पिछले 5 वर्ष शिवसेना मौन साधे हुई थी।
सावरकर के पौत्र की मांग, कांग्रेस सेवा दल के खिलाफ केस दर्ज हो
कांग्रेस सेवादल द्वारा बांटी पुस्तक से नाराज वीर नायक दामोदर सावरकर के पौत्र रंजीत सावरकर ने मध्य प्रदेश सरकार से कांग्रेस सेवा दल द्वारा वितरित किताब पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, 'कांग्रेस सावरकर को बदनाम करने की साजिश कर रही है। स्वाधीनता सेनानी सावरकर के खिलाफ अनुचित आरोप लगाकर पार्टी देश में अराजकता फैलाने की साजिश भी कर रही है। सरकार को कांग्रेस सेवा दल के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करना चाहिए।' इस मामले में रंजीत सावरकर ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से भी कार्रवाई करने की मांग की। हाालांकि जब अपनी मांगों को लेकर रंजीत सावरकर मुख्यमंत्री निवास वर्षा गए तो वहां से उन्हें बैरंग लौटना पड़ा।
आखिर कब तक सावरकर का अपमान सहेगी शिवसेना: फड़नवीस
वीर सावरकर के अपमान से आहत भाजपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को आड़ो हाथ लिया। फडणवीसी ने कांग्रेस सेवा दल की ओर से वितरित किताब पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। फड़नवीस ने प्रश्न किया कि क्या सत्ता के लिए शिवसेना बार-बार अपने 'देवता' सावरकर का अपमान सहती रहेगी। उन्होंने कहा कि ऐसी किताब वितरित करके कांग्रेस ने अपनी विकृत मानसिकता प्रदर्शित की है और यह उसकी बौद्धिक दिवालिएपन को दिखाती है। भाजपा इस किताब की कड़ी निंदा करती है। अगर आदरणीय हिंदूहृदय सम्राट बालासाहब ठाकरे होते तो वह अपनी ठेठ शैली में प्रतिक्रिया करने वाले पहले व्यक्ति होते।
महाराष्ट्र कब तक वीर सावरकर का अपमान सहेगीः स्मृति ईरानी
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी सवाल किया, 'महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ दलों में से एक कांग्रेस को मराठी लोगों और देश के सभी राष्ट्रभक्तों को बताना होगा कि वह कब तक वीर सावरकर के बलिदान का अपमान करती रहेगी। आखिर कांग्रेस सावरकर का अपमान करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार क्यों समझती है?' जबकि भाजपा महासचिव अनिल जैन ने कहा, 'दुनिया कांग्रेस नेताओं के विभिन्न संबंधों के बारे में जानती है, लेकिन वह ऐसी कीचड़ नहीं उछालना चाहते। कांग्रेस के लिए एक परिवार को छोड़कर कोई भी सम्मान के लायक नहीं है।'