अयोध्या पर शिवसेना ने मुस्लिम समुदाय को दी सलाह, राहुल की तारीफ की
मुंबई। अयोध्या मामले पर फैसला आने के बाद शिवसेना ने मुस्लिम समुदाय को सलाह दी है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा है कि अयोध्या में मिली पांच एकड़ जमीन पर मस्जिद बनवाए जाने के बाद मुस्लिमों को उसका नामकरण बाबर के नाम पर नहीं करना चाहिए। बल्कि किसी अन्य मुस्लिम संत या नेता के नाम पर करना चाहिए।
इसके साथ ही शिवसेना ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तारीफ भी की है। राहुल की तारीफ करते हुए पार्टी ने कहा है कि उन्होंने (राहुल) अत्यंत शालीनता से इस फैसले का स्वागत किया है। वहीं मुखपत्र में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर हमला बोला है। उन्हें लेकर शिवसेना ने कहा है कि बाबर के नाम पर पांच एकड़ जमीन खैरात देने की दिलदारी केवल हिंदुस्तान ही दिखा सकता है। ओवैसी के लिए कहा गया है कि उनके तथाकथित सत्य का मकबरा अफगानिस्तान में पड़ा है।
अयोध्या में जन्मे थे प्रभु श्रीराम
अपने मुखपत्र सामना में शिवसेना ने लिखा है, 'प्रभु श्रीराम का जन्म अयोध्या में होने पर जारी विवाद पर ऐतिहासिक फैसला आ गया है। वह अयोध्या में ही जन्मे थे। वो ही अयोध्या के स्वामी हैं और जहां उनका जन्म हुआ उस जगह पर राम का भव्य मंदिर बनाया जाएगा। ऐसा फैसला देश के सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है। जैसे पांडवों ने कौरवों पर जीत हासिल की वैसी ही यह जीत है।
अयोध्या में राम मंदिर बने इसके लिए जिन सैकड़ों रामभक्तों और कारसेवकों ने अपना बलिदान दिया, ये उनके संघर्ष की जीत है। पूरे देश की निगाहें फैसले पर टिकी थीं। सर्वोच्च न्यायालय की विशेष खंडपीठ अयोध्या विवाद के लिए गठित की गई थी। उसने कई महीनों तक इस मामले से संबंधित सभी पक्षों को हर दिन सुना और अंतत: निर्णय दिया है कि अयोध्या में विवादित जमीन हिंदुओं की ही है।'
सैंकड़ों की गई जान
सामना में आगे लिखा है कि देश में अयोध्या विवाद के कारण लगातार रक्तरंजित हुआ है। इसके चलते हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष के सैकड़ों लोगों ने जान गंवाई है। ये सब आज रुकना चाहिए। अब अतीत को भूलकर दोनों पक्ष भविष्य का विचार करो। इस संघर्ष में एक बड़ा समय बीत गया है। अयोध्या श्रीराम की ही है। बावजूद इसके विदेशी हमलावर बाबर के कारण ये सब हुआ है।
बाबर के नाम पर ना हो मस्जिद
शिवसेना ने सामना में कहा है कि अयोध्या में पांच एकड़ जमीन पर जो मस्जिद बने उसका नाम बाबर के नाम पर ना रखा जाए। इस देश में कई मुस्लिम संत और नेता हुए हैं, उनके नाम पर ही इसका नामकरण होना चाहिए। सामना में आगे कहा गया है कि राहुल गांधी ने शालीनता से इस फैसले का स्वागत किया है। ये फैसला देश की सर्वोच्च अदालत ने दिया है। इसका सम्मान करें, ऐसा राहुल गांधी ने कहा है। ऐसा सामंजस्य ओवैसी जैसे नेताओं को दिखाने में कोई हर्ज नहीं थी।
क्या है फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया है। निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड को ही पक्षकार माना है। कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को अतार्किक करार दिया। कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को कहीं और 5 एकड़ की जमीन दी जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बनाए। इसमें निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व देने का आदेश दिया गया है।
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