नागरिकता संशोधन बिल पर शिवसेना ने खोले अपने पत्ते, अमित शाह से की ये मांग
भाजपा से अलग होकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने वाली शिवसेना ने अब नागरिकता संशोधन बिल पर भी अपने पत्ते खोल दिए हैं।
नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश कर दिया। इस दौरान कांग्रेस सहित विपक्ष ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह विधेयक देश के अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए लाया जा रहा है। समाजवादी पार्टी के मुखिया और आजमगढ़ लोकसभा सीट से सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी पार्टी इस बिल का विरोध करती है। इस बीच शिवसेना ने भी नागरिकता संशोधन बिल को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। शिवसेना ने इस बिल पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या इस बिल का उद्देश्य 'वोट बैंक बनाना' है। अगर ऐसा है तो यह बिल देश के लिए ठीक नहीं है।
'25 सालों के लिए ना मिले वोटिंग का अधिकार'
शिवसेना ने हालांकि सीधे तौर पर बिल का विरोध नहीं किया, लेकिन अपने मुखपत्र सामना में लिखा, 'गृह मंत्री अमित शाह से हमारी मांग है कि अगले 25 सालों के लिए नए नागरिकों को मतदान का अधिकार ना दिया जाए। क्या यह स्वीकार्य है?' शिवसेना ने मोदी सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें डर है कि हिंदू अवैध प्रवासियों की चयनात्मक स्वीकृति देश में एक धार्मिक युद्ध को बढ़ावा देने का काम करेगी। सामना में मोदी सरकार को यह भी चेतावनी दी गई कि यह बिल हिंदुओं और मुसलमानों के 'अदृश्य विभाजन' का कारण बन सकता है।
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'विवादास्पद कदम साबित होगा ये बिल'
शिवसेना ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल से वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा मिल सकता है, जो देश के हितों के खिलाफ है। इसके अलावा शिवसेना ने बिल की टाइमिंग को लेकर भी सवाल खड़े किए। शिवसेना ने कहा, 'इस समय हमारा देश कई समस्याओं से जूझ रहा है और ऐसे में नागरिकता संशोधन बिल केवल एक विवादास्पद कदम साबित होगा।' शिवसेना ने कश्मीरी पंडितों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि घाटी में कश्मीरी पंडितों को बसाने के लिए सरकार कुछ कर रही है या नहीं?
'बिल में मुस्लिम समुदाय का नाम तक नहीं'
आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल का प्रस्ताव सोमवार को लोकसभा में बहुमत से पास हो गया। बिल के पक्ष में 293 और विरोध में 82 मत पड़े। बिल के प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान जब कांग्रेस ने कहा कि यह विधेयक देश के मुसलमानों के खिलाफ है तो अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा कि इस बिल में मुस्लिम समुदाय का नाम तक नहीं है। बिल पर बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि वो सदन के भीतर इस विधेयक को लेकर हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं, लेकिन आप लोग सदन से वॉकआउट मत करना।
'सताए हुए लोगों को नागरिकता देंगे हम'
अमित शाह ने कहा कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, ईसाइयों, पारसियों और जैन समुदाय के लोगों के साथ भेदभाव किया गया है। यह बिल इन सताए हुए लोगों को नागरिकता देगा। साथ ही यह आरोप कि यह बिल मुसलमानों के अधिकारों को छीन लेगा, बिल्कुल गलत है। आज हमें इस विधेयक की आवश्यकता क्यों पड़ी? आजादी के बाद यदि कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं किया होता, तो, आज हमें इस विधेयक की आवश्यकता नहीं होती। कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन किया। बिल पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बांग्लादेश के बारे में कानून लेकर आईं, लेकिन पाकिस्तान से आए लोगों के लिए क्यों नहीं लेकर आईं। अमित शाह ने कहा कि युगांडा से आए लोगों को भी कांग्रेस सरकार में नागरिकता दी गई। इंग्लैंड से आए लोगों को क्यों नहीं?
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