नीतीश के बाद अब शिवसेना ने दिखाए BJP को तेवर, मांगा ये अहम पद
नीतीश की नाराजगी के बाद अब शिवसेना ने भाजपा को अपने तेवर दिखाते हुए एक अहम पद की मांग कर डाली है।
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नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत हासिल करने के बाद केंद्र में फिर से लौटी मोदी सरकार के लिए अब उसके सहयोगी दल ही मुश्किलें खड़ी करते हुए नजर आ रहे हैं। पहले केवल एक मंत्री पद मिलने से नाराज हुई जेडीयू ने ऐलान किया कि वो केंद्र की सरकार में शामिल नहीं होगी, लेकिन एनडीए का हिस्सा बनी रहेगी। जेडीयू के इस कदम को बिहार में आने वाले विधानसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं, अब भाजपा के सबसे बड़े सहयोगी दल शिवसेना ने भी उसके लिए एक नई मुश्किल खड़ी कर दी है। मंत्रिमंडल में विभागों का बंटवारा होने के बाद शिवसेना ने एक अहम पद पर अपना दावा ठोक दिया है।
'ये पद हमारी डिमांड नहीं, बल्कि हक है'
दरअसल, शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी से लोकसभा में डिप्टी स्पीकर के पद की मांग की है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, 'लोकसभा में डिप्टी स्पीकर पद को लेकर ये हमारी डिमांड नहीं है, बल्कि ये हमारा स्वाभाविक दावा और हक है। ये पद शिवसेना को ही मिलना चाहिए। हमने सुना है कि इस पद को बीजू जनता दल को दिए जाने की चर्चा है, लेकिन वो तो ओडिशा में एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़े थे, फिर उन्हें ये पद क्यों दिया जा रहा है। भाजपा को पूर्ण बहुमत दिलाने में शामिल सहयोगी दलों को भी सम्मान मिलना जरूरी है। इसे देखते हुए कैबिनेट में सहयोगी दलों को उपयुक्त स्थान दिया जाना चाहिए।'
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'मंदिर बनाने के लिए अब और क्या चाहिए'
वहीं, अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे पर संजय राउत ने कहा, 'मेरा मानना है कि इस बार अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा क्योंकि अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो देश हम पर भरोसा करना बंद कर देगा। आज भाजपा के पास 303 सांसद हैं, शिवसेना के पास 18 सांसद हैं, एनडीए के पास 350 से ज्यादा सांसद हैं, मंदिर बनाने के लिए और क्या चाहिए?' गौरतलब है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी जल्द ही अयोध्या जाने वाले हैं। हालांकि अयोध्या जाने की उनकी तारीख अभी तय नहीं है। इससे पहले अपनी पिछली अयोध्या यात्रा में उद्धव ठाकरे ने कहा था कि अगर सरकार राम मंदिर के लिए अध्यादेश लेकर आती है तो वो उसका पूरा समर्थन करेंगे।
लोकसभा के बाद विधानसभा का प्लान तैयार
आपको बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना महाराष्ट्र की 48 सीटों पर साथ मिलकर लड़े थे। दोनों ने महाराष्ट्र की 41 सीटों पर जीत हासिल की है। भाजपा को 23 और शिवसेना के खाते में 18 सीटें गई हैं। भाजपा और शिवसेना महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भी सीटों के बंटवारे पर समझौता कर चुके हैं। भाजपा के एक सीनियर नेता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आने वाले विधानसभा चुनावों में दोनों सहयोगी दल बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने बताया कि भाजपा और शिवसेना 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में 135-135 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। जबकि अन्य सहयोगी दलों के लिए वो 18 सीटें छोड़ेंगे।
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सरकार पर फिर हमलावर शिवसेना
इससे पहले हाल ही में शिवसेना ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला था। शिवसेना के मुखपत्र सामना में कहा गया, 'केवल शब्दों से खेलने से किसी समस्या का हल नहीं निकलने वाला है। 5 सालों में 10 करोड़ नौकरियां पैदा करने में असफल रहने पर कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू या इंदिरा गांधी को इसके लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। जीडीपी में गिरावट मोदी सरकार के लिए चिंता का विषय है। केवल विज्ञापन देने से नौकरियां नहीं मिलेंगी। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में किसी को रोजगार नहीं मिल रहा है। कौशल विकास योजना की स्थिति अच्छी नहीं है। इसके परिणामों को लगातार रिव्यू किया जाना चाहिए।'