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निडर थीं शीला दीक्षित, भूतहा बंगले में रहने का किया था फैसला, पढिए हैरान कर देने वाला सच

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नई दिल्ली। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित किसी भी तरह के अंधविश्वास पर भरोसा नहीं करती थीं। उन्होंने अपने जीवन काल में तमाम अंधविश्वास को तोड़ने का प्रयास किया। यहां तक कि अपने अंतिम संस्कार के दौरान भी शीला दीक्षित ने ऐसे अंधविश्वास को तोड़ा जिसे तोड़ पाना आसान नहीं था। शीला दीक्षित ने अपने जीवन काल में ही हिंदू मान्यता के खिलाफ खुद का अंतिम संस्कार लकड़ियों की बजाए सीएनजी पद्धति से कराए जाने की इच्छा जाहिर की थी। यही नहीं दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने के बाद शीला दीक्षित ऐसे बंगले में रहने के लिए गईं जिसे भूतिया बंगला कहा जाता था।

भूतहा बंगला चुना

भूतहा बंगला चुना

दरअसल शीला दीक्षित जब दूसरी बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं तो उन्हें एक बड़े घर की जरूरत थी क्योंकि प्रगति मैदान स्थित उनका घर काफी छोटा था, लिहाजा उन्हें लुटियन दिल्ली में बंगला लेना पड़ा। यहां पर उन्होंने कई बंगले देखें, फिर जाकर उन्होंने 3 मोतीलाल नेहरू प्लेस को चुना, जोकि काफी लंबे समय से खाली पड़ा था। इस बंगले को भूतिया बंगला कहा जाता था। इस बंगले की दिक्कत यह थी कि यहां घर के सामने कई चमगादड़ रहते थे।

कोई मंत्री रहने को नहीं था तैयार

कोई मंत्री रहने को नहीं था तैयार

जिस बंगले को शीला दीक्षित ने चुना था उसे भूतिया माना जाता था, यही वजह थी कि कोई भी मंत्री इसमे रहने के लिए तैयार नहीं था। हर शाम को बंगले के सामने से चमगादड़ों की काफी तेज आवाज सुनाई देती थी। जिसे लोग अपशकुन मानते थे। यही नहीं बंगले की दीवारों पर जो दुर्लभ जाति के पेड़ लगे थे, उसे चमगादड़ों ने अपना डेरा बना लिया था। लेकिन शीला दीक्षित ने इन तमाम अपशकुन को दरकिनार करते हुए इसी बंगले में रहने का फैसला लिया।

किया कायाकल्प

किया कायाकल्प

शीला दीक्षित ने इन चमगादड़ों के बारे में पता लगवाया और उन्हें हटाने की बजाए उन्हें वहीं रहने दिया। यहां तक कि शीला दीक्षित ने इन चमगादड़ों को संरक्षित रखने के भी कई प्रयास किए। बंगले में तमाम दुर्लभ जाति के पेड़ों को भी संरक्षित कराया और इसे बच्चों के लिए हेरिटेज वाक के तौर पर स्थापित करके दिल्ली सरकार को सौंप दिया। इसके बाद इस बंगले को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आवंटित किया गया था।

शनिवार को हुआ था देहांत

शनिवार को हुआ था देहांत

आपको बता दें कि शनिवार दोपहर राजधानी के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल में कॉर्डियक अरेस्ट से दीक्षित का निधन हो गया था, आपको बता दें कि शीला दीक्षित 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने 10 जनवरी को उन्हें दिल्ली की कमान सौंपी गई थी। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शनिवार देर शाम पूर्वी निजामुद्दीन स्थित दीक्षित के आवास पर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज समेत कई नेता उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे।

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English summary
Sheila Dikshit who chooses to live in haunted bungalow with the spiders.
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