बांग्लादेश में सियासी उठापटक पर भारत की पैनी नजर
ढाका। बांग्लादेश में सियासी उठापटक के बीच भारत पूरी घटनाक्रम पर पैनी नजर बनाए हुए है। पिछले कुछ महीनों में दिल्ली बांग्लादेश में हो रही गतिविधियों पर अपनी नजर बनाए हुए है। जिस तरह से यहां कट्टरवादी इस्लाम को आर्थिक मदद मुहैया कराई जाती है और ढाका को चीन की ओर से मदद दी जाती है, उसके बाद भारत इस बात को लेकर साफ है कि उसे शेख हसीना की लोकतांत्रिक पार्टी आवामी लीग की मदद करनी है। लेकिन इन सब के बीच भारत शेख हसीना से इस बात की भी अपील कर रहा है कि बतौर विपक्ष वह मुख्य विपक्षी दल बीएनपी को भी आगे आने का मौका दें जिससे की लोगों में विपक्ष की मौजूदगी का एहसास हो। भारत सरकार का मानना है कि शेख हसीना की लोकतांत्रिक पार्टी देश में होने वाले प्रदर्शन को लोकतांत्रिक तरीके से रोकने की कोशिश करेगी।
सुषमा स्वराज ने की थी जिया से मुलाकात
जिस तरह से चीन लगातार बांग्लादेश में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, उसपर भारत अपनी नजर शुरू से ही बनाए हुए है। वर्ष 2015 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शेख हसीना को दिए गए 26 बिलियन डॉलर का चेक दिया था, उसके बाद बांग्लादेश ने चीन से दो सबमरीन खरीदी थी और चीन की सेना को चिटगोंग पोर्ट पर निर्माण की अनुमति दी थी। उस वक्त भारत ने बीएनपी का रुख किया था और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जिया से ढाका में अक्टूबर 2017 में मुलाकात की थी। उस वक्त आवामी लीग के नेताओं का कहना था कि स्वराज को जिया से नहीं मिलना चाहिए था।
मुश्किल में जिया का राजनीतिक भविष्य
आपको बता दें कि बांग्लादेश की राजनीति में एक बार फिर से भूचाल आ गया है, यहां स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को विपक्ष की नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को पांच साल की सजा सुनाई है। उन्हे भ्रष्टाचार के आरोप में कोर्ट ने पांच वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। 72 वर्ष की खालिदा जिया को कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद जेल भेज दिया गया, माना जा रहा है कि उन्हें अगला चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है, जोकि इसी वर्ष के अंत में दिसंबर माह में होना है।
आज प्रदर्शन करेगी जिया की पार्टी
बांग्लादेश में इस बड़ी घटना पर भारत ने अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है और इस पूरे मसले पर चुप्पी साध रखी है। भारत को उम्मीद है कि इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना की ताकत और बढ़ेगी और वह बांग्लादेश में और मजबूत नेता के तौर पर उभरेंगी। खबरों के माने तो जिया की पार्टी बीएनपी इस फैसले के खिलाफ आज देशभर में आंदोलन कर सकती है। जिया की पार्टी के महासचिव फखरुल इश्लाम आलमगीर ने कोर्ट के फैसले को पूरी तरह राजनीति से प्रेरित बताया है। आपको बता दें कि जमानत मिलने से पहले जिया को कम से कम तीन दिन तक जेल में रहने होगा।
शेख हसीना ने बोला हमला
बांग्लादेश में दो अहम दलों की मुखिया महिलाएं हैं, ऐसे में कोर्ट के फैसले के बाद शेख हसीना ने कहा कि अब कहां हैं जिया। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने जिया पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने 2013 व 2015 में हिंसा भड़काने का काम किया था। ढाका में आयोजित रैली के दौरान उन्होंने कहा कि जब लोग जनता को दबाते हैं तो अल्लाह का तख्त हिलता है, जो लोग लोगों को जलाकर मार देते हैं उन्हे इस तरह की सजा होती है, अब इंसाफ हुआ है।
चुनाव पर खड़े हुए सवाल
जिया को सजा होने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ है कि क्या इसके बाद उनपर चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगेगी या नहीं। अगर बीएनपी चुनावों का बहिष्कार करती है तो शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग फिर से बिन मजबूत विपक्ष के सत्ता में काबिज रहेगी। इससे पहले 2013 में भी जिया की पार्टी ने चुनावों का बहिष्कार किया था।