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'राष्ट्रवाद और सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर लौटी तो खत्म हो जाएगी कांग्रेस?'

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बेंगलुरू। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर कांग्रेस पार्टी को सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड खेलने और उभरते राष्ट्रवाद की राजनीति करने से रोक रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी को सिर्फ धर्मनिरपेक्ष राजनीति पर केंद्रित रहना चाहिए वरना आने वाले चुनावों में पार्टी का और भी बेड़ा गर्क हो सकता है।

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सॉफ्ट हिंदुत्व पॉलिसी के मुखर विरोधी शशि थरूर ने यह बड़ा बयान तब दिया है जब कांग्रेस पार्टी राष्ट्रवाद और सॉफ्ट हिंदुत्व के पक्ष में हुई वोटिंग के चलते पिछले दो लोकसभा चुनावों में बुरी तरह हार चुकी है। पूर्व कांग्रेस राहुल गांधी ने सॉफ्ट हिंदुत्व पॉलिसी के तहत ही मंदिर-मंदिर घूम रहे थे और जनेऊ पहनकर दत्तात्रेय ब्राह्मण तक खुद को बताना पड़ गया।

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गौरतलब है नरेद्र मोदी के नेतृत्व में हुए लगातार दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी भारी बहुमत से केंद्र की सत्ता पर पहुंची है, जिसके पीछे राष्ट्रवाद और सॉफ्ट हिंदुत्व पॉलिसी को माना जा रहा है। इस दौरान बीजेपी ने अपनी चुनावी कैंपेन में कांग्रेस के खिलाफ राष्ट्रवाद और हिंदू विरोधी होने कार्ड जमकर इस्तेमाल किया। यही वजह थी कि धर्मनिरपेक्षता की राजनीति को ढाल बनाकर सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में खुद को राष्ट्रवादी बताने के साथ-साथ और सॉफ्ट हिंदुत्व पॉलिसी को चुनावी कैंपेन में शामिल किया।

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बहुसंख्यक हिंदू वोटों के लिए टेंपल रन करते नज़र आए, लेकिन पार्टी को ज्यादा इसका फायदा नहीं हुआ। हालांकि वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव की तुलना में कांग्रेस पार्टी 8 लोकसभा सीट जीतने में जरूर काम रही। वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने महज 44 लोकसभा सीटें जीती थीं, लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी 52 सीट जीतने में कामयाब हुई।

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शशि थरूर ने अपने बयान में कहा था कि कांग्रेस अपनी धर्मनिरपेक्षता की छवि को बनाए रखना चाहिए, क्योंकि देश के हिंदी भाषी क्षेत्र के बहुसंख्यक लोगों के तुष्टिकरण से कांग्रेस जीरो में सिमट जाएगी। बीजेपी और उसके सहयोगियों द्वारा हिंदू होने का दावा करना, ब्रिटिश फुटबाल टीम के बदमाश समर्थकों की अपनी टीम के प्रति वफादारी से अलग नहीं है।

अपनी किताब 'द हिंदू वे: ऐन इंट्रोडक्शन हिन्दूस्तान' के लोकार्पण के दौरान थरूर ने दावा किया कि वर्तमान शासन करने वाले लोगों ने हिंदुत्व को विकृत किया है, जिससे वो इसका राजनीतिक लाभ लेकर चुनाव जीतने के लिए अपना हथियार बना सकें। थरूर का मानना है कि आज भी अधिकांश भारतीय रूढ़िवादिता का विरोध करते हैं और ऐसे लोग हिंदुत्व का राजनीतिक इस्तेमाल नहीं होने देंगे।

इससे पहले थरूर ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश के उस बयान का सर्मथन करते हुए कहा था कि कांग्रेस को प्रधानमंत्री मोदी के हर काम का विरोध नहीं करना चाहिए, जिसके बाद पार्टी के भीतर ही उनकी खिंचाई हो गई थी। यही नहीं, केरल कांग्रेस ने बाकायदा नोटिस देकर उन्हें तलब कर लिया था।

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दरअसल, जयराम रमेश ने कहा था कि पीएम मोदी के शासन का मॉडल 'पूरी तरह नकारात्मक गाथा' नहीं है और उनके काम के महत्व को स्वीकार नहीं करना और हर समय उन्हें खलनायक की तरह पेश करके कुछ हासिल नहीं होने वाला है।

बकौल, जयराम रमेश पीएम नरेंद्र मोदी के काम और 2014 से 2019 के बीच उनके द्वारा किए गए काम के महत्व को समझना जरूरी है, क्योंकि उसके कारण ही बीजेपी दोवाबार सत्ता में लौटी है। इसी के कारण 30 प्रतिशत मतदाताओं ने उनकी सत्ता वापसी करवाई। लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को 37.4 प्रतिशत वोट मिले जबकि सत्तारूढ़ राजग को कुल मिलाकर 45 प्रतिशत वोट हासिल हुए।

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शशि थरूर ने जयराम के उपरोक्त बयान का समर्थन करते हुए बाद में कहा कि वो छह साल से दलील दे रहे हैं कि यदि पीएम नरेंद्र मोदी कोई सही काम करते हैं या सही बात कहते हैं तब उनकी सराहना की जानी चाहिए ताकि जब वह कुछ गलत करें,और पार्टी उनकी आलोचना करें तब उसकी विश्वसनीयता रहे।

बकौल थरूर, मैं विपक्ष के अन्य लोगों की इस राय पर सहमति के लिए स्वागत करता हूं, जिसके लिए मेरी उस समय आलोचना की गई थी और पार्टी कार्यालय में सफाई देनी पड़ी।

यह भी पढ़ें- शशि थरूर बोले- मैंने राजनीतिक करियर के लिए ज्वाइन नहीं की कांग्रेस

 सॉफ्ट हिंदुत्व के कारण लोकसभा चुनाव में हारी कांग्रेस

सॉफ्ट हिंदुत्व के कारण लोकसभा चुनाव में हारी कांग्रेस

कांग्रेस नेता शशि थरूर का ऐसा मानना है कि देश की धर्मनिरपेक्ष चरित्र की रक्षा का दायित्व कांग्रेस पार्टी को उठाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा सोचना कि हिंदी पट्टी में बीजेपी से मुकाबला करने के लिए बहुसंख्यक तुष्टीकरण जरूरी है, यह सरासर गलत है। अगर मतदाता के पास असली चीज और उसकी नकल के बीच किसी एक को चुनने का विकल्प हो, तो वह हर बार असली को ही चुनेगा?

बीजेपी की प्रचंड जीत में पीछे हिंदू बहुसंख्यक

बीजेपी की प्रचंड जीत में पीछे हिंदू बहुसंख्यक

वर्ष 2014 और वर्ष 2019 लोकसभा चुनावों में बीजेपी की प्रचंड जीत में राष्ट्रवाद और सॉफ्ट हिंदुत्व के श्रेय को कमतर आंकते हुए थरूर कहते है कि कांग्रेस को इससे भयभीत होने के बजाय कांग्रेस को उन सिद्धांतों के लिए खड़ा होना चाहिए जिन पर उसने हमेशा विश्वास किया है। लोगों को कांग्रेस के मूल सिद्धांतों पर विश्वास बढ़ाने के लिए लगातार प्रेरित करना होगा। कांग्रेसी नेता ने कहा कि देश ऐसे लोगों का सम्मान करेगा जो अपने विश्वासों के साथ मजबूती से खड़े हैं, ना कि ऐसे लोगों का जो समय के साथ अपने मूल्यों से समझौता करते हैं और अगर ऐसा नहीं किया तो सॉफ्ट हिंदुत्व की विचारधारा कांग्रेस को शून्य की तरफ ले जाएगी।

धर्मनिरपेक्ष छवि से कांग्रेस को समझौता करना पड़ा मंहगा

धर्मनिरपेक्ष छवि से कांग्रेस को समझौता करना पड़ा मंहगा

हालिया लोकसभा चुनाव में देश के हिंदी भाषी क्षेत्रों में कांग्रेस की बुरी हार के लिए शशि थरूर कांग्रेस को उसके मूल सिद्धांतों के साथ किए समझौतों को दोषी ठहराते हैं। शशि थरूर के मुताबिक पार्टी हार दर हार के बाद पार्टी के कुछ लोगों ने कांग्रेस को अपने ऊपर लगे अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के आरोपों का जवाब देने के लिए अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि से समझौता करने की भी सलाह दे दी। थरूर ने कहा कि हिंदुत्व की खूबसूरती यह है कि भारत में कानून बनाने के लिए न तो कोई पोप होता है और न ही सच्चाई क्या है इसके लिए कोई इमाम फतवा जारी करता है। साथ ही न कोई अकेला पवित्र ग्रंथ होता है।

पार्टी के सिद्धांतों में बदलाव नहींः पीएल पुनिया

पार्टी के सिद्धांतों में बदलाव नहींः पीएल पुनिया

कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने शशि थरूर के सॉफ्ट हिंदुत्व वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वो अपना बयान देते रहते हैं। कांग्रेस पार्टी हमेशा अपनी नीति के ऊपर कायम रहती है। उसकी नीतियों में कोई बदलाव नहीं है। हमें फक्र के साथ कह सकते हैं, महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, इंदिरा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री और राजीव गांधी ने जो विरासत छोड़ी है। पार्टी उसे आगे बढ़ाएगी और उनके दिखाए हुए रास्ते पर चलेगी।

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English summary
Congress senior leader Shashi Tharoor warns congress party to return their core principle of secularism. According to thoroor party will ruined themselves if again tried their hand in soft Hindustva policy
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