जफरयाब जिलानी की सफाई, शरिया कोर्ट नहीं बोर्ड बनाना चाहते हैं, बीजेपी-आरएसएस पर लगाए आरोप
नई दिल्ली। देश के हर जिले में शरिया अदालत (दारुल कजा) खोलने के ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के प्रस्ताव से खड़े हुए विवाद के बीच जफरयाब जिलानी का बयान आया है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का पक्ष रखते हुए जिलानी शरिया अदालत या शरिया कोर्ट शब्द पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि शरिया बोर्ड कोई कोर्ट/अदालत नहीं है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दे रहे हैं।
जिलानी ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने हर जिले में दारुल कजा खोलने की बात नहीं की है। उन्होंने बताया कि हमारा मकसद है कि इसकी स्थापना वहां की जाए, जहां इसकी जरूरत है।जिलानी ने कहा, 'मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बोर्ड पूरी जिम्मेदारी के साथ काम कर रहा है।'इस मामले पर कर्नाटक के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जेडए खान का भी बान आ चुका है, जो कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रस्ताव को बेहतर बता चुके है। यूपी के शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वसीम रिजवी इसे राष्ट्रविरोधी करार दे चुके हैं।
दूसरी ओर बीजेपी का मानना है कि देश के गांवों और जिलों में शरिया अदालतों का कोई स्थान नहीं है। मुस्लिमों की रहनुमा मानी जाने वाली सपा भी इस मामले पर किनारा करती दिख रही है। उसका कहना है कि देश में एक संविधान है और उसी का पालन होना चाहिए।बीजेपी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने इस मुद्दे पर पार्टी राय रखते हुए कहा कि आप धार्मिक मामलों पर चर्चा कर सकते हैं, लेकिन इस देश में न्यायपालिका का महत्व है। देश के गांवों और जिलों में शरिया अदालतों का कोई स्थान नहीं है। लेखी ने यहां तक कह दिया कि हमारा देश इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ इंडिया नहीं है।