Koshyari vs Thackeray: चिठ्ठी विवाद पर शरद पवार ने पीएम को लिखा लेटर, सीएम ठाकरे का समर्थन कर बोले- 'हैरान हूं'
मुंबई। महाराष्ट्र में राज्यपाल कोश्यारी और सीएम उद्धव ठाकरे के बीच वाक युद्ध छिड़ा हुआ है। बवाल हिंदुत्व पर है जिस पर सीएम ठाकरे और राज्यपाल कोश्यारी आमने-सामने हैं। इसकी शुरुआत उस चिठ्ठी से हुई जो राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सीएम उद्धव ठाकरे को दी थी जिस पर सीएम उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल को पलटकर जवाब दे दिया। अब दिग्गज नेता और महा विकास अघाड़ी के घटक दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) भी कूद पड़े हैं। चिठ्ठी को लेकर चल रहे इस पूरे मामले पर शरद पवार ने पीएम मोदी को चिठ्ठी लिख डाली जिसमें उन्होंने सीएम उद्धव ठाकरे का समर्थन किया है।
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चिठ्ठी में राज्यपाल कोश्यारी को लेकर शरद पवार ने लिखा कि बयानों की भाषा और मंतव्य संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के पद की गरिमा के अनुरूप होना चाहिए। हाल में हुई घटनाओं को देखते हुए महाराष्ट्र सीएम के पास प्रेस में अपना जवाब देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। मैं इस मुद्दे पर सीएम ठाकरे का समर्थन करता हूं।
पत्र में शरद पवार में लिखा है हम सभी देश में कोविड-19 की महामारी को डील करने में जूझ रहे हैं। इस दौरान वायरस के इंफेक्शन को रोकने के लिए आपने (प्रधानमंत्री जी) दो गज की दूरी का नारा भी दिया था। महाराष्ट्र में सीएम उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महा विकास अघाड़ी सरकार ने मेरा परिवार मेरी जिम्मेदारी नामक योजना शुरू की है। राज्य सरकार बहुत ही प्रभावी रूप से नीतियों को लागू कर रही जिसके तहत राज्य की जनता को सुरक्षित दूरी के बारे में जागरूक किया जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार 'दो गज की दूरी' के महत्व को बताने के लिए एक अभियान भी शुरू करने वाली है।
आज मैने एक पत्र देखा जो महाराष्ट्र के माननीय राज्यपाल महोदय ने मुख्यमंत्री को लिखा था। इस पत्र में माननीय राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से मंदिरों को खोलने के बारे में हस्तक्षेप की मांग की है। जैसा कि आप जानते हैं कि महाराष्ट्र में कई सारे धार्मिक स्थान ऐसे हैं जहां काफी भीड़ होती है। इनमें मुंबई का सिद्धि विनायक मंदिर, भगवान विठ्ठल मंदिर पंढरपुर, शिरडी का साई बाबा मंदिर समेत कई धार्मिक स्थल हैं जहां आम दिनों में भी भारी भीड़ जुटती है। ऐसी जगहों पर लोगों के बीच सुरक्षित दूरी रख पाना लगभग असंभव है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने मंदिर नहीं खोलने का फैसला किया है।
भाषा पर जताई आपत्ति
शरद पवार ने आगे लिखा कि मैं इस बात से सहमत हूं कि राज्यपाल इस मुद्दे पर अपने स्वतंत्र विचार और राय रख सकते हैं। मैं राज्यपाल के अपना मत मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की भी सराहना करता हूं लेकिन मैं ये देखकर हैरान हूं कि ये पत्र मीडिया को रिलीज किया है और इसमें जिस तरह की भाषा लिखी गई है।
राज्यपाल के पत्र में सेक्युलर शब्द का जिस तरह इस्तेमाल किया गया है उसे लेकर शरद पवार ने कहा कि आपने देखा होगा कि किस तरह से असंयमित भाषा का प्रयोग किया गया है। दुर्भाग्य से राज्यपाल का पत्र किसी राजनीतिक पार्टी के नेता का पत्र लग रहा है। मैं इस बात में विश्वास करता हूं कि लोकतंत्र में राज्यपाल और मुख्यमंत्री में स्वतंत्र विचारों का आदान-प्रदान जरूरी है लेकिन इनकी भाषा और मंतव्य संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के पद की गरिमा के अनुरूप होना चाहिए।
पवार ने लिखा कि उन्होंने इस बारे में राज्यपाल और मुख्यमंत्री से बात नहीं की है लेकिन वे चाहते हैं कि माननीय राज्यपाल द्वारा संवैधानिक पदों के क्षरण किए जाने को लेकर अपना दुख आपसे और जनता से साझा करूं।
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