शरद पवार की ये दोनो शर्तें मान लेते पीएम मोदी तो वे समर्थन को तैयार थे- रिपोर्ट्स
नई दिल्ली- महाराष्ट्र से जुड़ी हुई यह बहुत बड़ी खबर है। इसके मुताबिक अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एनसीपी चीफ शरद पवार की दो शर्तें मान लेते तो बीजेपी वहां एनसीपी के समर्थन से दोबारा सरकार बना सकती थी। इस खबर की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि पवार ने महाराष्ट्र में जारी खींचतान के बीच ही पीएम मोदी से लगभग एक घंटे तक मुलाकात की थी। लेकिन, सूत्रों के मुताबिक पवार ने शर्तें ही ऐसी रखी थीं, जिसे मान लेना पीएम मोदी के लिए आसान नहीं लगा, इसलिए उन्होंने उनकी शर्तें ठुकरा दीं।
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पवार ने दो शर्तों पर दिया था भाजपा को ऑफर- रिपोर्ट्स
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर पीएम नरेंद्र मोदी एनसीपी सुप्रीमों शरद पवार की बातें मान लेते तो महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता से हाथ नहीं धोना पड़ता। खबरों के मुताबिक पवार की पहली शर्त ये थी कि उनकी बेटी सुप्रिया सुले को केंद्र में कृषि मंत्री बनाया जाए और दूसरी शर्त में वह महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की जगह बीजेपी के किसी दूसरे नेता को मुख्यमंत्री बनवाना चाहते थे। बीजेपी सूत्रों के हवाले से आई इस खबर के मुताबिक पीएम मोदी के सामने धर्मसंकट ये था कि अगर वह पवार की शर्तें मान लेते तो भारी-भरकम मंत्रालयों के लिए दूसरे सहयोगी भी दबाव बनाना शुरू कर सकते थे। मसलन जेडीयू का अभी मोदी कैबिनेट में कोई मंत्री नहीं है और वह रेल मंत्रालय के लिए दावा ठोक सकती थी।
फडणवीस को हटाने के लिए भी राजी नहीं हुए पीएम- रिपोर्ट्स
जानकारी के मुताबिक फडणवीस को हटाने की शर्त इसलिए पीएम मोदी को मंजूर नहीं थी, क्योंकि उन्होंने महाराष्ट्र में 5 साल तक बेदाग सरकार चलाई और उन्हीं के चेहरे पर चुनाव लड़कर भाजपा-शिवसेना गठबंधन दोबारा सत्ता की दहलीज तक पहुंच गया था। यही नहीं, जब उद्धव ने शिवसेना का सीएम बनाने के लिए अपना स्टैंड खुलकर सामने नहीं रखा था, तभी 24 अक्टूबर को चुनाव नतीजे वाले दिन ही मोदी ने देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में ही सरकार बनने की घोषणा भी की थी। वे पूरे चुनाव अभियान के दौरान भी यही बात दोहराते रहे थे कि दिल्ली में नरेंद्र और महाराष्ट्र में देवेंद्र। ऐसे में उनके लिए पवार की ये शर्त मानना भी मुश्किल था।
कई दिनों तक गोल-मटोल जवाब देते रहे थे पवार
सूत्र ये भी बता रहे हैं कि शरद पवार ने अपनी ये दोनों मांगें बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को भेजकर पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित से कोई सकारात्मक संदेश आने का इंतजार कर रहे थे। गौर करने लायक बात ये भी है कि नतीजों के कुछ दिन बाद से ही शिवसेना ने भाजपा के खिलाफ जोरदार तरीके से हमला करना शुरू कर दिया था और जिसपर बीजेपी की ओर से भी कुछ नेता प्रतिक्रिया दे रहे थे। लेकिन, पवार ने भाजपा नेतृत्व के खिलाफ कुछ भी तीखा कभी नहीं बोला और वह शुरू से सरकार बनाने के सवालों को गोल-मोल घुमा रहे थे। इसी दौरान वे एकबार पीएम मोदी से भी मिलने पहुंच गए थे, जिसको लेकर कई तरह की अटकलबाजियां भी शुरू हो गई थीं।
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