शरद पवार ने बताया कि अजित पवार को क्यों रखा गया शपथ से दूर
नई दिल्ली। शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन की महाराष्ट्र में सरकार बनने के बाद एनसीपी चीफ शरद पवार ने पहली बार पूरे राजनीतिक घटनाक्रम पर बात की। पीएम मोदी के साथ हुई मुलाकात से लेकर, सोनिया गांधी से मुलाकात और यहां तक कि अजित पवार के बगावती तेवर पर भी उन्होंने बात की। एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में शरद पवार ने अजित पवार के बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के मुद्दे पर भी बात की।
अजित ने माना कि बीजेपी के साथ जाकर गलती की थी
इस दौरान शरद पवार ने कहा कि अजित पवार ने माना कि बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाना उनकी गलती थी। शरद पवार ने कहा कि उनको 23 नवंबर की सुबह जब अजित के बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की बात मालूम हुई तो वे हैरान थे। तब उन्होंने ये तय किया कि पहले ये सब ठीक करना होगा। इसके बाद उद्धव ठाकरे के साथ उन्होंने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। दूसरी तरफ अजित पवार के साथ राजभवन जाने वाले सारे विधायक उनके खेमे में वापस लौट आए थे।
'पार्टी ने कहा- अजित को शपथ ग्रहण से दूर रखना चाहिए'
शरद पवार बोले, 'बीजेपी के साथ जाने से पहले तक अजित को पार्टी में नंबर 2 के रूप में माना जाता था। अजित ने 22 नवंबर को एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के बीच लंबी बातचीत के बीच बीजेपी के साथ जाने का फैसला लिया था। उनको बताया गया था कि शपथ ग्रहण तुरंत होना है। बाद में अजित ने मुझसे कहा कि उन्होंने गलती की है।' शरद पवार ने ये बातें उद्धव ठाकरे के विश्वास मत जीतने के तीन दिन बाद कही।
मुझे पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक करना था- पवार
अजित पवार को लेकर शरद पवार ने कहा कि पार्टी में आम राय बनी थी कि शपथ ग्रहण से उनको दूर रहना चाहिए, ये फैसला सोच-समझकर लिया गया था। इसके बाद जयंत पाटिल और भुजबल को शपथ दिलाई गई। पार्टी ने एक संदेश दिया कि ऐसे वक्त में जो पार्टी के साथ खड़े रहते हैं, पार्टी उनका ध्यान रखती है। उन्होंने कहा कि परिवार के सभी लोगों का मानना था कि अजित ने जो किया वह बहुत गलत था। वहीं, अजित का साथ देने वालों को जब मालूम हुआ कि इसके पीछे मैं नहीं हूं, तब साथ गए विधायकों पर भी दवाब बढ़ गया और वे वापस आ गए। हालांकि, शरद पवार ने ये भी संकेत दिया कि पार्टी के अधिकांश नेता चाहते थे कि अजित वापस आएं और उनके बीच रहें।